अम्बिकापुर: क्या वीआईपी सुरक्षा तक ही सीमित रही ट्रैफिक पुलिस? सीएम विष्णुदेव साय की सभा के बाद 5 घंटों तक नहीं हटा टेंट… जनता हुई परेशान

CM in Ambikapur: अम्बिकापुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के अम्बिकापुर दौरे के दौरान भाजपा महापौर प्रत्याशी मंजूषा भगत के समर्थन में भव्य रोड शो और आमसभा आयोजित की गई। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला और जनता से भाजपा के पक्ष में मतदान करने की अपील की। लेकिन कार्यक्रम समाप्त होने के बाद भी घड़ी चौक के नजदीक बने अस्थायी पंडाल को समय पर नहीं हटाया गया, जिससे आम जनता को भारी ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ा।

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5 घंटे बाद भी नहीं हटा टेंट, आधी सड़क पर ही चलती रही गाड़ियां

मुख्यमंत्री का कार्यक्रम शाम 5 बजे समाप्त हो गया था, लेकिन इसके बावजूद रात 10 बजे तक टेंट और अन्य व्यवस्थाएं जस की तस बनी रहीं। फटाफट न्यूज की टीम जब मौके पर पहुंची तो वहां मौजूद कर्मचारियों ने बताया कि टेंट हटाने में अभी और 2 घंटे लगेंगे। यानी कि आधी रात 12 बजे तक भी टेंट पूरी तरह नहीं हट पाएगा।

घड़ी चौक शहर का प्रमुख व्यस्ततम क्षेत्र है, जहां जाम की समस्या आम दिनों में भी रहती है। लेकिन पंडाल के कारण एक तरफ की सड़क बंद हो गई, जिससे वाहनों को सिर्फ एक लेन से निकलना पड़ा। यह स्थिति न केवल आम जनता के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही थी।

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प्रशासन की लापरवाही, ट्रैफिक मैनेजमेंट पर नहीं दिया ध्यान

इस अव्यवस्था के बावजूद पुलिस प्रशासन ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया। आमतौर पर ऐसे वीआईपी कार्यक्रमों के बाद ट्रैफिक को जल्द से जल्द सुचारू करने के निर्देश होते हैं, लेकिन इस बार ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला। कार्यक्रम के बाद पुलिस प्रशासन स्थानीय लोगों की समस्या से बेपरवाह नजर आया।

सवाल उठता है कि जब सीएम की सभा खत्म हो चुकी थी, तब ट्रैफिक बाधित करने वाली व्यवस्थाओं को तत्काल क्यों नहीं हटाया गया? क्या प्रशासन सिर्फ वीआईपी मूवमेंट के दौरान ही सक्रिय रहता है और आम जनता की परेशानियों को अनदेखा करता है?

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राजनीतिक सभाओं के बाद ट्रैफिक नियंत्रण पर ध्यान देना जरूरी

राजनीतिक दलों के कार्यक्रम लोकतंत्र का हिस्सा हैं, लेकिन ऐसे आयोजनों के कारण आम नागरिकों को दिक्कत न हो, यह सुनिश्चित करना भी प्रशासन और आयोजकों की जिम्मेदारी है। घड़ी चौक पर बने पंडाल को समय रहते हटाया जाता तो हजारों लोगों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता।

आम जनता को उम्मीद है कि भविष्य में इस तरह की लापरवाही को रोका जाएगा, ताकि कार्यक्रमों के बाद सामान्य जनजीवन बाधित न हो। प्रशासन और आयोजकों को चाहिए कि वे ट्रैफिक व्यवस्था को प्राथमिकता दें और जनता को अनावश्यक परेशानी से बचाएं।

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