अम्बिकापुर.. वक़्त की गर्दिशों का ग़म न करो.. हौसले मुश्किलों में पलते हैं.. ऐसे ही हौसले से लबरेज हैं अम्बिकापुर की एक महिला आटो चालक.. बच्चो को बेहतर तालीम देने और पति का सहारा बनने के लिए महिला आटो चालक अपने दुधमुहे बच्चे को गोद मे बांधकर आटो चलाती है.. और ऐसा करने के पीछे वो अपनी और परिवार की जो मजबूरी बताती हैं.. वो किसी भी महिला के लिए फक्र का विषय हो सकता है..
आर्थिक रूप से कमजोर परिवार को भविष्य मे बेहतर बनाने के लिए तारा ऑटोरिक्शा चालक बन गईं.. तारा कामर्स विषय से 12वीं तक पढ़ाई कर चुकीं हैं… 10 साल पहले जब उनकी शादी हुई तो परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी। किसी तरह पति ने ऑटो चलाने का काम किया। परिवार की स्थिति सुधर सके इसके लिए तारा ने भी अपने पति का साथ दिया और खुद भी ऑटो चालक बन गई.. ऑटो रिक्शा चलाने वाली तारा के 3 बच्चे हैं .. उसकी बड़ी बच्ची 9 साल की है जिसे वह सीबीएससी स्कूल में पढ़ा रही है.. और वो बाकी के बच्चों को भी अच्छी शिक्षा देना चाहती है.. लिहाजा अपने सबसे छोटे बच्चो को अपने आचल मे बांध कर वो शहर मे आटो चलाते नजर आ जाती है..
तारा के मुताबिक समाज में जहां महिलाओं को पुरुषों से कम आंका जाता है, वहां महिलाओं के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वह हिम्मत के साथ खुद व परिवार के लिए खड़ी हों। तारा पिछले 5 साल से ऑटो चला रही हैं। उनकी ज्यादातर सवारियां महिलाएं होती हैं, जो उनके अच्छे व्यवहार और ऑटो चलाने की काबलियत के कारण उनके रिक्शा में सफर करना पसंद करती हैं.. इन सब में सबसे खास बात यह है कि तारा गरीब और जरूरतमंद लोगों को फ्री में उनकी मंजिल तक पहुंचाती हैं.. और यही वजह है कि शहर के गुलाबी गैंग वाली सभी महिला आटो चालक इनकी हर प्रकार से मदद करती हैं..
आज अंतराष्ट्रीय महिला दिवस है.. और ऐसे मे फटाफट न्यूज ऐसी महिला चालको को स्लयूट करता है… जिसने अपने बच्चो को बेहतर तालीम देने के लिए ऐसा बीडा उठाया है.. जो साधारण महिलाओ के लिए आसान बात नही हैं.. हांलाकि महिलाओ के लिए आदर्श तारा लगातार मेहनत कर अपने परिवार को धीरे धीरे गरीबी की छाया से निकालकर अपने बच्चो को बेहतर कल मे जुटी हैं.. जिन्हे एक बार फिर सलाम…
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