बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..सरगुजा रेंज के एक थानेदार और हवलदार को एफआईआर से छेड़छाड़ करना महंगा पड़ गया..रेंज आईजी ने दोनो ही अधिकारियों को निलंबित कर दिया है..सूत्र बताते है की आईजी ने किसानों से संबंधित केंद्रीय सहकारी बैंक के मामले हुए एफआईआर के संबंध में यह कार्यवाही की है..हालांकि विभाग ने इतनी गोपनीयता बनाई हुई है..की थानेदार और हवलदार का निलंबन से संबंधित आदेश सार्वजनिक नही किया है!..
दरअसल सरगुजा रेंज के रामानुजगंज थाने में एक शिकायत के आधार पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी..जिसे ऑनलाइन भी किया गया..जिसमे 3 आरोपी ही बताया गया..जबकि खुद पुलिस के आलाधिकारी इस मामले में 4 आरोपियों की पुष्टि करते नजर आए थे..मामला करोड़ों का था और किसान क्रेडिट कार्ड पर लोन लेने का था..किसानों की कर्ज माफी वैसे भी पूर्ववर्ती सरकार कर ही रही थी..मगर विष्णुदेव की सरकार ने ऐसा कुछ ऐलान नही किया..और पर्दाफाश हो गया!..
ऐसे हुआ खुलासा
बता दे जिन सात लोगो के नाम पर लोन लिए गए..उन्होंने लोन लिया ही नही..उनके नामपर तत्कालीन शाखा प्रबंधक सहकारी बैंक रामानुजगंज ने अपने तीन साथियों कैशियर ऑपरेटर के साथ मिलकर करोड़ों की राशि अपने बैंक खातों में जमा करा लिया..उसके बाद बैंक के प्रबंधक बदल गए..उन्होंने संबंधित लोगो को कर्ज पटाने का नोटिस जारी किया..इस बीच सत्ता बदली ..सरकार ने किसानों के कर्ज माफ करने की घोषणा नहीं की..फिर सब सच सामने आ गया!..
केंद्रीय सहकारी बैंक के मैनेजर ने लगभग 1 करोड़ 33 लाख से अधिक का गबन..विभागीय जांच में पाया..जिसकी शिकायत रामानुजगंज थाने में की गई.. जहां पहले से ही अवसर की तलाश में बैठे हवलदार और थानेदार ने अपना खेल खेला..और आज नाप दिए गए!.
आईजी ने कराई थी जांच..
सूत्रों का कहना है की पुलिस ने पहले प्रार्थी बैंक प्रबंधन को जो एफआईआर की कापी दी ..उसमें चार आरोपी थे..जिसमे तत्कालीन सहकारी बैंक के प्रबंधक समेत वर्तमान बैंक प्रबंधक और कैशियर, कम्प्यूटर ऑपरेटर शामिल थे..बैंक प्रबंधन के जांच रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर भी दर्ज हुआ था..लेकिन ऑनलाइन एफआईआर में तत्कालीन बैंक प्रबंधक या यूं कहे की इस पूरे खेल मास्टर माइंड का नाम ही गायब था..जिसके बाद संदेह के आधार पर एक बार फिर बैंक प्रबंधन ने आईजी सरगुजा से शिकायत की..और आईजी सरगुजा ने जांच कराई..फिर दूध का दूध और पानी का पानी हो गया..
हालांकि इस मामले में दो आरोपी गिरफ्तार ही चुके है…एक फरार भी है..और तीसरे को बचाने की कवायद में रामानुजगंज थानेदार ललित यादव, हवलदार उमेश यादव को निलंबित कर दिया गया है!..
बहरहाल..इस घटनाक्रम से जुड़े पहलुओं पर स्थानीय पुलिस के अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे है..लेकिन कार्यवाही हुई है..यह वे दबी जुबान से स्वीकार भी कर रहे है!.आईजी अंकित गर्ग ने इस कार्यवाही के माध्यम से एक संदेश भी दे दिया है..की सफेद पोश का रसूख कुछ हद की ही सही है..लेकिन उस रसूख के दम पर विभाग की नैय्या डूबा देना. कतई बर्दाश्त नहीं है!.