@krishnmohan
बलरामपुर स्कूल तो बी ग्रेड का है,इसलिए वहाँ कोई अधिकारी नही गया इस साल गुणवत्ता जांचने,बाकी सब ठीक है,शिकायत मिलेगी तो कार्यवाही कर देंगे!,यह कहना है ,शिक्षा विभाग के उस जिम्मेदार खण्ड शिक्षा अधिकारी जयगोविंद तिवारी की जिन्हें तनख्वाह मिलती है,सरकारी स्कूलों की पढ़ाई को बेहतर बनाने के लिए,और उस स्कूल की तस्वीर साफ बया कर रही है,की 7 वी कक्षा के बच्चों को प्रदेश के मुखिया का नाम नही पता,सप्ताह में कितने दिन होते है नही पता।
स्कूल है,बच्चे है,टीचर है,फिर भी कोई पढ़ाई नही..?
दरसल राज्य के अंतिम छोर पर बसे बलरामपुर जिले के सुदूरवर्ती वनांचल में स्थित कोटपाली गाँव मे शिक्षा के एक प्रायमरी और एक मिडिल स्कूल है,लिहाजा स्कूल है तो इन स्कुलो पढ़ने वाले बच्चे भी है,लेकिन उन्हें किताबी ज्ञान तो दूर सामान्य ज्ञान भी नही आता,ग्रामीण परिवेश के ये बच्चे स्कूल पढ़ने के लिए,जाते तो है,पर टीचर नही आते,टीचर आ भी गए तो उन्हें विभागीय कार्यो से फुर्सत नही,भला बच्चे पढ़े भी तो क्या ?
सरकार योजनाएं तो बनाती है,लेकिन धरातल अछूता है
प्रदेश सरकार की मंशा रही कि क्यो ना बच्चों में पढ़ने की ललक पैदा की जाए,और हुआ भी वही,सरकार सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के हित में योजना चला तो रही है,लेकिन आदिवासी बाहुल्य वनांचल के गांवों के स्कुलो में वह सब कागजो में है।
क्या मतलब ?..फर्जी ग्रेड बाँटने से
इसके अलावा सरकार ने सरकारी स्कुलो में गुणवत्ता की जांच के लिए दो बरस पहले से अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान शुरू किया था, जिसमे राज्य और जिला स्तर के अधिकारी सरकारी स्कूलों में जाकर खुद मॉनिटरिंग करते है,और उन्ही के मॉनिटरिंग के बाद ऐसे स्कुलो को चार ग्रेडों abcd में बांटा जाता है,यहाँ आपको बता दे कि a और b कैटेगरी के स्कुलो में दुबारा मॉनिटरिंग नही की जाती ।
एसपी साहब धोखा खा गए या कुछ और था..?
अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान में भी अधिकारी जमकर कोताही बरत रहे है,इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है,की एक वर्ष पूर्व कोटपाली के मिडिल स्कूल की गुणवत्ता मापने जिले के तत्कालीन एसपी डी आर आँचला पहुँचे थे,तथा उन्होंने गांव के इस स्कूल को b ग्रेड का दर्जा दिया था,जहाँ के बच्चों को सप्ताह में कितने दिन होते है?राज्य का मुख्यमंत्री कौन है.? यह नही पता ।
वीडियो–https://youtu.be/F84yTiWW2GU