छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में सरगुजा कमिश्नर के आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है और वह भी एक ऐसे नायब तहसीलदार के लिए जिनकी शिकायतें कलेक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक से हुई है। ऐसे में अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पारदर्शिता रखने के स्पष्ट निर्देश भी बेअसर साबित हो रहे है।
दरअसल, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जून के पहले सप्ताह में भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान बलरामपुर जिले के प्रवास पर रहे। इस दौरान मुख्यमंत्री से राजपुर में स्थानीय जनप्रतिनिधियों समेत विभिन्न समाज प्रमुखों ने तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार सुरेश राय की शिकायत की थी। यही नहीं स्थानीय नागरिकों समेत खुद राजपुर नगर पंचायत अध्यक्ष राजपुर सहदेव लकड़ा ने आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) से लेकर मुख्य सचिव तक से सुरेश राय की शिकायत की थी।
कभी राजपुर के प्रभारी तहसीलदार रहे सुरेश राय के विरुद्ध अवैध वसूली व तहसील कार्यालय से शासकीय कार्यो का सम्पादन ना कर, एक शिक्षक के निवास में अस्थाई दफ्तर संचालित करने तक के आरोप लगे थे। तब तत्कालीन सरगुजा कमिश्नर जी.आर. चुरेन्द्र ने जून माह के दूसरे सप्ताह में नायब तहसीलदार सुरेश राय को सरगुजा जिले में भू-अभिलेख कार्यालय में अटैच करते हुए, तत्कालीन तहसीलदार सुरेश राय के विरुद्ध हुए तमाम शिकायतों के जांच के निर्देश दिए थे।
वहीं कमिश्नर के आदेश के बावजूद नायब तहसीलदार सुरेश राय का स्थानांतरण शंकरगढ कर दिया गया। हद तो तब हो गई जब बलरामपुर कलेक्टर विजय दयाराम के. ने 28 अक्टूबर को तहसीलदारों के स्थानांतरण आदेश जारी करते हुए नायब तहसीलदार सुरेश राय को जिला मुख्यालय यानी बलरामपुर का प्रभारी तहसीलदार पदस्थ किया है। अब भला कलेक्टर साहब ने यह आदेश जानबूझकर किया है या फिर विभागीय जांच पूर्ण होने के बाद किया है यह समझ से परे है।
इस संबंध में बलरामपुर कलेक्टर विजय दयाराम के. से चर्चा की तो उन्होंने कहा उनके (नायब तहसीलदार) खिलाफ पहले शिकायत हुई थी उसकी जानकारी उन्हे हमारे ही माध्यम से मिल रही है। उन्होंने आगे कहा कि मुझे पता करना पड़ेगा की उसमें क्या हुआ, क्योंकि मेरे समय में तो हुआ नहीं है।