रायपुर 15 अगस्त
पूजनीय सियान मन, मयारू भाई-बहिनी अउ संगवारी मन ल स्वतंत्रता दिवस के गाड़ा-गाड़ा बधाई। सुराजी तिहार के पावन बेरा म सब ले पहली अमर सहीद मन ल सुमरत हंव। जम्मो पुरखा मन ल सरधा-फूल अरपन करत हंव।
भाइयों और बहनों, भारत के अड़सठवें स्वतंत्रता दिवस का वातावरण नई ताजगी से नहाया हुआ है। हमारे लोकतंत्र को आम चुनावों के अनुष्ठान से एक बार फिर नई ऊर्जा मिली है। लोकतंत्र में राजनीतिक गतिविधियां, सामाजिक और आर्थिक जीवन में बदलाव का बड़ा माध्यम होती हैं। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद पहली बार ऐसा अवसर आया है कि राज्य और केन्द्र में एक ही दल की निर्वाचित सरकारें हैं। सकारात्मक राजनीति का एक ही मंत्र ’सबके साथ, सबका विकास’ प्रदेश और देश में गूंज रहा है।
भाइयों और बहनों, तीसरी बार राज्य की बागडोर हमारे हाथों में देकर आप लोगों ने जो विश्वास व्यक्त किया है, उसकी मजबूत बुनियाद पर हमने नए दौर का काम-काज गंभीरता से शुरू कर दिया है। महात्मा गांधी, डॉ. बी.आर. अम्बेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पं. दीनदयाल उपाध्याय, गुरू बाबा घासीदास, शहीद वीरनारायण सिंह, शहीद गुण्डाधूर, मिनी माता जैसी विभूतियों के बताए रास्ते पर चलकर हम अंत्योदय की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। नए दौर में सरकार के नए फैसलों और उस पर अमल से आम जनता को लाभ मिलना शुरू हो गया है।
जब गूंजें खुशी के गीत किसानों के घर पर,
तब आए मुस्कान मां भारती के अधर पर
किसान भाई-बहनों की खुशहाली को हमने छत्तीसगढ़ महतारी की खुशहाली का सबसे बड़ा पैमाना माना है। मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हम साल दर साल किसानों के घरों को ज्यादा समृद्धि से भरने में सफल रहे हैं। बीते साल हमने किसानों से लगभग 80 लाख मीट्रिक टन धान समर्थन मूल्य पर खरीद कर एक नया कीर्तिमान बनाया है। प्रति क्ंिवटल धान पर 300 रूपए की दर से 2 हजार 400 करोड़ रूपए बोनस की संपूर्ण राशि जारी कर दी गई है, जिससे शीघ्र ही किसानों को बोनस की पूरी राशि मिल जाएगी। इस साल किसानों को 3 हजार 100 करोड़ रूपए ब्याज मुक्त कृषि ऋण देने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि वे ज्यादा ऋण लेकर बेहतर फसल लें और ज्यादा लाभ कमाएं।
भाइयों और बहनों, इस बार मानसून आने में देरी और इससे व्याप्त सूखे की चिंता को देखते हुए, राज्य के सभी 27 जिलों में ‘मौसम आधारित फसल बीमा योजना’ लागू की गई और बीमा प्रीमियम राशि का 50 प्रतिशत हिस्सा अनुदान के रूप में दिया गया है। किसानों को नई तकनीक का लाभ दिलाने के लिए लगभग 300 ‘कृषि यंत्र सेवा केन्द्र’ स्थापित किए गए हैं, ऐसे 100 और केन्द्र इसी वर्ष शुरू किए जाएंगे। राज्य में दलहन और तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए सवा दो लाख ‘बीज मिनी किट’ का वितरण भी निःशुल्क किया गया है। वन भूमि के अधिकार पत्र धारक अनुसूचित जनजाति के किसानों को डेढ़ लाख एकड़ के लिए निःशुल्क धान तथा मक्का बीज दिया गया है।
ढाई एकड़ से कम कृषि भूमि वाले लगभग 17 लाख परिवारों के लिए ‘अटल खेतिहर मजदूर बीमा योजना’ शुरू की गई है। स्वस्थ पशुधन किसानों का बड़ा सहारा होता है, इसलिए राज्य में पशु स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार भी तेजी से किया जा रहा है। 10 नए पशु औषधालय तथा 10 नए पशु चिकित्सालय खोले गए हैं। 25 जिलों में चल-पशु चिकित्सालय की सुविधा पहुंचाई गई है।
