अंबिकापुर नगर निगम शहर वासियों को बेहतर सुविधाएं तो उपलब्ध नहीं करा पा रहा है.. लेकिन नियम क़ानून का रौब बड़ी सख्ती से झाड़ते दिख रहा है.. इन दिनों नगर निगम की कार्यशैली सीधे कार्यवाही करने वाली हो चली है, ना कोई सूचना ना कोई नोटिस और सीधे कार्यवाही, वो भी शहर के उन व्यापारियों पर जो केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना डिजिटल इंडिया के सहभागी है.. वो भी ना के बराबर कमाई के साथ…
हम बात कर रहे है लोक सेवा केन्द्रों की जहाँ कई शासकीय कार्यो का काम आनलाइन किया जाता है.. गौरतलब है की डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने में इन केन्द्रों की अहम् भूमिका मानी जा रही है.. और केन्द्रों का परफार्मेंस बढाने के लिए लगातार केंद्र से दबाव भी है.. लेकिन सरकार के सहयोगी बने इन केन्द्रों की कमाई ना के बराबर होती है.. इधर ताजा मामला सामने आया जब निगम आयुक्त के निर्देशों पर नगर निगम के अधिकारी आज शहर के लोक सेवा केन्द्रों में गुमाश्ता लाइसेंस की जांच पर निकले.. जांच के दौरान लगभग लोक सेवा केन्द्रों में लाइसेंस पाया गया.. लेकिन एक लोक सेवा केंद्र में लाइसेंस नहीं था और उसका मालिक भी दूकान में नहीं था.. इस बीच दूकान संचालक ने निगम अमले से कहा की उनके आते तक वो समय दे लेकिन निगम अमला तो जैसे तेज धार की तलवार लेकर निकला हो और संचालक की गैर मौजूदगी में उसकी दूकान सील कर दी गई.. वही दूकान संचालक का आरोप है की इस बावत उसे ना कोई सूचना दी गई और ना ही समय दिया गया सीधा दुकान ही सील कर देना ये कहा का न्याय है..
बहरहाल लोक सेवा केंद्र के संचालक का तर्क भी सही है क्योकी जब किसी शासकीय कार्यालय/कर्मचारी या अधिकारी की लापरवाही उजागर होती है तो ये लालफीताशाही कार्यवाही नहीं करते , नोटिस देते है जवाब मंगाते है जांच करते है, और शायद ही एकाध मामले में कार्यवाही की स्थिति बन पाती है लेकिन इन्होने सिविलियंस के लिए बिलकुल अलग नियम बना रखे है, आम आदमी को ना नोटिस ना जांच सीधे कार्यवाही कर जाती है .. कारण क्योकी वह आम आदमी है ख़ास नहीं, ख़ास होता तो उसकी चौखट पर चढ़ने से पहले भी निगम अमले को पसीने छूट जाते..
वही इस सम्बन्ध में कार्यवाही करने पहुचे निगम के अधिकारी ने कहा की वो खबर के लिए वर्जन देने में सक्षम पद पर नहीं है.. फिर भी उन्होंने जानकारी देते हुए बताया की दस दुकानों की जाँच की गई थी जिसमे दो दुकानदारों के पास लाइसेंस नहीं था लिहाजा दोनों दुकानों को सील कर दिया गया है.. आरोपों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा ही टाइम क्यों नहीं दिए आधे घंटे खड़े रहे आधे घंटे का समय कम होता है क्या.?