मोबाईल का अधिक प्रयोग युवा पीढ़ी को बना रहा डिप्रेशन का शिकार-माधुरी
अम्बिकापुर (दीपक सराठे) जिन्दगी खूबसूरत है इसे जिन्दादिली और खुशगवार अंदाज में जीना चाहिये। मानव जीवन का यही मकसद भी है, क्योंकि एक खुशहाल इंसान परिवार, समाज और देश को तरक्की की राह पर ले जाता है। यह कहना है मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मौजूद चिरायुु योजना के तहत संचालित जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र की मनोवैज्ञानिक माधुरी मिंज का। उनका कहना है कि मोबाईल का अधिक प्रयोग व इंटरनेट की जिन्दगी युवा पीढ़ी को कई प्रकार के डिप्रेशन का शिकार बना रही है। सरगुजा संभाग की बात करें तो आंकड़ो के अनुसार 1700 से ज्यादा की संख्या में मनोरोगी सामने आ चुके हैं। ऐसे रोगियों को अब व्यवहार थैरेपी के माध्यम से उनका धैर्य बढ़ाया जा रहा है। मनोवैज्ञानिक माधुरी मिंज के अनुसार सोशल मीडिया का बहुत ज्यादा इस्तेमाल युवाओं की मैंटल हेल्थ को प्रभावित कर रहा है। उनका यह भी मानना है कि कई युवाओं में लाईफ स्टाईल संबंधी बदलाव देखे गये हैं, जिनके कारण उनकी एजुकेशन और पर्सनल डिप्रेशनशिप पर बुरा असर पड़ रहा है। खैर सरगुजा संभाग में अब तक 1700 मनोरोगी बच्चों व युवाओं का सामने आना अपने आप में चिंता का कारण है। मनोवैज्ञानिक का मानना है कि पहले सरगुजा में इसके उपचार की सुविधा नहीं थी इस कारण ऐसे लोग सामने नहीं आ पा रहे थे। अब जक यह सुविधा लोगों को पता चला है तो लगातार उनकी बढ़ती संख्या का पता चल रहा है। व्यवहार थैरेपी के बारे में मनोवैज्ञानिक माधुरी मिंज ने बताया कि कोई व्यक्ति ज्यादा चंचल होता है या झगड़ा करने लगता है या फिर अपने आप से बातें करने लगता है। ऐसे लोगों को इस थैरेपी से स्थिर कर उनका धैर्य बढ़ाने का काम किया जाता है। इस थैरेपी से काफी लोगों को लाभ पहुंच चुका है। आत्महत्या का कारण भी डिप्रेशन समय के साथ बढ़ रही भाग-दौड़ भरी जिन्दगी बढ़ा तनाव और बदल रहा लाइफ स्टाईल चिंता का कारण बनता जा रहा है। इन्हीं वजह से डिप्रेशन बहुत ही खतरनाक बीमारी बनती जा रही है, क्योंकि यह बीमारी आत्महत्या का कारण भी बन रही है। यह स्थिति इसलिये भी चिंताजनक बनती जा रही है, क्योंकि इसका शिकार सिर्फ बड़े ही नहीं बल्कि बच्चे भी हो रहे हैं।