भाइयों और बहनों, कन्या हर स्वरूप में सम्मान, स्वावलंबन और संरक्षण की हकदार है। बेटियों की पढ़ाई से लेकर उन्हें सामाजिक- आर्थिक क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए हमने अनेक उपाय किए हैं। निःशुल्क सरस्वती सायकल प्रदाय योजना के कारण हाईस्कूल व हायर सेकेण्डरी स्कूलों में बालिकाओं की दर्ज संख्या बढ़ी है। अब हमने बेटियों को इंजीनियरिंग सहित विभिन्न स्नातक पाठ्यक्रमों व पॉलीटेक्निक में भी निःशुल्क शिक्षा देने का निर्णय लिया है। पंजीयन शुल्क रियायत के कारण महिलाओं के नाम पर स्थाई संपत्ति खरीदी में तेजी आई है। महिलाएं स्व-सहायता समूहों के माध्यम से स्व-रोजगार में सफल हुई हैं। वे राशन दुकानों, मध्यान्ह भोजन योजना, आंगनवाड़ी केन्द्र आदि संस्थाओं के संचालन में भागीदारी निभा रही हैं। दो जिलोें में ‘एकीकृत महिला सहायता केन्द्र’ बतौर प्रायोगिक परियोजना शुरू किए गए हैं। ऐसे केन्द्र सभी जिलों में शुरू किए जाएंगे।
किशोरियों को कुपोषण से बचाने के लिए 10 जिलों में शुरू की गई ‘सबला योजना’ का अच्छा असर हुआ है अतः इसका विस्तार सभी 27 जिलों में किया जाएगा। इस योजना के तहत 11 से 18 वर्ष की बालिकाओं को पूरक पोषण आहार देने का बीड़ा हमारी सरकार उठाएगी।
कन्या जन्म को सम्मान और प्रोत्साहन से जोड़ने के लिए हम राज्य में ‘नोनी सुरक्षा योजना’ शुरू कर रहे हैं। इसके तहत बीपीएल परिवार में जन्म लेने वाली बेटी के नाम पर प्रति वर्ष 5 हजार रूपए के मान से 25 हजार रूपए की राशि जमा की जाएगी, जिससे बालिकाओं को वयस्क होने पर एक लाख रूपए मिलेंगे। ‘मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना’ को और व्यापक बनाते हुए एक ओर जहां प्रति कन्या 15 हजार रूपए की सहायता जारी रखी जाएगी, वहीं दूसरी ओर विधवा बहनों को पुनः विवाह के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और उन्हें नया जीवन प्रारम्भ करने के लिए 30 हजार रूपए की सहायता दी जाएगी।
त्रि-स्तरीय पंचायतराज व्यवस्था की जड़ें हमारे गांवों में मजबूती से जम रही हैं। इस सिलसिले को आगे बढ़ाने के लिए नवगठित जिलों में जिला पंचायतों का गठन किया जा रहा है। राज्य स्तर पर ‘मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना’ में 300 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। ‘अटल समरसता भवन’ तथा ‘मुख्यमंत्री आंतरिक गली विद्युतीकरण योजना’ भी प्रारंभ की गई है। गौण खनिजों से प्राप्त राजस्व पंचायतराज संस्थाओं को देने की प्रणाली बनाई है, जिसके कारण विगत एक वर्ष में लगभग 150 करोड़ रूपए की राशि स्थानीय विकास के लिए पंचायतों को दी गई है।
हमने गांवों में अधोसंरचना विकास तथा रोजगार के अवसरों के विस्तार के लिए जो नई पहल की थी, उसके उत्साहजनक परिणाम मिले हैं। ‘मनरेगा’ के अंतर्गत हमने इच्छुक मजदूरों को 50 दिन का अतिरिक्त रोजगार राज्य शासन के खर्च पर दिया, जिसके कारण पौने तीन लाख से अधिक परिवारों को सवा 64 लाख से अधिक दिन का रोजगार मिला। 14 हजार से अधिक महिला मजदूरों को 7 करोड़ रूपए से अधिक राशि ‘मातृत्व अवकाश भत्ता’ के रूप में दी गई है। ‘प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना’ से लगभग साढ़े 7 हजार बसाहटें जोड़ी जा चुकी हैं, जो बसाहटें इस योजना के दायरे में नहीं आ रही थीं, उनके लिए हमने ‘मुख्यमंत्री ग्राम सड़क एवं विकास योजना’ के तहत 1 हजार 300 किलोमीटर सड़कंे बना दी हैं। ‘मुख्यमंत्री ग्राम गौरव पथ योजना’ के अंतर्गत 800 किलोमीटर से अधिक गांव की आंतरिक सड़कों का कांक्रीटीकरण किया गया है।
