Chhattisgarh News: जिला अस्पताल में नवजातों की अदला-बदली का मामला डीएनए टेस्ट से सुलझा, परिजनों को मिले उनके असली बच्चे

दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला अस्पताल में नवजात बच्चों की अदला-बदली का मामला आखिरकार डीएनए टेस्ट से सुलझ गया। शनिवार को प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में दोनों परिवारों को उनके असली बच्चे सौंप दिए गए। इस घटना ने अस्पताल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही को उजागर किया है, जिसके बाद जिला प्रशासन ने जांच समिति गठित कर दी है।

कैसे हुआ मामला उजागर?

जिला अस्पताल के शिशु वार्ड में 23 जनवरी को स्टाफ की लापरवाही से दो नवजात बच्चों की अदला-बदली हो गई थी। हालांकि, यह मामला 31 जनवरी को सामने आया, जब दोनों परिवारों को संदेह हुआ कि उन्हें सौंपे गए बच्चे उनके नहीं हैं। इसके बाद अस्पताल प्रशासन और जिला प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू की।

डीएनए टेस्ट ने सुलझाई गुत्थी

6 फरवरी को दुर्ग कलेक्टर और बाल कल्याण समिति (CWC) के निर्देश पर दोनों नवजातों का डीएनए टेस्ट करवाया गया। 8 फरवरी को आई रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि बच्चों की अदला-बदली हुई थी। इसके बाद सक्षम अधिकारियों की मौजूदगी में असली माता-पिता को उनके नवजात सौंप दिए गए।

परिजनों ने जताई खुशी, अस्पताल प्रबंधन पर उठे सवाल

बच्चों को वापस पाकर दोनों परिवारों ने राहत की सांस ली और खुशी जाहिर की। हालांकि, उन्होंने अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई और सख्त कार्रवाई की मांग की।

शबाना के जेठ मोहम्मद अशरफ कुरैशी ने कहा, “हमारा खून हमें वापस मिल गया, यह हमारी सबसे बड़ी खुशी है। हम प्रशासन और मीडिया का धन्यवाद करते हैं। उम्मीद है कि भविष्य में किसी और परिवार के साथ ऐसा अन्याय नहीं होगा।”

साधना के पति शैलेंद्र सिंह बोले, “जब डिलीवरी हुई थी, तब हमें जो बच्चा सौंपा गया था, वही हमने पाला। लेकिन दस दिन बाद हमें सच्चाई का पता चला। यह अस्पताल की गंभीर लापरवाही है।”

बच्चे की परिजन रानी सिंह ने कहा, “डीएनए टेस्ट से सच्चाई सामने आ गई, अब हमारा बच्चा हमारे पास है, हम बहुत खुश हैं। लेकिन अस्पताल की गलती माफ नहीं की जानी चाहिए, दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”

जिला प्रशासन ने बनाई जांच समिति

इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन ने जांच समिति गठित कर दी है।

सिविल सर्जन हेमंत साहू ने कहा, “डीएनए टेस्ट की प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया गया, जिससे जैविक माता-पिता की पहचान हो सकी। बच्चों को सही माता-पिता को सौंप दिया गया है।”

नोडल अधिकारी एम. भार्गव ने कहा, “अस्पताल स्टाफ की लापरवाही की जांच के लिए एक समिति बनाई गई है। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

अब देखना होगा कि जांच समिति की रिपोर्ट कब तक आती है और अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के जिम्मेदार लोगों पर क्या कार्रवाई की जाती है।