सभी ओर अव्यवस्था का आलम , पार्किंग व्यवस्था भी हुई बदहाल
अम्बिकापुर( दीपक सराठे)
नगर के गुदरी बाजार में इन दिनों अव्यवस्था के पसरे आलम ने आम जन को परेशान करके रखा हुआ है । बाजार में बड़े वाहनों की आवाजाही व पार्किंग व्यवस्था डामाडोल हो जाने से आमजन के आने जाने का भी मार्ग काफी दिक्कतों भरा हो गया है। दूसरी ओर त्योहार के सीजन में छोटे सब्जी व्यवसायियों के सामने बडे़ व दबंग व्यवसायी अपनी दुकान सजाकर बैठ गए है। इन सबसे बाजार में घुस पाना भी आफत मोल लेना हो गया है। इन सबसे आमजन को तो परेशानी हो ही रही है , छोटे व दूर दराज से आये व्यवसायी काफी दुखी है। नगर के सबसे पुराने गुदरी बाजार में बदहाली को लेकर अभी तक निगम सामने नहीं आया है।
गौरतलब है कि गुदरी बाजार से निगम को राजस्व की आमदनी तो हो रही है परन्तु बाजार की अव्यवस्था की ओर देखने अभी तक किसी अधिकारी ने तन्म्यता नहीं दिखाई है। वर्तमान में गुदरी बाजार में सड़को पर ही वाहन पार्किंग होने से वहां खरीददारी करने आने वालों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। किसी तरह मशक्कत कर एक बार बाजार के अंदर आदमी घुस गया तो उसके बाहर निकलने में पसीने छूट जा रहे है। इन दिनों त्योहार के सीजन में गुदरी बाजार मंें आमदिनों की अपेक्षा ज्यादा लोग पहुंच रहे है ।बाजार में भारी भीड़ दिखाई दे रही है। अव्यवस्था का आलम यह है कि छोटे व्यवसायियों के बनाये गए शेड़ में कोचियों ने अपना कब्जा कर रखा है। यहीं नहीं सब्जी खरीदने आने जाने वालों के लिए बीच में जो स्थान रिक्त छोड़ा गया है। उसमेे भी बडे व्यवसायियो ंने अपनी दुकान सजा ली है। दूसरी तरफ पार्किंग व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। बाजार में जिसे जहां मन कर रहा है वहीं अपनी वाहन खड़ी कर रहा है। इस अव्यवस्था के कारण बाजार मे पैदल चलना भी दूभर हो चुका है। काफी दिनों से बाजार में यह परेशानी बनी हुई है । परन्तु गुदरी बाजार प्रभारी इस समस्या की ओर अभी तक ध्यान नहीं दिये है। शहर का सबसे पुराना गुदरी बाजार जहां रोजाना हजारों लोग पहुंचते है वहां इस प्रकार फैली अव्यवस्था की ओर ध्यान नहीं देना निगम की उदासीनता को साफ दर्शाता है। बाजार में चार चक्कों के वाहन का प्रवेश निषेध नहीं करने से व बड़े व्यवसायियों की मनमानी के कारण बाजार की सूरत बिगड़ चुकी है।
ग्रामीणों पर कोचियों की दबंगई जारी
ग्रामीण क्षेत्र से सब्जी लेकर आये किसानों पर गुदरी बाजार में वर्चस्व कायम कर बैठे कोचिये उन्हें कम दामों में सब्जी बेचने से मना करते है। वहीं कोचियों द्वारा उन्हें प्रशासन द्वारा बनाये क्षेत्रों में बैठने भी नहीं दिया जाता है। तो काचिये गुट बना उसे डरा धमका कर भगा देते है। ग्रामीण क्षेत्र से सब्जी बेचने आये एक किसान ने बताया कि कोचियों के द्वारा रखे गए दामों के लगभग ही उन्हें बिक्री करनी पड़ती है। या तो उन्हें अपनी सब्जी पानी के भाव देना पड़ता है। नगर प्रशासन द्वारा बीते वर्ष इस पर सख्ती लगाने कई बार कोचियों की मिटिंग कर समझाईश दी गई परन्तु उसका असर आज तक देखने को नहीं मिला कोचियों की मनमाफिक ही सब कुछ होता आ रहा है।