ग्रामीणों और किसानों को 1 सितम्बर, 2014 से सभी प्रकार के भू-अभिलेख जैसे खसरा, बी-वन तथा नक्शे की कम्प्यूटरीकृत सत्य प्रतिलिपि, तहसील कार्यालय से दी जाएगी। इससे पटवारियों पर काम का बोझ कम होगा और जनता को सुगमता से उनकी जरूरत के दस्तावेज मिलेंगे।
अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों के छात्रावासों व आश्रमों की व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए ‘ऑन लाइन मॉनीटरिंग’ चालू की गई है। इन वर्गों के विद्यार्थियों को पहले पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के आवेदन की स्वीकृति व वितरण प्रक्रिया ऑन लाइन करने की सुविधा दी गई थी, इस सुविधा का लाभ इस वर्ष से हाईस्कूल-विद्यार्थियों को भी दिया जा रहा है।
‘मुख्यमंत्री बाल भविष्य योजना’ के तहत ‘प्रयास’ विद्यालय की स्थापना रायपुर, जगदलपुर, अम्बिकापुर के पश्चात अब बिलासपुर तथा दुर्ग में भी की जा रही है। ‘मुख्यमंत्री ज्ञान प्रोत्साहन योजना’, ‘आर्यभट्ट विज्ञान एवं वाणिज्य विकास केन्द्र’, ‘युवा कैरियर निर्माण योजना’, ’सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना’ जैसी तमाम सुविधाएं जारी रहेंगी। मुझे यह बताते हुए खुशी है कि विशेष पिछड़ी जनजाति के एक हजार 600 युवाओं को हमने प्राथमिकता से सरकारी नौकरी दी है।
भाइयों और बहनों, वनांचलों और मैदानी क्षेत्रों के बीच के अंतर को समाप्त करने और वन ग्रामों के निवासियों को विकास की मुख्यधारा का लाभ दिलाने के लिए प्रदेश के 431 वनग्रामों को राजस्व ग्राम में बदल दिया गया है। वनांचलों में रहने वाले बहुत से लोग राज्य के बड़े शहरों को देख तक नहीं पाए हैं, जिससे उन्हें विकास के विभिन्न आयामों को जानने, समझने का अवसर नहीं मिला है। दक्षिण बस्तर के चार जिलों यथा दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर के आठवीं से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले विद्यार्थियों और पंचायत प्रतिनिधियों को ‘विकास दर्शन’ हेतु चरणबद्ध तरीके से भ्रमण के लिए रायपुर लाया जाएगा। उन्हें रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, मंत्रालय, विधानसभा, विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ साइंस सेन्टर इत्यादि का भ्रमण कराया जाएगा। विकास के सही मायने जानने से हमारी नई पीढ़ी नक्सलियों के भ्रम-जाल से मुक्त होगी तथा अपना भावी जीवन सही ढंग से गढ़ सकेगी।
वनों तथा निकट के ग्रामीण अंचलों में हिंसक वन्य पशुओं के हमले से जनहानि तथा पशुहानि के प्रकरणांे में प्रभावितों के परिवारजनों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, इसलिए हमने ऐसे प्रकरणों में क्षतिपूर्ति की राशि बढ़ाकर दोगुनी तक कर दी है। वनवासियों की आमदनी बढ़ाने के लिए एक और कदम उठाते हुए हमने इस वर्ष साल-बीज की खरीदी 10 रूपए प्रति किलो की दर पर की है, जो पूर्व वर्षों की तुलना में लगभग दोगुनी है। भविष्य में हम और भी वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदेंगे ताकि वनवासियों को मेहनत का वाजिब दाम मिल सके।
