
अम्बिकापुर। सरगुजा में एक बार फिर पुलिस की नाकामी सामने आई है। इस बार शिकार कोई आम नागरिक नहीं, बल्कि खुद राज्य के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव बने हैं। अम्बिकापुर शहर के प्रतिष्ठित कोठीघर परिसर से चोरों ने भारी-भरकम पीतल की हाथी की मूर्ति चोरी कर ली और पुलिस अब तक केवल फुटेज खंगालने में लगी है। इस घटना ने न केवल पुलिस की लचर व्यवस्था की पोल खोल दी है, बल्कि आम नागरिकों के मन में गहरा डर और असुरक्षा भी भर दी है।
हाथी की नहीं, पुलिस की साख चुराई गई है!
कोठीघर में लगी 15 किलो वजनी हाथी की पीतल मूर्ति (कीमत लगभग ₹40,000) को चोर 2-3 अगस्त की दरमियानी रात लेकर रफूचक्कर हो गए। यह कोई सामान्य जगह नहीं थी। यहां सुरक्षा के लिए निजी गार्ड तैनात रहते हैं और परिसर को ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित माना जाता है। इसके बावजूद चोरों ने निडर होकर वारदात को अंजाम दिया, जो पुलिस की नाकामी को उजागर करता है।
अम्बिकापुर पुलिस सिर्फ ‘FIR’ की फैक्ट्री बन गई है?
कोतवाली पुलिस ने मामले में धारा 331(4), 305 बीएनएस के तहत अज्ञात चोरों पर जुर्म दर्ज किया है। सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं, लेकिन अब तक कोई सुराग नहीं। जनता में यह सवाल उठना लाज़मी है। जब डिप्टी सीएम के घर ही सुरक्षित नहीं, तो आम लोगों का क्या होगा? छोटी-मोटी चोरियों में दिखावा करके ‘काम कर रही पुलिस’ की छवि गढ़ने की कोशिश जरूर हो रही है, लेकिन बड़ी वारदातों में पुलिस पूरी तरह नाकाम है। इससे पहले भी सरगुजा में कई बड़ी चोरी और लूट की घटनाएं हुईं, लेकिन न किसी आरोपी की पहचान हुई, न बरामदगी हुई।
पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव खुद कई बार सरगुजा की बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर आवाज़ उठा चुके हैं। अब जब उनके अपने घर में चोरी हो गई, तो उनकी चिंता जनता के लिए भविष्यवाणी जैसी लगने लगी है। इस वारदात के बाद आम नागरिकों के मन में सुरक्षा को लेकर भारी चिंता है। जब प्रशासनिक रुतबे वाले नेताओं के घर भी सुरक्षित नहीं हैं, तो आम घरों, दुकानों और मंदिरों की हिफाजत की उम्मीद भी खत्म हो चली है।
सरगुजा में कानून का डर अब सिर्फ किताबों में रह गया है। चोरों के हौसले बुलंद हैं और पुलिस की साख रसातल में जा रही है। डिप्टी सीएम जैसे बड़े नेता के घर चोरी होना न सिर्फ एक गंभीर चेतावनी है, बल्कि पूरी पुलिस व्यवस्था की पोल खोलने वाला संकेत भी है। अगर अब भी पुलिस नहीं जागी, तो वो दिन दूर नहीं जब पूरे अम्बिकापुर में ‘सुरक्षा’ सिर्फ एक सपना बनकर रह जाएगी।