सुनियोजित तरीके से धार्मिक भावना आहत करने को लेकर ब्राम्हण समाज ने SDM को ज्ञापन सौंप जताया विरोध, जनजातीय सुरक्षा मंच भी ब्राम्हण समाज के समर्थन में आया आगे


सीतापुर (फटाफट न्यूज) | अनिल उपाध्याय

Surguja News: राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद द्वारा आयोजित होने वाले महासम्मेलन में सुनियोजित तरीके से ब्राम्हणो की भावना आहत करने को लेकर ब्राम्हण समाज लामबंद हो गए है। सर्व ब्राम्हण समाज ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए इसे सामाजिक समरसता के लिए घातक बताया है। इस संबंध में उन्होंने एसडीएम, एसडीओपी एवं थाना में ज्ञापन सौंप उचित कार्रवाई करते हुए इस आयोजन पर रोक लगाने की मांग की है। इस आयोजन के विरुद्ध में अखिल भारतीय जनजातीय सुरक्षा मंच भी ब्राम्हण समाज के पक्ष में खड़ा हो गया है। इस संबंध में सुरक्षा मंच के पदाधिकारियों ने एसडीएम को ज्ञापन सौंप इस आयोजन पर रोक लगाने की मांग की है।

गौरतलब है कि आगामी 12 नवंबर को राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद द्वारा लालबहादुर शास्त्री स्टेडियम में एक दिवसीय आदिवासी मूलनिवासी महासम्मेलन का आयोजन किया गया है। जिसमे उन्होंने ब्राम्हणों को टारगेट करते हुए छतीसगढ़ में आदिवासियों का आरक्षण 32 प्रतिशत से 20 प्रतिशत कर आदिवासियों का प्रतिनिधित्व खत्म करने, केंद्र सरकार के आदेश पर छ ग सरकार द्वारा 5वी एवं 6वी अनुसूची का संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन करने हसदेव अरण्य परसा केते का पेड़ कटवा आदिवासियों को जल जंगल जमीन और खनिज संपदा से वंचित कर चिरस्थाई गुलाम बनाने, लोकतंत्र में आदिवासियों को 7.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी निष्पक्ष न देने,पूना पैक्ट के द्वारा आदिवासियों का पृथक निर्वाचन क्षेत्र खत्म कर संयुक्त निर्वाचन प्रणाली से चुनाव कराने, डिलिस्टिंग के नाम पर प्रोपगेंडा कर आदिवासियों के बीच लड़ाई करवाने एवं विकास, पर्यावरण संरक्षण वन्यप्राणी संरक्षण के नाम पर आदिवासियों को विस्थापित कर पांचवी अनुसूची क्षेत्र को खत्म करने का आरोप ब्राम्हणों पर लगाया गया है। जिससे ब्राम्हण समाज काफी आहत है।

इस संबंध में ब्राम्हण समाज का कहना है कि ये सारे काम कानून के दायरे में रखकर सरकार द्वारा शासकीय तौर पर की गई है। इसके लिए ब्राम्हण समाज को दोषी ठहराना कही से भी न्यायसंगत नही है। ऐसे आयोजनों से समाज मे भाईचारा एवं सामाजिक समरसता प्रभावित होगा और इससे भेदभाव बढ़ेगा। ब्राम्हण समाज ने इसे पूर्वाग्रह से ग्रसित एवं सुनियोजित तरीके से ब्राम्हणों को बदनाम करने की साजिश करार दिया है। राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद द्वारा आयोजित इस सम्मेलन को ब्राम्हणों को बदनाम कर उनकी भावनाओं को आहत करने वाला बताते हुए कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। इस संबंध में ब्राम्हण समाज ने नगर में कानून व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देते हुए एसडीएम को ज्ञापन सौंप उचित कार्रवाई समेत इस आयोजन पर रोक लगाने की मांग की है। ताकि समाज मे भाईचारा एवं शांति व्यवस्था कायम रहे। ज्ञापन सौंपने के दौरान अध्यक्ष के के त्रिपाठी, उदयनारायण ओझा, अधिवक्ता के के दुबे, रूपेश मिश्रा, पंकज दुबे, दिनेश पांडेय, अभिषेक पांडेय, राजीव पाठक, अनिल उपाध्याय समेत ब्राम्हण समाज के सदस्य उपस्थित थे।

ब्राम्हण समाज के समर्थन में आगे आया अखिल भारतीय जनजातीय सुरक्षा, ज्ञापन सौप जताया विरोध

अखिल भारतीय जनजातीय सुरक्षा मंच ने ब्राम्हण समाज के समर्थन में आगे आते हुए राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद के महासम्मेलन का विरोध किया है। इस संबंध में सुरक्षा मंच के संरक्षक नाथूराम ने एसडीएम एसडीओपी एवं थाना में ज्ञापन सौंप इस आयोजन पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने इस महासम्मेलन की आड़ में ब्राम्हण एवं सनातन आदिवासी समाज के बीच वैमनस्यता बढ़ाने का आरोप लगाते हुए कहा कि डिलिस्टिंग की मांग अखिल भारतीय जनजातीय सुरक्षा मंच द्वारा उठाया गया है। जिसके तहत आदिवासी संस्कृति से अलग होकर धर्म परिवर्तन कर चुके लोगो को बाहर का रास्ता दिखाना है। जिससे ये लोग बौखला गए है और एक षडयंत्र के तहत ब्राम्हण एवं आदिवासियों के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश कर रहे है। उनका यह प्रयास कभी सफल नही होने दिया जाएगा। इसके बदले उन्हें मुहतोड़ जबाब दिया जायेगा। ज्ञापन सौंपने के दौराम सुरक्षा मंच के अन्य पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित थे।