हमने राज्य में अच्छी सड़कों के विकास को बहुआयामी प्रगति से जोड़ते हुए अनेक स्तरों पर कार्य किया है। इसके बावजूद सड़क निर्माण में हम और तेजी लाने की जरूरत महसूस करते हैं। सड़कों के लिए पूंजी निवेश तथा गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु नई रणनीतियां अपनाने तथा संसाधनों की व्यवस्था करने के लिए हमने ‘छत्तीसगढ़ राज्य सड़क विकास निगम’ गठित करने का निर्णय लिया है। सिविल निर्माण कार्यों के लिए ठेकेदारों का पंजीयन ‘एकीकृत पंजीयन प्रणाली’ से किया जा रहा है ताकि विभिन्न विभागों और क्षमताओं वाले ठेकेदारों को मात्र एक नोडल एजेन्सी लोक निर्माण विभाग से ही सम्पर्क करना पड़े।
नगरीय निकायों के स्तर में उन्नयन से वहां की सुविधाओं में बढ़ोत्तरी होती है, जिसका सीधा लाभ नागरिकों को मिलता है। हमने 17 नगरीय निकायों के उन्नयन का निर्णय लिया है। इस तरह धमतरी तथा बीरगांव नगर पालिकाएं, नगर निगम बन जाएंगी। वहीं तिफरा, रतनपुर, कटघोरा, अहिवारा, सरायपाली, तखतपुर, बागबाहरा, आरंग, सारंगढ़, बलरामपुर, गरियाबंद, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर नगर पंचायतों को नगर पालिका परिषद का दर्जा मिल जाएगा।
भाइयों और बहनों, राज्य में नगरीय विकास की अभिनव योजनाएं संचालित करने का सुखद असर चारों ओर दिखाई पड़ रहा है। शहरों में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की सुविधा बढ़ाने के लिए 451 सिटी बसें चलाने की तैयारी है। 28 शहरों में 11 हजार महिला स्व-सहायता समूहों का गठन कर डेढ़ लाख से अधिक शहरी महिलाओं को रोजगार का जरिया दिलाया गया है। शहरी गरीब बस्तियों में लोगों के घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने में हमारी ‘भागीरथी नल-जल योजना’ को शानदार सफलता मिली है।
ग्रामीण अंचलों में लगभग ढाई लाख हैण्ड पंपों, ढाई हजार नल-जल योजनाओं तथा ढाई हजार स्थल जल प्रदाय योजनाओं के माध्यम से पेयजल दिया जा रहा है। हर वर्ष लगभग 10 हजार नलकूप खनन कर पेयजल की व्यवस्था की जा रही है। राज्य के दुर्गम अंचलों में सोलर पंपों के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है तथा इस पहल में छत्तीसगढ़ को देश में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। इस वर्ष ढाई हजार से अधिक बसाहटों में पेयजल शुद्धिकरण का कार्य पूरा किया जाएगा।
राज्य में जल संसाधनों के लगातार विकास के साथ ही सृजित सिंचाई क्षमता के बेहतर उपयोग पर भी ध्यान दिया जा रहा है, जिसके कारण विगत एक वर्ष में खरीफ फसल हेतु सिंचाई क्षमता का 74 प्रतिशत उपयोग मंे लाया जा सका है। वृहद सिंचाई परियोजनाओं केलो तथा अरपा-भैंसाझार का निर्माण तेजी से पूरा किया जाएगा, जिनसे 267 ग्रामों के 47 हजार 818 हेक्टेयर रकबे में सिंचाई होगी। इसके अलावा महानदी पर 6 बैराजों का निर्माण भी जल्दी पूरा होगा।
हमारे लिए यह गौरव का विषय है कि छत्तीसगढ़ की गणना अब ऊर्जा सम्पन्न सशक्त राज्य के रूप में होती है। बढ़ते हुए विद्युत उत्पादन के अनुरूप अत्याधुनिक पारेषण-वितरण प्रणाली का विकास भी हम प्राथमिकता से कर रहे हैं। इस दिशा में कोरबा जिले के छुरी में 400 बाय 220 के.व्ही. क्षमता का पहला स्वचालित विद्युत उपकेन्द्र स्थापित किया जा चुका है। नक्सल प्रभावित बस्तर अंचल में एक ही लाइन से बिजली आपूर्ति की समस्या का समाधान हमने कर लिया है। भिलाई-बारसूर 220 के.व्ही. लाइन के अतिरिक्त अब कांकेर- कोण्डागांव 132 के.व्ही. लाइन भी शुरू कर दी गई है।
