Raipur News: बाघों को संरक्षण देने के लिए वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत अलग-अलग स्तर पर तीन प्रकार की वैधानिक समितियां गठित कर बाघों और अन्य वन्यजीवों को संरक्षण प्रदान करना है। परंतु छत्तीसगढ़ में इन समितियों की बैठक गठन के 12 वर्ष में थी नहीं होने के कारण 2021 में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए आज मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा तथा न्यायमूर्ति नरेश कुमार चंद्रवंशी की बेंच ने शासन से नया एफिडेविट देने का आदेश देते हुए कहा है कि पिछले तीन साल में प्राप्त फण्ड का हिसाब दें। कोर्ट ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से भी जवाब माँगा है। प्रकरण की अगली सुनवाई 6 नवम्बर को निर्धारित की गई है।
याचिकाकर्ता रायपुर निवासी नितिन सिंघवी की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व की दैनिक प्रबंधन एवं प्रशासन समिति की बैठक 2009 के बाद से सिर्फ सात बार हुई है, इंद्रावती टाइगर रिजर्व में सिर्फ पांच बैठक हुई है तथा उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में एक भी बैठक नहीं हुई है जबकि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की गाइडलाइंस के अनुसार यह बैठकर प्रति माह होनी चाहिए। याचिकाकर्ता की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि एनटीसीए के अनुसार छत्तीसगढ़ में बाघों के चार कॉरिडोर मिलते हैं अतः छत्तीसगढ़ टाइगर संरक्षण के लिए बहुत महत्वपूर्ण जगह है।
मूल याचिका में बताया गया है कि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली 14 सदस्यीय स्टीयरिंग कमिटी या संचालन समिति की बैठक आज तक नहीं हुई है। इसी प्रकार वन मंत्री की अध्यक्षता वाली 10 सदस्यीय बाघ संरक्षण फाउंडेशन की गवर्निंग बॉडी की बैठक तीनों टाइगर रिज़र्व में आज तक नहीं हुई है। मूल याचिका में यह भी बताया गया है कि एनटीसीए ने वर्ष 2012 में गाइडलाइंस जारी की थी, जिसके तहत रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया जाना था तब सभी वनमंडलों को बजट जारी कर निश्चेतना बंदूक दवाइयां इत्यादि खरीदने के लिए आदेश दिए गए थे और ख़रीदे गए थे, परंतु अचानकमार टाइगर रिजर्व और उदंती सीतानाडी टाइगर रिजर्व में रैपिड रिस्पांस टीम अस्तित्व में नहीं है, इंद्रावती टाइगर रिजर्व में इसका गठन 2020 में किया गया है।