Surguja: शिवनगर से न्याय यात्रा में निकले राहुल गांधी को पीईकेबी खदान के ग्रामीणों ने सौंपा ज्ञापन, खदान के नियमित संचालन के लिए फिर से लगाई फरियाद

अम्बिकापुर. Bharat Jodo Nyay Yatra: राहुल गांधी की भारत जोड़ों न्याय यात्रा की शुरुआत मंगलवार को सूरजपुर जिले के शिवनगर से शुरू हुई। इस दौरान खदान प्रभावित ग्रामों के आदिवासियों ने सुबह पाँच बजे से ही राहुल गांधी से मिलने और ज्ञापन देने शिवनगर के विश्राम गृह पहुँचे। इन ग्रामीणों ने राहुल की जीप के समीप जाकर उसमें बैठे एक साथी को अपना ज्ञापन सौंपा।

दरअसल, राहुल गांधी की न्याय यात्रा को लेकर खदान के समर्थन में प्रभावित ग्रामों के आदिवासी काफी उत्साहित थे। इसलिए राहुल से मिलने की आस लिए खदान के आसपास के 14 गांवों के 50 से अधिक आदिवासी पुरुषों और महिलाओं का समूह सोमवार रात से ही तैयारी में था।

खदान प्रभावित ग्राम घाटबर्रा के कृष्ण चंद्र व सावित्री आर्मो, परसा की आमिता सिंह पोर्ते, तारा के शिवरतन, साल्ही के मोहर पोर्ते, बुद्धिमान सिंह, सुनिन्द्र उईके, राजेश्वर दास, रधुनंदन सिंह पोंर्ते सहित फतेहपुर, जनार्दनपुर, शिवनगर के 20 से ज्यादा आदिवासियों ने मंगलवार अलसुबह से ही विश्राम गृह में जुटे हुए थे।

समस्त कोल परियोजना प्रभावित ग्रामवासीयों ने अपने ज्ञापन में खदान के संचालन में सहयोग प्रदान करने की बात करते हुए राहुल गांधी को लिखा कि सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखण्ड की एकमात्र कोयला परियोजना परसा ईस्ट केते बासेन विगत 12 वर्षों से संचालित है जिसमें हजारों आदिवासियों की रोजी-रोटी चलती है। सभी ग्रामवासी आपसी सहमति से निजी भूमि देकर इस परियोजना को 12 साल पूर्व खोलवाये है। इस परियोजना के आने से इस क्षेत्र के बच्चों को निःशुल्क सीबीएसई अंग्रेजी माध्यम स्कूल कक्षा-12 तक पढ़ाई करवाने के साथ-साथ स्वास्थ्य, बिजली, पानी, सड़क सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराया जा रहा है तथा परियोजना प्रभावित क्षेत्र के दर्जनों स्वसहायता समूह के सैकड़ों महिलाओं को महिला उद्यमी स्वसहायता समूह के माध्यम से जीविकोपार्जन का कार्य कर रहे है। जिससे उनके जीवन स्तर में दिनों दिन निरन्तर आर्थिक क्षेत्र में उन्नति हो रही है। उन्होंने राहुल को पूर्व में लिखे पत्रों का भी उल्लेख किया। 

ज्ञापन में ग्रामीणों ने खदान के विरोधियों को बाहरी बताया और लिखा कि स्थानीय लोगों में इस परियोजना के प्रति कोई विरोध नही है। विरोध के नाम पर केवल बाहरी लोग संख्या बल के साथ आते हैं। ये लोग हम आदिवासियों के विकास में बड़ी बाधा बनकर हम लोगों को आगे बढ़ने से रोक रहे है।

वहीं पेंड़ों की कटाई का भी उल्लेख किया और आंदोलनकारियों द्वारा भ्रम फैलाये जाने की बात लिखी है जो कि समस्त राज्य एवं केन्द्र सरकार के वैधानिक कार्यवाही पूर्ण होने के बाद खदान का संचालन किया जा रहा है। विगत 12 वर्षों में लगभग 93 हजार पेंड़ों की कटाई हुई है जब कि ओपन कास्ट माइन्स का समतलीकरण कर 11.50 लाख सभी प्रजाति के पौधे लगाये गये हैं जो आज जंगल का रूप धारण कर चुका है। इसके अलावा वैकल्पिक वृक्षारोपण के माध्यम से 3700 हेक्टेयर भूमि पर वन विभाग के द्वारा लगभग 40 लाख पेंड़ लगाये गये है जिससे किसी प्रकार का पर्यावरण का नुकसान नही हो रहा है।

खदान के समर्थन में खड़े इन आदिवासियों ने राहुल गांधी से उनके लिए सामाजिक, आर्थिक, शिक्षा एवं स्वास्थ्य तथा रोजगार के लिए आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में संचालित परसा ईस्ट केते बासेन एवं परसा कोल ब्लाक को सुचारू रूप से संचालन करने में सहयोग प्रदान करने की फरियाद लगायी है।

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