पहुंच विहीन अंचलों में बिजली की सुविधा पहुंचाने के लिए आदिवासी छात्रावासों, आश्रमों, स्कूलों, रहवासी क्षेत्रों में सोलर लैम्प निःशुल्क वितरित किए गए हैं। स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए सोलर ऊर्जा आधारित रेफ्रीजेरेटर उपलब्ध कराए गए हैं, जिसमें टीकों (वैक्सीन्स) को सुरक्षित रखा जा सके। दो हजार से अधिक सोलर पम्पों का उपयोग सिंचाई व पेयजल के लिए किया जा रहा है।
भाइयों और बहनों, हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के निर्माण के लिए कौशल उन्नयन को सर्वाधिक कारगर माध्यम बताया है। उनके ‘कुशल भारत’ के सपने को पूरा करने के लिए हमने ‘कुशल छत्तीसगढ़’ का लक्ष्य निर्धारित किया है। मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हमने वर्ष 2022 तक सवा करोड़ युवाओं को उनके गांव, कस्बे, शहर में अच्छी आमदनी वाले रोजगार के लिए तैयार करने हेतु प्रशिक्षण की योजना बनाई है। छत्तीसगढ़ देश में पहला राज्य बन गया है, जिसने कानून बनाकर कौशल उन्नयन का अधिकार युवाओं को दिया है। राज्य में ढाई हजार व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदाता नियुक्त किए जा चुके हैं, जिनके माध्यम से डेढ़ लाख से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है और अब इस वर्ष तीन लाख से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा।
हम चाहते हैं कि राज्य में शिक्षा व्यवस्था को स्कूल से लेकर कॉलेज तक सिर्फ औपचारिक प्रमाण-पत्र और उपाधि लेने का माध्यम न बनाया जाए, बल्कि इसे स्वावलम्बी पीढ़ी का निर्माण करने में समर्थ बनाया जाए। इस नजरिए से ‘शालेय शिक्षा गुणवत्ता अभियान’ शुरू किया गया है। पढ़ाई के घण्टे बढ़ाने के साथ ही, इसमें प्रदेश स्तर पर सभी शालाओं में समानता लाई गई है। वहीं दूसरी ओर उच्च शिक्षा में ऐसे पाठ्यक्रमों पर जोर दिया जा रहा है, जो रोजगार उपलब्ध कराएं। इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए अब हमारी नीति गुणवत्ता विकास की है। वहीं मेडिकल कॉलेज के लिए संख्यात्मक और गुणात्मक विकास पर समान रूप से ध्यान दिया जा रहा है। नया रायपुर में स्थापित ट्रिपल आईटी में सत्र 2015 से पढ़ाई प्रारम्भ हो जाएगी। इसी तरह आईआईटी की स्थापना भी शीघ्र करने के लिए हम समस्त सुविधाएं देंगे। किसी एक वर्ष में 17 नए आईटीआई और 5 नए शासकीय पॉलीटेक्निक प्रारम्भ करने का कीर्तिमान भी इस वर्ष बनाया गया है।
प्रदेश में उच्च शिक्षा के विकास और इसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अनेक उपाय किए जा रहे हैं। इसके लिए ‘राज्य गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ’, ‘राज्य परियोजना कार्यालय’ तथा ‘राज्य उच्च शिक्षा परिषद’ जैसी संस्थाओं का गठन किया गया है। कमजोर आर्थिक स्थिति वाले परिवारों के युवाओं का उच्च शिक्षा का सपना पूरा करने के लिए हमने पहले 4 प्रतिशत ब्याज दर पर उच्च शिक्षा ऋण देकर एक शुरूआत की थी, जिसे अब और कम करते हुए मात्र 1 प्रतिशत कर दिया गया है। नक्सल प्रभावित जिलों के युवाओं को हम ब्याज मुक्त ऋण देंगे।
