अम्बिकापुर . सरगुजा जिले में भ्रष्टाचार की जड़ है इतनी गहरी हो गई हैं शायद उसे उखाड़ फेंकना किसी के बस की बात नहीं है मौजूदा मामला परियोजना मत से कराए गए नलकूप खनन और उसमें पंप लगाने से जुड़ा है मामले में परियोजना विभाग और अनुविभागीय अधिकारी नलकूप खनन ने के खेत मे बोरिंग तो करा दी.. लेकिन उस अहसान के बदले वो समर्सिबल पंप का पूरा का पूरा रुपया हजम कर गए…
आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिला हमेशा से यहां तैनात अधिकारियों भ्रष्टाचार का केंद्र बना रहता है इस बार जो मामला सामने आया है वह चौका देने वाला है जानकारी के मुताबिक परियोजना प्रशासन कार्यालय द्वारा बीते वर्ष 2018 में जिले के सभी विकास खंडों में हितग्राहियों के लिए बोरिंग पंप के साथ स्वीकृत किया गया था जिसके लिए निर्माण एजेंसी अनुविभागीय अधिकारी नलकूप खनन को बनाया गया था लिहाजा स्वीकृति आदेश के बाद नलकूप खनन का कार्य तो 2018 बरसात के पहले पूरा कर दिया गया पर उस में लगने वाले समर्सिबल पंप को अभी तक नहीं लगाया गया मामले की जानकारी के बाद जब हम हितग्राहियों के पास पहुंचे तो एक चौका देने वाला खुलासा हुआ हितग्राहियों के मुताबिक नलकूप खनन के बाद कोई दलाल उनके पास आया और समर्सिबल पंप लगाने के नाम पर 20-20 हजार की वसूली भी कर ली है. जबकि योजना मे किसानों को बोरिंग खनन के साथ पंप लगा देना था. अब किसान अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं ..
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इधर इस भ्रष्टाचार के मामले में भ्रष्ट अधिकारियों ने करीब 33 लाख 15 हजार रुपया की अफरातफरी की है. दरअसल सरगुजा जिले में 2018 में जिन 51 है नलकूप खनन की स्वीकृति हुई थी. उसमे प्रति पंप, बोर के साथ 1 लाख 51 हजार की राशि स्वीकृत हुई थी. मतलब अगर शासन द्वारा स्वीकृत राशि मे 45 हजार रूपए प्रति पंप माना जाए. तो 22 लाख 95 हजार रूपए शासकीय रूपयो, की बंदबाट की गई है और 51 किसानो से पंप के नाम पर की गई अवैध वसूली की बात करे तो 20 हजार रूपए प्रति किसान के हिसाब से 10 लाख 20 हजार रूपए दलाल के माध्यम से डकार लिए गए.. अब किसान के पास पछताने के अलावा कुछ नहीं है…
इस बेहद गंभीर और बड़े भ्रष्टाचार के मामले को लेकर जब हम स्वीकृति देने वाले विभाग के मुखिया परियोजना प्रशासक के पास पहुंचे. तो उन्होंने बड़ी ही चालाकी से बात को उलझाने की कोशिश की और आंकड़ा देने की जगह स्वीकृत रूपयों की जानकारी ना होने की बात कहकर सवाल को टाल गए.
सरगुजा मे किसानों और किसानी की स्थिती किसी से छिपी नहीं है. और इस मामले मे आर्थिक रूप से गरीब किसानो को तो दोहरी मार पड़ी है. एक तो शासकीय योजना का पंप नहीं मिला और दूसरा समर्सिबल पंप के नाम पर उनसे लाखो रूपए की अवैध वसूली भी कर ली गई.. बहरहाल नलकूप खनन और पंप के नाम पर एक ही मामले मे,33 लाख के इस भ्रष्टाचार के साथ दो वर्ष पहले केन्द्रीय सहायता मद से जिले मे कराई गई 400 से अधिक बोरिंग की जांच हो जाए.. तो शायद ये साफ हो जाएगा कि राम लाल के यहां के एक बोरिंग के लिए तीन योजनाओं से रूपया निकल चुका है. तो रामकुमार के यहां चार शासकीय योजनाओं का रूपया निकालकर एक ही बोरिंग हुई है…
कहां कितने नलकूप खनन हुए…
परियोजना मद से जिले के सात विकासखण्ड मे नलकूप (पंप समेत) कुल 51 नलकूप खनन की स्वीकृति 2018 मे हुई और एक नग बोरिंग(सह पंप) जिसकी लागत 1.51 लाख स्वीकृत हुई. इस प्रकार जिले भर मे 77 लाख से, ज्यादा राशि की स्वीकृति हुई और परियोजना कार्यालय द्वारा अनुविभागीय अधिकारी नलकूप खनन को ऐजेंसी बनाया. किन किन विकासखण्डों मे कितने हितग्राही के खेत मे खनन हुआ
अम्बिकापुर 10 – लागत प्रति बोरिंग 1.51 लाख
लखनपुर 10 – लागत प्रति बोरिंग 1.51 लाख
उदयपुर 10 – लागत प्रति बोरिंग 1.51 लाख
लुण्ड्रा 10 – लागत प्रति बोरिंग 1.51 लाख
सीतापुर 10 – लागत प्रति बोरिंग 1.51 लाख
बतैली 05 – लागत प्रति बोरिंग 1.51 लाख
मैनपाठ 03 – लागत प्रति बोरिंग 1.51 लाख
एम एल देशलहरे, परियोजना प्रशासक..
अगर, पंप नहीं लगा होगा तो जांच करवा के पंप लगवाने की कार्रवाई की जाएगी. अनुविभागीय अधिकारी नलकूप खनन काम के लिए ऐजेंसी बनाई गई थी. उनके द्वारा कोई भी काम अपूर्ण होगा तो पूरा करा जाएगा. अगर गलती पाई जाएगी तो शासन को पत्र लिखकर कार्रवाई की कोशिश की जाएगी.