पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने सर्व आदिवासी समाज द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता में सरकार को चेताया कि आदिवासियों की हो रही लगातार उपेक्षा एवम उंनकी आस्था पर चोट से उनमें जबरदस्त असंतोष पनप रहा है। जो आने वाले समय में बड़े विद्रोह का कारण बन सकता है।
इसलिए समय रहते सरकार व प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। बैलाडीला, आमादेई, रावघाट के खनन पर पेशा कानून और वन भूमि अधिकार के तहत होना चाहिए, न कि मनमाने ढंग से आदिवासियों की आस्था केंद्रों का दोहन करना चाहिए।
उन्होंने सरकार पर पुलिस को बचाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सिलगेर की घटना पर एसडीएम की रिपोर्ट के अलावा दो-दो ज्युडिसियल कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद भी उनको सार्वजनिक नहीं किया गया। जबकि किसी भी विवादित घटना की जानकारी में पारदर्शिता अपनाना प्रजातंत्र का मुख्य उद्देश्य है। उसे छुपाना या पर्दा डालने की कोशिश गड़बड़ी की आशंका को मजबूती प्रदान करता है।
उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी राजनैतिक दल से ज्यादा उम्मीद अपने को धोखा देने जैसा है। आगामी चुनाव में आदिवासी चेहरे की मांग पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि भाजपा और कांग्रेस के रहते ऐसा होना सम्भव नहीं। इस अवसर पर आदिवासी समाज के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।