स्कूल से नदारद शिक्षक होते है विधान सभा क्षेत्र में या दूकान में
अंबिकापुर
शिक्षा विभाग जहां एक ओर नियमित नौकरी करने वाले शिक्षको पर कार्यवाही कर के विभागीय खाना पूर्ती करता है तो वही दूसरी ओर स्कूल से लगातार डेढ़ वर्ष नदारद रह रहे एक शिक्षक पर कार्यवाही अब तक नहीं हो सकी है। गौरतलब है की संभाग मुख्यालय की स्कूल केदारपुर वार्ड में पदस्थ सहायक शिक्षक उपेन्द्र गुप्ता जो लगातार अपने कार्य से अनुपस्थित रहते है और सूरजपुर जिले से विधान सभा चुनाव की तैयारी में लगे हुए है इन्हें अक्सर भटगांव क्षेत्र में लोगो के बीच देखा जाता है साथ ही खाली समय में ये गांधी चौक में संचालित मेडिकल स्टोर में भी पाए जाते है। और शिक्षा विभाग सहित प्रशासन के अन्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी भी इस दूकान में आते है लेकिन किसी की नजर कार्य में लापरवाही करते इस शिक्षक पर नहीं पड़ती। चुनाव की तैयारी में अभी से लगे इस शिक्षक पर तो विभाग की नजर नहीं पड़ती लेकिन जो शिक्षक जिम्मेदारी से नियमित अपनी नौकरी कर रहे है उन पर प्रशासन का तानाशाही डंडा जरूर समय समय पर चलता रहता है।
शिक्षा विभाग के अधिकारी कलेक्टर की नजर में ईमानदार साबित होंने की फिराक में निर्दोष शिक्षको पर कार्यावाही कर वाहवाही लूटते है जिसमे लुंड्रा ब्लाक के बीईओ तो अपनी पदस्थापना की खीज निर्दोष शिक्षा कर्मियों पर निकालते है। जानकारी के मुताबिक़ इस ब्लाक में पदस्त बीईओ मैनपाट से लुंड्रा सीईओ बन कर आये थे लेकिन तभी शिक्षा कर्मियों ने आन्दोलन कर नियमित बीईओ की मांग प्रशासन ने की और विभागीय व्यवस्था के प्रशासन ने सीईओ को बीईओ पद पर पदस्थ कर दिया जिसके बाद प्रशासनिक व्यवस्था से खिसियाये बीईओ ने शिक्षा कर्मियों पर कार्यवाही का डंडा चालाकर अपनी भड़ास निकालनी शुरू की लेकिन शिक्षक से नेता बन चुके एक गैरजिम्मेदार शिक्षक पर ना तो ना तो अम्बिकापुर बीईओ की नजर पडी और ना ही जिला शिक्षा अधिकारी की नजर पडी। लिहाजा सरकारी नौकरी, व्यापारी और नेता तीनो का सुख एक साथ भोगने का अवसर इस शिक्षक को विभाग ने ही दे रखा है।
एस.पी.जायसवाल बीईओ अम्बिकापुर
इस मामले में जब हमने जिला शिक्षा अधिकारी से कार्यवाही ना होंने का कारण जनाना चाहा तो उन्होंने कहा की उपेन्द्र गुप्ता के लगातार अनुपस्थित रहने के कारण अनुपस्थित शिक्षको की लिस्ट में उनका नाम जिला पंचायत व जिला कलेक्टर को भेज दिया गया है आगे की कार्यवाही वही से की जाएगी।