अम्बिकापुर के तराई क्षेत्र में निर्माण कार्यों का हैं बुरा हाल, ठेकेदारी प्रथा से हो रहे निर्माण कार्य मे गुणवत्ता हुआ दरकिनार

फ़टाफ़ट न्यूज़/सीतापुर || अनिल उपाध्याय

सरगुजा..मैनपाट के तराई क्षेत्रों के ग्राम पंचायतों में कराए जा रहे निर्माण कार्यो का बड़ा बुरा हाल गई।ठेकेदारी प्रथा से कराए जा रहे लाखो के निर्माण कार्यो में गुणवत्ता पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया हैं। शासन के पैसों से होने वाले निर्माण कार्यो की गुणवत्ता की निगरानी करने वाले विभागीय अधिकारियों ने भी इस इससे अपना पल्ला झाड़ लिया हैं। जिसकी वजह से अनुपयोगी निर्माण सामग्री का जरूरत से ज्यादा उपयोग काम की गुणवत्ता को पूरी तरह प्रभावित कर दिया हैं। कमीशनखोरी के चक्कर मे पंचायतों में कराए गए निर्माण कार्यो की अगर जाँच हो जाये तो मिलावटी कार्यो की सच्चाई खुलकर सामने आ जायेगी।

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मालूम हो कि, विकासखंड मैनपाट के तराई क्षेत्र में स्थितग्राम पंचायत सलाईनगर में तटबंध एवं पुलिया के निर्माण कार्य स्वीकृत हुआ था।ग्रामीण यांत्रिकी विभाग की निगरानी में होने वाले इस कार्य का निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत को बनाया गया था।निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायत होने के बाद भी दोनों काम सरपंच सचिव की जगह ठेकेदार द्वारा कराया गया। दरअसल, ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव ने अपनी सेटिंग जमाते हुए ग्राम पंचायत में होने वाले निर्माण कार्यो का प्रस्ताव बाहरी ठेकेदार को दे दिया। ठेकेदार द्वारा ग्राम पंचायत के प्रस्ताव के आधार पर काम स्वीकृत कराने के बाद अपनी मर्जी से निर्माण कार्यो को अंजाम देने लगा। ग्राम पंचायत सलाईनगर के गोटीखोद नाले में बना स्टापडेम इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। जहाँ ठेकेदार ने विभाग द्वारा निर्धारित मापदंड को ठेंगा दिखाते हुए तटबंध का निर्माण करा दिया।निर्माण कार्य के दौरान मौके पर काम का निरीक्षण करने संबंधित विभाग के तकनीकि अधिकारी भी पहुँचे। जहाँ उन्होंने गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य पर रोक लगाने के बजाए चुप्पी साध वापस लौट गए।

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विभागीय अधिकारियों की चुप्पी की वजह से लाखो की लागत से निर्मित तटबंध घटिया निर्माण कार्य की बलि चढ़ गया। इसके अलावा ग्राम पंचायत सलाईनगर के उराँवपारा से होकर मांड नदी पहुँच मार्ग पर निर्मित पुलिया का भी यही हाल हुआ। विभागीय अधिकारियों की शह पर यहाँ भी ठेकेदार ने गुणवत्ता को ताक पर रखते हुए निर्माण कार्य को अंजाम दिया। पुलिया निर्माण के दौरान मनाही के बावजूद ठेकेदार द्वारा बोल्डर के साथ बड़े बड़े पत्थर डालकर पुलिया का निर्माण करा दिया गया। जिसे देख ऐसा लग जैसे विभाग द्वारा निर्माण कार्य हेतु बनाये गए स्टीमेट एव मापदंड ठेकेदार के लिए कोई मायने नहीं रखते हैं। निर्माण कार्य के दौरान बरती जाने वाली घोर लापरवाही एवं ठेकेदारी प्रथा को अधिकारियों का खुला संरक्षण विकासखंड मैनपाट के तराई क्षेत्र में होने वाले निर्माण कार्यो का बेड़ागर्क कर दिया हैं।

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निर्माण स्थल पर सूचना पटल तक नही-

ग्राम पंचायतों में होने वाले निर्माण कार्य के दौरान कार्य स्थल पर सूचना पटल लगाना अनिवार्य हैं।इसको शासन प्रशासन ने इसलिए अनिवार्य कर दिया हैं, और इसे कार्य स्थल पर लगवाने की जिम्मेदारी अधिकारियों की हैं। ताकि गांव के लोगो को ये पता चल सके कि यह निर्माण कार्य किस योजना से हो रही हैं, और इसकी लागत कितनी हैं। इस सोच के पीछे सरकार की मंशा ये रहती है कि गांव में सरकार के विकास कार्यो का प्रचार प्रसार हो सके। ताकि गांव के लोगो मे सरकार के काम काज को लेकर एक बेहतरीन छवि स्थापित हो सके। इसके बावजूद ग्राम पंचायत सलाईनगर में होने वाले तटबंध एवं पूलिया निर्माण कार्य स्थल पर सूचना पटल नही लगाए गए थे।