अम्बिकापुर
दक्षिण पूर्व मध्य रेल के महा प्रबंधक आज अम्बिकापुर दौरे पर पंहुचे आगामी रेल बजट में यंहा विकास की संभावना तलाशने और निरीक्षण के लिहाज से अम्बिकापुर पंहुचे रेल जीएम की अगुवाई सरगुजा कलेक्टर नें की। इस दौरान सरगुजा सासंद और विधानसभा नेता प्रतिपक्ष नें भी उनसे मुलाकात कर कुछ लंबित रेल मांगो की पुलिंदा उन्हें सौंपा। लेकिन जीएम साहब नें कोई भी ऐसा इशारा नही किया जिससे सरगुजा की जनता खुश हो सके।
दक्षिण पूर्व मध्य रेल के महा प्रबंधक सतेन्द्र कुमार आज अपने टीम के साथ अम्बिकापुर रेल्वे स्टेशन का निरीक्षण करने पंहुचे। इस दौरान जीएम नें पहले तो रेल विकास की नई संभावनाओ का सर्वे किया फिर स्टेशन में मौजूद सांसद कमलभान सिंह और विधानसभा नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव के अलावा अन्य जनप्रतिनिधियो से मुलाकात की। इस दौरान जनप्रतिनिधियो नें पुरानी लंबित मांग से महाप्रबंधक को अवगत कराया। लेकिन इसके बाद मीडिया से चर्चा के दौरान जीएम सतेन्द्र कुमार नें जो कहा उससे क्षेत्र वाले मायूस हो सकते है । क्योकि जीएम साहब नें कहा रेल कोच या नई ट्रेन बढाने का मामला क्षेत्र के ट्रैफिक और भारतीय रेल की स्थिती पर निर्भर करता है और अम्बिकापुर एक छोटा सा स्टेशन है उस लिहाज से यंहा पर किसी चीज की कोई कमी नही है।
अपने अम्बिकापुर दौरे में पंहुचे जीएम सतेन्द्र कुमार नें रेल्वे स्टेशन कैंपस में 6 नवनिर्मित स्टाफ क्वाटर का उद्घाटन भी किया। साथ ही अम्बिकापुर रेल्वे स्टेशन की साफ सफाई की तारीफ भी की , लेकिन उनके दौरे से आम लोगो को जो उम्मीदे थी, वो शायद उम्मीद ही बनी रहेगी , क्योकि खुद जीएम नें ऐसा ही कहा दरअसल अम्बिकापुर.बरवाडीह प्रस्तावित रेल मार्ग के निर्माण शुरु होने का सवाल जब जीएम से पूछा गया तो उन्होने कहा कि उम्मीद को अभी उम्मीद रखो। साथ ही इसी मुद्दे पर जीएम नें कहा कि जो काम दो तीन साल में नही हो सकता उसके बारे में वो गलत कमीटमेंट नही करते है।
जीएम साहब के कहने के मुताबिक दो तीन साल तक बरवाडीह रेल मार्ग के काम की शुरुआत होना मुश्कित है एए बहरहाल आजादी के वर्षो बाद अम्बिकापुर तक पंहुची ट्रेन लाईन के बाद सरगुजा जैसे आदिवासी अंचल के लोगो को रेल मंत्रालय से हर बजट में कुछ ना कुछ अपेक्षा रहती है। और यही वजह है कि रेल को अनदा सा अधिकारी भी आ जाए तो उनकी चहलदकमी से लोग विकास की बाट जोहने लगते है। पर जब जीएम साहब नें रेल सुविधाओ के बारे में कोई खुशखबरी नही दी। तो रेल मंत्रालय से उम्मीद करना शायद बेईमानी ही होगा।