जगदलपुर. सरकार बस्तर में विकास के चाहे लाख दावे करें लेकिन यहां की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। आजादी के 75 साल बाद भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से लंबे समय से जूझ रहे हैं। हालांकि शासन प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधि नक्सलियों का हवाला देते हुए अंदरूनी गांव तक विकास नहीं पहुंच पाने की बात कहते हैं। लेकिन हकीकत तो यह है कि जो गांव नक्सल ग्रसित नहीं है उन गांव में भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। खासकर पेयजल की समस्या सालों से बनी हुई है। लेकिन शासन-प्रशासन जनप्रतिनिधि केवल अपने कार्यालयों में ग्रामीणों के आवेदन इकट्ठा करते है। लेकिन उनके समस्याओं के समाधान के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले और नारायणपुर विधानसभा का बाकेल गांव के सैकड़ों ग्रामीण पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं। दरअसल इस इलाके के धरती में पेयजल में फ्लोराइड का जहर मिला हुआ है। यहां के जितने हैंडपंप और नल हैं सभी में फ्लोराइड युक्त पानी आता है और इस पानी को पीकर कई बच्चे, बूढ़े और महिलाएं बीमार पड़कर मौत के मुंह में समा गए हैं। तो कई बच्चों का भविष्य अधर में चले गया है क्योंकि इस पानी को पीकर कई बच्चे अपंगता की जिंदगी जी रहे हैं. इन गांव तक शुद्ध पानी पहुंचाने में भी जनप्रतिनिधि और प्रशासन असमर्थ हो रहे है. यही वजह है कि अपनी जान बचाने के लिए गांव के ग्रामीण महिलाओं को झरिया का पानी निकालकर लाने में मजबूर होना पड़ रहा है.
जगदलपुर शहर से करीब 70 किलोमीटर दूर नारायणपुर विधानसभा के बाकेल पंचायत के कोंगालगुड़ा गंवा के साथ ऐसे 15 से अधिक गांव के ग्रामीण हैं जो फ्लोराइड युक्त पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। यहां के पानी में फ्लोराइड की मात्रा काफी ज्यादा होने की वजह से बच्चों के दांत झड़ने के साथ पूरे गांव के ग्रामीण बीमार पड़ रहे हैं। इस फ्लोराइड युक्त पानी को पीकर अपंगता आ रही है। लंबे समय से ग्रामीण फ्लोराइड युक्त पानी से जूझ रहे हैं और ऐसे लोगों की संख्या 100 नही 200 नहीं बल्कि 500 से अधिक है।
हालांकि प्रशासन ने फ्लोराइड युक्त पानी से निजात दिलाने के लिए कुछ कुछ जगहों पर वाटर फिल्टर प्लांट लगाया है लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में यह फिल्टर प्लांट भी पूरी तरह से कबाड़ बन चुके हैं। उसके बाद से स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। लिहाजा यहां के ग्रामीण महिलाओं को अपने गांव से करीब 5 किलोमीटर दूर नारंगी नदी के सूखते झरिया से पानी निकालकर अपनी जिंदगी और परिवार वालो की जिंदगी बचाना पड़ रहा हैं। इस झरिया से पानी के लिए ग्रामीण महिलाओं को 2 से 3 घंटे समय का इंतजार करना पड़ता है। जैसे तैसे इस झरिया से पानी निकाल कर ग्रामीण अपना प्यास बुझा रहे हैं। ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि गर्मी के दिनों में तो बूंद बूंद के लिए उन्हें तरसना पड़ता है. एक गुंडी पानी के लिए उन्हें 2 घंटों का इंतजार करना पड़ता है। कुछ दिनों में गर्मी का मौसम आने वाला है उससे पहले ही पेयजल की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।
इस मामले को लेकर नारायणपुर विधायक चंदन कश्यप ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। इससे साफ होता है कि यहां के विधायक सारी परेशानी से अवगत है बावजूद उनकी समस्याओं को उनके हाल पर छोड़े हुए है। चुनावी के समय मे बड़े बड़े वादे करने वाले यह नेता पद पाने के बाद अपने ही वोटरों की परेशानी को दरकिनार कर देते है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बासुखी यादव का कहना है कि पानी की समस्या के कारण वे अच्छे से खाना तक नही पका पाती। बच्चों को घर से दूर नदी में नहलाने लाना पड़ता हैं।
ग्रामीण निगीता सैफ का कहना है कि साल भर से हम लोग झरिया का पानी पी रहे हैं। विधायक के पास समस्या लेकर पहुँचे तो 1 हफ्ते में ठीक होने का आश्वासन दिया था लेकिन आज तक समस्या बनी हुई है।
ग्रामीण सोमनाथ यादव ने प्रशासन से उम्मीद जताई है। कि जल्द से जल्द उनके लिए व्यवस्था हो।
सरपंच पति ढेमन राम बघेल ने ग्रामीणों से कहा कि वे विधायक से अपनी समस्या बतये। विधायक से मेरी फोन में बात हुई तो पानी मे फ्लोराइड की बात मैंने बताई।