रोजी-रोटी से हुआ खिलवाड तो आपा खो बैठे कर्मचारी …. जीवनदीप से हटाए गए कर्मचारी

किसी ने की आत्महत्या की कोशिश तो किसी ने रो-रोकर सुनाया दुखड़ा

अम्बिकापुर (दीपक सराठे)

रघुनाथ जिला अस्पताल में आज वर्षो से काम कर रहे 25 जीवन दीप कर्मचारियों को निकालने की लिस्ट जैसे ही चस्पा की गई, वैसे ही कर्मचारी बौखला गये। काम से बाहर निकाल देने की खबर मिलते ही एक बेवा कर्मचारी ने तो घर के अंदर अपने आप को बंद कर आत्महत्या तक करने की कोशिश की, जिसे आसपास के लोगों ने समझा-बुझाकर शांत किया, वहीं जिला अस्पताल के सामने सारे कर्मचारी सिर पटक-पटककर रोने लगे। एक महिला ने तो यहां तक आरएमओ के सामने कहा कि मेरा पुत्र यहां काम करते-करते मर गया और अब मुझे भी निकाल दिया गया। मेरे पुत्र के बच्चों को अब खाना कौन देगा। अधिकारियों ने किसी कर्मचारी का दुखड़ा नहीं सुना और सीधे पुलिस को मौके पर बुलवाकर लाठी-डंडे का इस्तेमाल करने की बात कही। आरएमओ के इस रवैये से कर्मचारी काफी आहत हुये और घंटो अस्पताल के सामने बैठकर बेदखली का विरोध जताया। कर्मचारियों का कहना था कि वे 15 साल से यहां सफाई का काम कर रहे हैं और जो दो-तीन महीने से रखे गये हैं उन्हें बाहर नहीं निकाला गया। आखिर किस मापदण्ड के मद्देनजर उन्हें काम से बाहर निकाल दिया गया। कर्मचारियों के इस सवाल का जवाब अधिकारियों ने नहीं दिया।
ज्ञात हो कि जीवन दीप कर्मचारियों द्वारा कुछ माह पहले कलेक्टर दर पर वेतन देने की मांग की गई थी, जिसे लेकर कर्मचारियों ने कई बार काम बंद कर आंदोलन भी किया था। कलेक्टर दर पर वेतन देने के निर्णय उपरांत 25 कर्मचारियों को बाहर निकालने का अनुमोदन किया गया था। इसी के मद्देनजर आज प्रबंधन द्वारा 25 कर्मचारियों को बाहर निकाल दिया गया। जिन लोगों को रखा गया उनकी लिस्ट चस्पा कर दी गई। यही नहीं जिन्हें निकाला गया, उनका बायोमैट्रिक मशीन से भी नाम हटा दिया गया। कर्मचारियों को जब यह पता चला कि उन्हें बिना सूचना के निकाल दिया गया है तो सभी बौखला गये। बाहर निकाले जाने की बात पर एक बेवा कर्मचारी ने घर पर ही अपने आप को बंद कर आत्महत्या की कोशिश भी की, जिसे आसपास के लोगों ने समझा-बुझाकर मनाया। दूसरी ओर जिला अस्पताल के सामने सभी कर्मचारी इकऋा होकर प्रबंधन को अपना दुखड़ा सुनाने लगे। बिना मापदण्ड के बाहर निकाले जाने के इस फरमान से सभी कर्मचारी दुखी थे। सभी का यह मानना था कि जो 15 साल से इस अस्पताल की सेवा कर रहा है उसे निकाला जाना उचित नहीं है। कर्मचारियों ने यह भी बताया कि दो महीना पहले ही जीवन दीप में कुछ कर्मचारियों को रखा गया है और जो पिछले एक-दो साल से काम पर लगे हैं उन्हें यथावत रखा गया है। फिलहाल अब बाहर निकाले गये कर्मचारी आंदोलन का मूड बना रहे हैं। संभवतरू शनिवार से कर्मचारी संघ के साथ अस्पताल में ही धरना प्रदर्शन का आयोजन किया जायेगा।

पैसे लेकर भर्ती करने की बात आई सामने
बाहर निकाले गये कर्मचारी में से कुछ ने यह तक कहा कि उनकी भर्ती डॉक्टर भल्ला के समय की गई थी। भर्ती के लिये उनसे 50 हजार रूपये भी लिये गये थे। इसके बाद भी उन्हें बाहर निकाल दिया गया। हालांकि पैसे लेने की बात का कोई प्रमाण सामने नहीं मिल सका है। कर्मचारियों के इस आरोप को प्रबंधन ने बेबुनियाद बताया। कुछ कतिपय लोगों द्वारा अपनी स्वार्थ सिद्धी के लिये मौके पर कर्मचारियों को बरगलाने का काम भी किया जा रहा था। बाहर निकाले गये कर्मचारियों के दुखड़े को न समझते हुये कतिपय लोग सिर्फ अपनी नेतागिरी की रोटी सेकने में लगे हुये थे।

किस मापदण्ड के अनुसार बनी लिस्ट
बाहर निकाले गये कर्मचारियों के साथ-साथ अस्पताल के चिकित्सक व अन्य नियमित कर्मचारियों के जेहन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर किस मापदण्ड को ध्यान में रखते हुये उन कर्मचारियों को बाहर निकाला गया, जो 15 साल से यहां सफाई का काम करते आ रहे हैं। 6 सौ रूपये की तनख्वाह से हुई भर्ती के बाद से काम कर रहे कर्मचारियों की रोजी-रोटी सिर्फ उनके इसी काम पर निर्भर थी। जिन कर्मचारियों को हाल ही में रखा गया है उन्हें बाहर न निकालकर उन कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया, जो वर्षों से अस्पताल की सेवा करते आ रहे हैं। आखिर किस मापदण्ड को लेकर लिस्ट बनाई गई यह सवालों के घेरे में है। बेदखल कर्मचारियों का आरोप है कि प्रबंधन ने उन कर्मचारियों को जीवन दीप में जगह दी है जो उनके घर का काम भी करते आ रहे हैं।