भाजपा सरकार की धान खरीदी नीति की गाज किसानों पर गिरनी शुरू हो गयी है। प्रदेष कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि जिस धान की कीमत किसानो को प्रति क्विंटल 1360 रू. और 1400 रू. मिलना चाहिये वही धान किसान 900 और 1000 रू. प्रतिक्विंटल में बेचने को मजबूर है। कोचिये किसानों से औने-पौने दाम पर धान की खरीदी कर किसानों का शोषण कर रहे है। पड़़ोसी राज्यो उड़ीसा, झारखंड में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी व्यापक पैमाने पर हो रही है। दलाल कोचिये छत्तीसगढ़ से धान खरीद कर इन राज्यों में बेच कर मोटा मुनाफा कमा रहे है। छत्तीसगढ़ सरकार ने घोषणा किया है कि इस वर्ष धान की खरीदी प्रति एकड़ सिर्फ 10 क्विंटल ही की जायेगी। इसके साथ ही सरकार धान खरीदी के पहले पंजीयन की अनिवार्यता के साथ पंजीयन की कठिन व्यवस्था ने किसानो को परेषान कर रखा था। हजारों किसानो का पंजीयन ही नहीं हो पाया है ऐसे किसान तो सरकार के खरीदी केन्द्रों पर धान खरीदी के पात्र ही नहीं है। इस कारण किसान अपने धान को कोचियों को बेचने को मजबूर है। जिन किसान सारे नियम कायदों को पूरा कर अपना पंजीयन करवाया है, कम्प्यूटर के साफ्टवेयर में गड़बड़ी और लापरवाही के कारण उनका नाम भी पंजीकृत किसानो की सूची मे नहीं है। बार-बार चक्कर लगाने के बाद भी उनके नामों को नहीं जोड़ा जा रहा है। पंजीयन केन्द्र के कर्मचारी कहते हैं पंजीयन का सिस्टम ऊपर से लाक कर दिया गया है। ऐसे किसानों को धान बेचने का टोकन नहीं दिया जा रहा है।
सरकार की धान खरीदी नीति की गाज किसानों पर गिरना शुरू – कांग्रेस
रायपुर 01 दिसंबर 2014