बालोद : छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डाॅ. किरणमयी नायक ने आज संयुक्त जिला कार्यालय के सभाकक्ष में बालोद जिले से आयोग को प्राप्त प्रकरणों की सुनवाई की। उन्होंने पक्षकारों की उपस्थिति में दोनो पक्षों के कथनों को सुनकर नियमानुसार त्वरित कार्यवाही की। जिन प्रकरणों की सुनवाई पूरी कर ली गई, उसे नस्तीबद्ध किया गया। आज की सुनवाई में कुल तेरह प्रकरण रखे गए थे, जिनमें आठ प्रकरणों पर सुनवाई कर नस्तीबद्ध किया गया। इस अवसर पर प्रदेश की महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री अनिला भेंडिया, संजारी-बालोद विधायक संगीता सिन्हा, जिला पंचायत अध्यक्ष सोनादेवी देशलहरा, कलेक्टर जनमेजय महोबे, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डी.आर.पोर्ते आदि मौजूद थे।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डाॅ. नायक ने सुनवाई के दौरान कहा कि महिला आयोग महिलाओं के हितों की रक्षा करती है। महिला आयोग का उद्देश्य पीड़ित महिला को उचित न्याय दिलाकर सम्मानपूर्वक जीवन यापन करने की राह प्रशस्त करना है। उन्होंने कहा कि न्यायालय मे चल रहे प्रकरणों की सुनवाई महिला आयोग द्वारा नहीं की जाती। सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका की मानसिक प्रताड़ना के मामले को गंभीरता से संज्ञान में लेते हुए अध्यक्ष डाॅ. नायक ने त्वरित कार्यवाही करते हुए अनावेदक को आदेशित किया कि बच्चों की सुरक्षा के लिए बैंक में खाता खुलवाए और प्रति माह तीन हजार रूपए उक्त खाता में जमा कराए और कहा गया कि यदि उसका पति आवेदिका के साथ अत्याचार या किसी प्रकार का कष्ट पहुॅचाता है तो उसके पति के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
इसी प्रकार एक अन्य मामले में आवेदिका द्वारा कार्य के दौरान मानसिक प्रताड़ना की शिकायत पर प्रकरण की जाॅच हेतु जिला पंचायत बालोद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को निर्देशित किया गया। उन्हें कहा गया कि वे दो माह के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। उभयपक्ष अपना समस्त दस्तावेज जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पास जमा करेंगे। मानसिक प्रताड़ना के अन्य मामले में दोनो पक्ष आयोग के समक्ष उपस्थित हुए। मामले को संज्ञान में लेते हुए डाॅ. नायक ने आवेदिका को सुना आवेदिका महिला की शिकायत पुलिस ने दर्ज नही की थी वरन उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कर दी थी, डॉक्टर और एएसआई के खिलाफ आयोग ने सख्ती दिखाई और उनके खिलाफ दो माह में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिया।
सुनवाई हेतु प्रस्तुत प्रकरणों में शारीरिक शोषण, सम्पत्ति विवाद, मानसिक प्रताड़ना आदि से संबंधित थे। सुनवाई के दौरान कोविड-19 के गाइडलाईन का पालन किया गया और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सुनवाई की गई।