बालोद (जागेश्वर सिन्हा)
कई माता पिता अपनी बेटियों को सुरक्षा की दृष्टि से घर से अकेले भेजने से कतराते है, वहीं बता दे की बिहार (पटना) व झारखंड (जमशेदपुर) की दो बेटिया उर्मिला यादव व मुर्मू का जज्बा यह है कि वो साइकिल से ही समाज में बदलाव व महिलाओं का मान सम्मान के इरादे से देश भ्रमण पर निकली है। घर वालों व मित्रों ने भी उन्हें मना किया लेकिन उनके हौंसलों और कुछ अलग करने की जिद को, कोई रोक नही पाया। ये दोनों बेटियों ने अपने भ्रमण में पहाड़ ,कटीले जंगल जर्जर सड़क से होकर लोगो के बीच पहुचकर उन्हें जागरूक कर रहे हैं।
पांच महीने से साईकिल की यात्रा पर
झारखंड की रहने वाली 21 वर्षीय सावित्री मुर्मू व उर्मिला यादव बीए प्रथम वर्ष की छात्रा है। ये दोनों छात्राएं एनसीसी कैडेट्स है। दोनों ने अकेले ही साईकिल से देश भ्रमण के बारें में एनसीसी के डायरेक्टोरेट के साथ आईडिया शेयर किया। मुर्मू बताती है कि उनके भाई तो साईकिल से देश घूमने की बात कहने पर मजाक भी उड़ाया लेकिन उन्होंनें तय कर लिया था कि वो ये काम करके दिखाएंगी। पैरेंट्स तो इन दोनों के इस निर्णय को मानने को तैयार ही नहीं हो रहे थे, लेकिन एनसीसी के अधिकारियों ने इनका जज्बा समझा और इन्हें सहयोग किया और पैरेंट्स को भी मनाया। देश में ये छात्राएं जहां-जहां भी जा रही वहां पर एनसीसी के सदस्य इनके रूकने की व्यवस्था कर रहे है। जिन शहरों में एनसीसी यूनिट नहीं होती है, वहां पर पुलिस प्रशासन इन छात्राओं के रूकने का इंतजाम करता है। इसके अलावा दिल्ली की एक प्रायवेट रोडिक कंसल्टेंट प्रायवेट लि कंपनी ने इनके टूर का खर्चा उठाने का निर्णय भी लिया।
ये दोनों बेटियां 13 अक्टूबर को बिहार से अपने सफर की शुरूआत की थी। अभी तक वे बिहार, यूपी, उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान राज्य का सफर करते हुए बालोद पहुचे। इन्होंने देश के सभी राज्यों के भ्रमण के लिए 25000 किलोमीटर का लक्ष्य रखा है और अभी तक करीब 17 हजार किलोमीटर का सफर पूरा भी कर लिया है।ये दोनों हर दिन 150 किलोमीटर साईकिल चलाती है। और इस पूरे सफर के दौरान एनसीसी कैडेट्स के एक टीम कम्युनिटी ट्रैफिक पुलिस सतत इन छात्राओं की मॉनीटरिंग कर रही है
उर्मिला यादव, मुर्मू दोनो बेटियां का उदेशय
21 वर्षीय सावित्री मुरमु ने बताया कि वह प्रतिदिन सुबह 8 से 4 बजे तक करीब सौ किमी का सफर तय करती हैं और अब तक यूपी, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, दिल्ली, राजस्थान आदि राज्यों का सफर तय कर चुकी हैं। उन्होंने कहा कि देश में वर्तमान में नारी सशक्तिकरण की बजाय मानवीय सशक्तिकरण की जरूरत ज्यादा है, क्योंकि महज भावनात्मक तौर पर बोलकर नारे लगाने की बजाय यदि अपनी आदत को स्थानीय समस्या के समाधान के अनुसार बदल दिया जाए तो किसी अभियान की जरूरत ही नही रहेगी। दोनों बेटियों का मानना है कि युवा पीढ़ी को गरीबी, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे नारे लगाने की बजाय स्वयं उस क्षेत्र में आगे आकर काम करना चाहिए। आदर्श नागरिक समाज के निर्माण के लिए वह देश की यात्रा पर निकली हैं और अभी तक 13 हजार हजार किलोमीटर की यात्रा कर चुकी है।