छत्तीसगढ़ में रबी फसलों के अंतर्गत धान, गेहूं, चना सहित अन्य दलहन और तिलहन फसलों की बोनी का काम तेजी से चल रहा है। इन फसलों के लिए प्रस्तावित लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 60 प्रतिशत से अधिक रकबे में बोनी पूरी हो चुकी है।
कृषि संचालनालय के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि प्रदेश में दो सौ हजार हेक्टेयर में धान फसल बोने का लक्ष्य रखा गया है। इसी प्रकार 170 हजार हेक्टेयर रकबे में प्रस्तावित गेहूं फसल के विरूद्ध अभी तक 30.73 हजार हेक्टेयर में बोनी हो चुकी है। जौ-ज्वार एवं अन्य अनाज के लिए 5.50 हजार हेक्टेयर, चना चार सौ हजार हेक्टेयर, मटर 50 हजार हेक्टेयर, मसूर 30 हजार हेक्टेयर, मूंग 28 हजार हेक्टेयर, उड़द 15 हजार हेक्टेयर, तिवरा 400 हजार हेक्टेयर, कुल्थी 35 हजार हेक्टेयर में बोने लक्ष्य रखा गया है। तिलहन फसलों में अलसी 70 हजार हेक्टेयर, राई-सरसो एवं तोरिया 150 हजार हेक्टेयर, तिल पांच हजार हेक्टेयर, सूरजमुखी 27 हजार हेक्टेयर, कुसुम 10 हजार हेक्टेयर, मूंगफल्ली 29 हजार हेक्टेयर रकबे में बोआई का काम तेजी से चल रहा है। गन्ना के लिए 28 हजार हेक्टेयर रकबा निर्धारित किया गया है। इसी प्रकार साग-सब्जी 169 हजार हेक्टेयर में बोने का लक्ष्य रखा गया है। इसके विरूद्ध 82 हजार हेक्टेयर में साग-सब्जी बोई जा चुकी है।
कृषि संचालनालय के अधिकारियों ने साफ मौसम को देखते हुए किसानों को खरीफ मौसम के धान फसल की कटाई पूर्ण करने की सलाह दी है। भर्री जमीन या कन्हार जमीन में धान कटाई के बाद जीरो तिलेज द्वारा चना की बोआई की जा सकती है। अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश के रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव और कबीरधाम जिले में जीरो टिलेज द्वारा चना बोने के लिए समयानुकुल है। मौसम अनुकुल रहने से रबी फसलें जैसे गेहूं, चना व तिवरा आदि फसलों की बोनी का काम जारी रख सकते हैं। मौसम में आर्द्रता कम होने से वाष्पीकरण की दर बढ़ रही है। इसको ध्यान में रखते हुए साग-सब्जी की फसल में जल प्रबंधन की सलाह दी गई है।