फ़टाफ़ट डेस्क..(कृष्णमोहन कुमार)..आदिवासी बाहुल्य और नक्सल प्रभावित दक्षिण बस्तर आदिवासियों के पारम्परिक परम्पराओ और तीज त्योहार के लिए जाना जाता है..जो नक्सल घटनाओं के अलावा भी अपनी अलग पहचान रखता है..वही आदिवासियों के इस पारम्परिक तीज त्योहार में खुद पुलिस कप्तान शामिल होने पहुँचे थे..और खुद को रोक ना सके ..फिर क्या उठाया वाद्य यंत्र और फिर लगे थिरकने..
दरअसल दक्षिण बस्तर जिले कारली स्थित पुलिस लाइन में आदिवासियों ने 13 साल बाद पूजा अर्चना की..और अपने परम्परा के मुताबिक मांदर की थाप पर थिरकने लगे..इस दौरान पूजा में पहुँचे पुलिस कप्तान डॉक्टर अभिषेक पल्लव खुद नही रोक पाए..और पुलिसकर्मियों के साथ वे भी थिरकते दिखाई दिए..इस दौरान भारी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग और पुलिस जवान मौजूद थे..
बता दे कि दन्तेवाड़ा जिले के पुलिस में लंबे समय से जिले के आदिवासी पूजा अर्चना करते आ रहे है..लेकिन 2006 में कारली पुलिस लाइन में नक्सल विरोधी अभियान का हिस्सा बनने आये नागा बटालियन ने सुरक्षा के लिहाज से आदिवासियों की इस पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया था..आदिवासी समुदाय के पुजारी पेरमा गायता के मुताबिक आदिवासियों की देवगुड़ी पुलिस लाइन में ही स्थित है..और वे कई वर्षों से अपने इस देव स्थली पर पूजा अर्चना करते आ रहे थे..लेकिन 2006 में प्रतिबंध के बाद वे पूजा नही कर पा रहे थे..
वही 2006 से पूजा पर लगी प्रतिबंध की जानकारी जैसे ही डीआरजी जवानों ने एस पी को दी.. एस ने ना केवल 13 साल से पूजा पर लगे प्रतिबंध को हटाया बल्कि खुद पूजा में सम्मिलित हुए!..