
– करोड़ों खर्च करने के बाद भी भ्रष्टाचार के गड्ढों को नहीं ढक पा रहा है नगर निगम प्रशासन
Ambikapur News: आदिवासी अंचल सरगुजा जिले में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है. यही वजह है कि जिम्मेदार विभाग सरगुजा के खिलाड़ियों को आधुनिक खेलो से जोड़ने और उच्च स्तरीय मैदान मुहैया कराने की आड़ में जमकर भ्रष्टाचार कर रहे है. मौजूदा मामला अम्बिकापुर शहर के गांधी स्टेडियम का है. जहां पिछले कुछ सालों में केंद्र और राज्य सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च किए, लेकिन स्टेडियम को आधुनिक बनाने की जिम्मेदारी लेने वाले अधिकारियों ने विकास की आड़ में जमकर बंदरबांट किया है. जिसकी वजह से स्टेडियम के कई मैदान फिर से पहले जैसे बदहाल होने लगे हैं.
नया हाल बेहाल
गांधी स्टेडियम में 1 साल पहले बनकर तैयार हुए मल्टीपरपज इनडोर स्टेडियम के निर्माण में इस कदर भ्रष्टाचार किया गया है कि, यह इनडोर स्टेडियम 1 साल में ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने लगा है. करीब 4 करोड़ की लागत से बने मल्टीपरपज इनडोर हॉल के अंदर बैडमिंटन, बास्केटबॉल, टेबल टेनिस, कुश्ती और कबड्डी जैसे खेल वुडन फ्लोर में करने का प्रावधान है. जिससे खिलाड़ी चोटिल होने से बच सकें और धूप और बारिश में भी प्रतियोगिताएं हो सकें, लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि, इस इनडोर हाल में लगे वुडन फ्लोर ही सड कर खराब होने लगे हैं. मतलब जिम्मेदारों ने, नगर निगम प्रशासन ने ठेकेदारों से जो वुडन फ्लोर लगवाया है. उसको तय मानक के हिसाब से नहीं लगाया गया है. स्थिति यह है कि एक साल पहले गांधी स्टेडियम में बना मल्टीपरपज इनडोर हॉल संभवत आने वाले 1 साल भी अस्तित्व में नहीं रहेगा.

बास्केटबॉल ग्राउंड का रबड़ कोड खराब
सरगुजा जिले में बास्केटबॉल के खिलाड़ी सबसे अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके हैं. इस खेल के बलबूते कई खिलाड़ी आज रेलवे और अन्य सरकारी संस्थाओं के साथ कई गैर सरकारी संगठनों में अच्छे-अच्छे पदों पर काम कर रहे हैं, लेकिन गांधी स्टेडियम के अंदर स्थित बास्केटबॉल ग्राउंड भी भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ रहा है. जानकारी के मुताबिक करीब 1 साल पहले बास्केटबॉल के खराब मैदान को अत्याधुनिक बनाने के लिए उसमें रबर कोटिंग की गई थी. कई परत में की जाने वाली रबड़ कोडिंग करने में करीब 14 लाख रुपए खर्च किए गए थे, लेकिन खराब मटेरियल और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानक के हिसाब नहीं बनने के कारण आज रबर कोटिंग पर कई जगह गड्ढे हो गए हैं, और उन गड्ढों से अब नीचे की सीमेंट और मिट्टी निकालने लगे हैं. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा, कि यहां प्रशिक्षण पा रहे बास्केटबॉल खिलाड़ी कुछ दिन ही इस अच्छे मैदान पर खेल पाएंगे. क्योंकि हालात ऐसे हैं की 14 लाख खर्च करने के बाद भी इस मैदान की हालत कुछ ही माह में फिर पहले जैसी ही हो जाएगी या फिर पहले से भी बदतर हो जाएगी.
अन्य काम भी जारी
फिलहाल गांधी स्टेडियम की कथित बेहतरी के लिए अब भी कई विकास कार्य हो रहे हैं. इनमें दर्शक दीर्घा में सेड लगाने का काम, रात में होने वाली प्रतियोगिताओं के लिए फ्लड लाइट की व्यवस्था और तमाम खर्चीले संसाधन स्थापित करने का काम जारी है. ऐसे में देखना यह होगा की गांधी स्टेडियम के निर्माण और व्यवस्थाओं के लिए जारी कामों में जिम्मेदार नगर निगम प्रबंधन कितना कम भ्रष्टाचार करता है.
इस संबंध में ज्यादा जानकारी के लिए निगम कमिश्नर डीएन कश्यप से उनके मोबाईल पर संपर्क करने का प्रयास किया गया. लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया. वहीं अम्बिकापुर नगर निगम की मेयर मंजूषा भगत मैनपाट में आयोजित होने वाले भाजपा के चिंतन शिविर कार्यक्रम को लेकर व्यस्त हैं. उन्होंने पूरी बात सुने बिना ही कॉल कट कर दिया.