पढ़ाई के साथ खेलकूद में कैरियर बनाने का अवसर उपलब्ध कराने के लिए राज्य में विश्वस्तरीय सुविधाओं वाले मैदानों तथा स्टेडियमों का विकास किया जा रहा है। आईपीएल के बाद चैम्पियन्स लीग के लिए छत्तीसगढ़ का चयन सुखद संकेत है कि आगे चलकर हम क्रिकेट और हॉकी के साथ अन्य खेलों की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के मेजबान बनेंगे और हमारे राज्य के खिलाड़ियों के लिए देश और दुनिया के रास्ते खुलेंगे।
छत्तीसगढ़ को भूख, कुपोषण और पलायन से आजादी दिलाने के लिए हमने जो अभियान छेड़ा था, उसके निरंतर विस्तार के कारण अब हम ‘छत्तीसगढ़ खाद्य एवं पोषण सुरक्षा अधिनियम’ के रूप में प्रदेश की जनता को भोजन का अधिकार दे रहे हैं। एक रूपए प्रति किलो की दर से खाद्यान्न दिया जा रहा है। कुपोषण मुक्ति के लिए प्रोटीनयुक्त चना अथवा दाल भी काफी रियायती दर पर दी जा रही है।
हमने राज्य के कोने-कोने में स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने के लिए न सिर्फ अधोसंरचना का समुचित विस्तार किया बल्कि ‘संजीवनी एक्सप्रेस-108’, ‘महतारी एक्सप्रेस-102’, सामान्य परामर्श के लिए ‘टोल फ्री-104’ तथा स्मार्ट कार्ड जैसे नए उपाय भी किए हैं। मुझे यह कहते हुए खुशी है कि इन उपायों के कारण सिर्फ एक वर्ष में मातृ मृत्य दर 263 से घटकर 244 तथा शिशु मृत्यु दर 50 से घटकर 46 हो गई है। टीकाकरण का प्रतिशत 74 से बढ़कर 78 हो गया है। राजनांदगांव में 100 सीटों के साथ नया शासकीय मेडिकल कॉलेज शुरू करने की अनुमति मिल गई है। इस तरह सभी 5 शासकीय मेडिकल कॉलेजों की प्रथम वर्ष की कुल सीटें अब बढ़कर 550 हो गई हैं। चिकित्सा शिक्षा मंे विस्तार का लाभ आगे चलकर जन-जन को मिलेगा। राज्य में स्वस्थ पीढ़ी के निर्माण के लिए हम आज स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर प्रदेश के हर जिले में ‘चिरायु’ कार्यक्रम की शुरूआत कर रहे हैं। ‘राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम’ के अंतर्गत नवजात शिशुओं से लेकर 18 वर्ष की आयु तक निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण और उपचार की सौगात मिलेगी।
हमारी सरकार की आकर्षक नीतियों के कारण राज्य के संसाधनों का राज्य में वेल्यू एडीशन सुनिश्चित हो रहा है और उद्योग तथा व्यापार में तेजी से विकास हो रहा है। मुझे खुशी है कि केन्द्र सरकार ने हमारे राज्य में कई अल्ट्रा मेगा स्टील प्लांट स्थापित करने में उत्सुकता दिखाई है। राज्य सरकार इस पहल का स्वागत करते हुए इसमें भरपूर मदद करेगी। इससे राज्य के पिछड़े अंचलों में सामाजिक, आर्थिक तथा स्थानीय विकास में तेजी आएगी और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। मुझे यह बताते हुए बड़ी खुशी हो रही है कि योजना आयोग द्वारा किए गए 28 राज्यों के अद्यतन सर्वे के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र के लिए अनुकूल वातावरण मुहैया कराने में हमारा छत्तीसगढ़ सबसे ऊपर रहा है।
केन्द्र सरकार की स्मार्ट सिटी की अवधारणा में ‘नया रायपुर’ का विकास आदर्श रूप में रेखांकित हुआ है। छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मण्डल के माध्यम से हमने जो आवास क्रांति का आगाज किया है, वह अब शहरों से कस्बों और गांवों में पहुंच रही है। आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के लिए ज्यादा आवास बनाकर, रियायती दरों पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। निम्न आय वर्ग के लिए 25 हजार आवास निर्माण का नया काम हाथ में लिया गया है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सुनियोजित विकास के लिए 6 जिलों में नगर तथा ग्राम निवेश के नए क्षेत्रीय कार्यालय प्रारंभ किए गए हैं।
