अम्बिकापुर. छत्तीसगढ़ में बरसात में होने वाली मौसमी बीमारी आई फ्लू तेजी से फैल रहा है. छत्तीसगढ़ के अधिकतर जिलों में यह बीमारी फैल चुकी है. आंख में होने वाली संक्रमण से लोग परेशान हैं. लोग आई फ्लू का इलाज कराने के लिए अस्पतालों और डॉक्टरों के पास जा रहे है. इसी कड़ी में सरगुजा जिले में भी आई फ्लू बीमारी ने दस्तक दे दी है. अम्बिकापुर के जवाहर नवोदय विद्यालय में 120 बच्चे आई फ्लू से संक्रमित हो गए है.
मेडिकल कॉलेज अस्पताल द्वारा लगाए गए शिविर में 120 बच्चे आई फ्लू से संक्रमित पाए गए. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरएन गुप्ता ने सरगुजा जिले के समस्त आवासी विद्यालयों में रहने वाले बच्चों को शिविर लगाकर जांच के निर्देश दिए हैं. वहीं नवोदय विद्यालय के आई फ्लू प्रभावित बच्चों को स्वास्थ्य विभाग आई ड्रॉप व दवाई उपलब्ध करा रहा है. स्वास्थ्य विभाग ने संक्रमित व्यक्तियों को काला चश्मा लगाने और डॉक्टरों की सलाह पर दवा लेने की अपील की है.
ये है बीमारी के लक्षण
आई फ्लू में आंखें लाल हो जाती हैं. आंखों से पानी आने लगता है, जलन होती है. पलकों पर पीला और चिपचिपा तरल जमा होने लगता है. आंखों में चुभन होने के साथ-साथ सूजन आ जाती है. आंखों से पानी आना और खुजली होना इसके सामान्य लक्षण हैं. अगर इन्फेक्शन गहरा हो तो आंखों की कॉर्निया को भी नुकसान हो सकता है जिससे आंखों की दृष्टि प्रभावित हो सकती है. मानसून सीजन में आई फ्लू का खतरा बच्चों में सबसे ज्यादा होता है.
इस बीमारी से ऐसे बचा जा सकता है
आई फ्लू या कन्जंक्टिवाइटिस से बचाव के लिए आंखों की सफाई का पूरा ध्यान रखें और उन्हें ठंडे पानी से बार-बार धोएं. किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें. कन्जंक्टिवाइटिस से पीड़ित होने पर बार-बार आंखों पर हाथ न लगाएं. आंखों में आई ड्रॉप डालने से पहले हाथों को अच्छी तरह धो लें. आंखों पर बर्फ की सिकाई जलन और दर्द से राहत दिलाती है. संक्रमण के दौरान गंदगी और ज्यादा भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें. संक्रमित व्यक्ति से हाथ न मिलाएं और उनकी चीजें जैसे चश्मा, तौलिया और तकिया न छुएं. साथ ही अपना तौलिया, रूमाल, चश्मा किसी के साथ साझा न करें. अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए तो जल्द ही यह समस्या दूर हो सकती है.