स्वस्थ रहने के लिए प्रकृति से जुड़ना जरूरी : डॉ. रमन सिंह

 मुख्यमंत्री ने किया राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा सम्मेलन का शुभारंभ

 

रायपुर, 03 जनवरी 2014

 

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज दोपहर यहाँ शहीद स्मारक भवन में 33वें अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा सम्मेलन के तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी,पूर्व सांसद और अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष श्री केयूर भूषण ने समारोह की अध्यक्षता की। रायपुर नगर निगम की महापौर श्रीमती किरणमयी नायक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पद्मश्री से सम्मानित चिकित्सक डॉ. एम.पी.पाण्डेय सहित देश के विभिन्न हिस्सों से आए प्राकृतिक चिकित्सक इस अवसर पर उपस्थित थे।

 

cm-photocccc_13मुख्य अतिथि की आसंदी से डॉ. सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति और पर्यावरण से जुड़कर ही हम स्वस्थ रह सकते है। उन्होंने कहा कि भागदौड़ और व्यस्त भरी जिंदगी में आज लोग प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं। भौतिक विकास को लक्ष्य मानकर आदमी मशीन बन गया है। आगे बढ़ने के फेर में उनकी दिनचर्या बिगड़ रही है। मुख्ययमंत्री ने कहा कि प्रकृति से दूर होना ही सभी तरह की स्वास्थगत परेशानियों की जड़ है। उन्होंने कहा कि प्रकृति में सभी तरह के जानवर और पशु पक्षियां प्रकृति के नियमों के अनुसार चलते हैं। सूर्योदय और सूर्यास्त के अनुसार ही उनकी दिनचर्या निर्धारित  होती है, जिसके कारण वे सदैव स्वस्थ रहते हैं। मनुष्यों को इन पशु पक्षियों से अपने को स्वस्थ रखने की सीख लेनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आधुनिक जीवनशैली के कारण बच्चों में भी आमतौर पर बुढ़ापे में होनेवाली बीमारियां पनपने लगी हैं। इसके लिए ये बच्चे नहीं उनके माता-पिता भी दोषी हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों में अनुवांशिक हृदय रोग की संख्या खतरनाक रूप से बढ़ी है। राज्य सरकार अपने खर्चे से इन रोगियों की मुफ्त उपचार सुविधा दे रही है। अब तक लगभग पांच हजार ऐसे बाल रोगियों का निःशुल्क उपचार किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आमतौर पर स्वस्थ वातावरण में जीने वाले गांव के लोगों में भी ब्लड प्रेशर, सुगर आदि बीमारियांे का होना वास्तव में खतरनाक संकेत है। डॉ. सिंह ने कहा कि इन सब बीमारियों का निदान प्रकृति में है। हमारा शरीर पंचतत्व से बना है और प्रकृति से जुड़कर ही हम इन सब बीमारियों से निजात पा सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में पंचकर्म चिकित्सा की व्यवस्था उपलब्ध है। बढ़ी संख्या में मरीज इन सेवाआंे का लाभ उठा रहे हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा स्वस्थ रहने की सस्ती और सहज उपलब्ध विधि है। हर कोई इसे अपने घर अथवा गांव में कर सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जागरूकता के अभाव में अभी ज्यादा लोग इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं। लोगों मंे इस चिकित्सा पद्धति के बारे में चेतना जागृत करने की और जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कि जनचेतना की शुरूआत हमें सबसे पहले अपने आप और अपने घर से करना चाहिए। अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष और पूर्व सांसद श्री केयूर भूषण ने  स्वागत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि जल और जंगलों से भरा छत्तीसगढ़ वास्तव में प्राकृतिक चिकित्सा का केन्द्र बन सकता है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से उन्हें पूरा सहयोग मिल रहा है। उन्होंने राजधानी में प्राकृतिक चिकित्सा शोध संस्थान प्रारंभ करने के लिए भवन उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। रायपुर की महापौर श्रीमती किरणमयी नायक ने भी समारोह को सम्बोधित किया। राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सापरिषद के उपाध्यक्ष डॉ. अवधेश मिश्र,छत्तीसगढ़ प्राकृतिक चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डॉ. प्रमोद नामदेव और उपाध्यक्ष डॉ. योगीराम साहू सहित बड़ी संख्या में प्राकृतिक चिकित्सक उपस्थित थे।