विरासत में मिली समस्याएं हों या निरंतर विकास के क्रम में उभरने वाले मसले, हमने प्रदेशवासियों की समस्याओं को सुनने और यथा-संभव शीघ्र हल करने के लिए सुशासन के उपायों पर जोर दिया है। प्रमाण-पत्रों को राजपत्रित अधिकारियों से सत्यापित कराने की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। इससे विद्यार्थी हों या जन- सामान्य सभी को अपने हस्ताक्षर से अपने दस्तावेजों को सत्यापित करने का अधिकार मिल गया है। मुख्यमंत्री निवास पर होने वाले जनदर्शन कार्यक्रम की तर्ज पर प्रत्येक जिला कलेक्टरेट में भी जनदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। प्रदेश के समस्त वाहनों के करों के भुगतान हेतु भी ऑन लाइन व्यवस्था शुरू की जा रही है, जिससे वाहन मालिकों को सुविधा होगी तथा कर अपवंचन पर भी रोक लगेगी।
‘छत्तीसगढ़ लोक सेवा गारंटी अधिनियम’ में शामिल की गई सेवाओं का लाभ लेने के लिए लोगों को कार्यालयों में न जाना पड़े, इसके लिए अतिशीघ्र ‘ऑन लाइन सेवा’ शुरू की जा रही है, जिसके तहत जनता अपने निकट के लोकसेवा गारंटी केन्द्र से आवेदन पत्र भेज सकेगी तथा दस्तावेज भी प्राप्त कर सकेगी। प्रदेश में संचालित विकास योजनाओं की मॉनीटरिंग के लिए ‘मुख्यमंत्री डैश बोर्ड योजना’ भी शीघ्र शुरू की जाएगी। ग्रामीण अंचल में कम्प्यूटर साक्षरता बढ़ाने के लिए ‘जन-जन के लिए सूचना प्रौद्योगिकी’ परियोजना की मंजूरी भी दी गई है, जो 5 जिलों में 20 हजार ग्रामीणों को लाभान्वित करेगी।
महिलाओं और बच्चों को त्वरित न्याय दिलाने के लिए 21 सिविल जिलों में फास्ट ट्रेक कोर्ट संचालित करने हेतु अतिरिक्त जिला न्यायाधीशों सहित अधीनस्थ पदों की मंजूरी दी गई है। नारायणपुर में जिला एवं सत्र न्यायाधीश तथा महासमुंद जिले के सरायपाली में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश न्यायालयों की स्थापना हेतु भी पदों की स्वीकृति दी गई है।
मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि सिरपुर, सिसदेवरी, सिली पचराही, महेशपुर, तरीघाट, डमरू तथा राजिम में उत्खनन से गौरवमयी अतीत के कई अध्याय खुले हैं। छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक संस्कृति और धरोहरों को सहेजने की जिम्मेदारी हम बेहतर ढंग से निभा रहे हैं। पर्यटन की दृष्टि से राज्य के महत्वपूर्ण स्थानों में अधोसंरचना का समुचित विकास किया जा रहा है, जिससे पर्यटकों को वहां पहुंचने व ठहरने की अच्छी सुविधा मिले। इस क्रम में सड़क, रेल और वायु सेवाओं में विस्तार पर भी हम पूरा ध्यान दे रहे हैं।
मुझे विश्वास है कि समावेशी विकास, पारदर्शिता और जनभागीदारी के रास्ते पर चलते हुए हम नक्सल प्रभावित अंचलों के विकास की बाधाएं भी दूर कर लेंगे। देश की एकता और अखण्डता के लिए नक्सली हिंसा का सामना करते हुए शांति और विकास की अलख जगाने वाले सुरक्षा बल के जवानों, सरकारी अमले और आम जनता को मैं सलाम करता हूं। विश्व मानचित्र में तेजी से उभरने को तैयार भारत वर्ष का सबसे चमकता हुए सितारा बनने की क्षमता छत्तीसगढ़ में है और मुझे विश्वास है कि आप सबके सहयोग से यह शांति का द्वीप, सर्वांगीण विकास का नक्षत्र भी बनेगा।
जय हिंद
जय छत्तीसगढ़