रायपुर : मुख्य सचिव की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग : लघु वनोपजों की सरकारी खरीदी और वन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित करने की तैयारियों की समीक्षा..

वन ग्रामों का सीमांकन 15 जनवरी तक पूर्ण करने के निर्देश

रायपुर, 23 दिसम्बर 2013

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मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निर्देशों के अनुरूप मुख्य सचिव श्री सुनिल कुमार ने आज यहां नया रायपुर मंत्रालय (महानदी भवन) में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए प्रदेश के सभी संभागीय कमिश्नरों, जिला कलेक्टरों और वन मण्डलाधिकारियों की एक विशेष बैठक ली। उन्होंने बैठक में घोषणा पत्र के दो प्रमुख बिन्दुओं- इमली, चिरौंजी, महुआ बीज, लाख और कोसा ककून की सरकारी खरीदी तथा वन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित करने के लिए मैदानी स्तर पर चल रही तैयारियों की समीक्षा की।
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को इमली, चिरौंजी, महुआ, लाख और कोसा ककून की शासकीय खरीदी के लिए प्रस्तावित खरीदी केन्द्रों से लेकर जिला स्तर तक सभी जरूरी प्रबंध जल्द से जल्द सुनिश्चित करने और विभिन्न प्रचार माध्यमों से इसका ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक प्रचार-प्रसार करने के लिए भी कहा। श्री सुनिल कुमार ने अधिकारियों को वन ग्रामों को राजस्व ग्रामों में बदलने की मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल के लिए सभी वन ग्रामों का सीमांकन 15 जनवरी तक अनिवार्य रूप से पूर्ण करने के भी निर्देश दिए।  मुख्य सचिव ने कहा कि यह एक बड़ी चुनौतीपूर्ण और महत्वपूर्ण कार्य है। इसलिए इसे सभी संबंधित अधिकारी सामूहिक जिम्मेदारी के साथ इसके क्रियान्वयन में जुट जाएं और अपनी क्षमता से आगे बढ़कर इस कार्य को करें। इन लघु वनोपजों की शासकीय खरीदी संबंधी टीप अधिकारियों की वार्षिक गोपनीय चरित्रावली में भी अंकित की जाएगी। मुख्य सचिव श्री सुनिल कुमार ने कहा कि कलेक्टर और वन मण्डलाधिकारी स्वप्रेरणा से लघु वनोपजों के संग्रहण का कार्य कराने के लिए अभी से आवश्यक तैयारी शुरू कर दें और अपने मातहत अधिकारियों एवं कर्मचारियों को भी स्वप्रेरणा से कार्य करने हेतु प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहा कि उक्त लघु वनोपजों की पहली बार शासकीय खरीदी की जाएगी, इसलिए इसमें बहुत सावधनी के साथ कार्य करें, ताकि कोई चूक न होने पाएं, जिससे व्यवस्था की कोई बदनामी हो। उन्होंने कहा कि उनके क्रियान्वयन में गलती किसी की भी हो जिसके लिए सभी भागीदारी मानी जाएगी। मुख्य सचिव ने कहा कि संग्रहण केन्द्रों की सूची तैयार कर लें और लघु वनोपजों की खरीदी के संबंध में गांव-गांव और हाट-बाजारों में मुनादी कराने सहित प्रचार-प्रसार के अन्य माध्यमों का भी उपयोग करें। उन्होंने इन लघु वनोपजों की गुणवत्ता के बारे में आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी करें। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे लघु वनोपजों का भुगतान खरीदी के दिन ही करने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्था रखने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव ने कलेक्टरों और वन मण्डलाधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि फ्लाइंग स्क्वाड गठित कर लघु वनोपज खरीदी व्यवस्था की जांच भी समय-समय पर करते रहें, जिससे कि लघु वनोपज की खरीदी सही ढंग से हो सके और इसमें कोई शिकायत न आए। उन्होंने कहा कि वनोपज संग्राहकों से ही वनोपज की खरीदी की जाए। इस अवसर पर वन विभाग के प्रमुख सचिव श्री अमिताभ जैन ने कहा कि लघु वनोपज खरीदी पर निगरानी रखने के लिए कलेक्टर जोनल अधिकारी भी नियुक्त करें और लघु वनोपज खरीदने के कार्यक्रम की जानकारी गांव-गांव तक पहंुचाएं। अपर मुख्य सचिव श्री अजय सिंह ने कहा कि राज्य के बाहर कोसा न जाने पाए इस पर भी निगरानी रखें। आदिम जाति कल्याण विभाग के सचिव श्री मनोज कुमार पिंगुआ ने कहा कि आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारी भी इन कार्यक्रम के क्रियान्वयन में अपनी सहभागिता निभाएं। प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री धीरेन्द्र शर्मा ने कहा कि खरीदी केन्द्रों का गठन, उनकी सीमा निर्धारण और अनुमानित मात्रा के बारे में आवश्यक जानकारी तैयार रखें ताकि जरूरी व्यवस्था की जा सके। छत्तीसगढ़ लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक श्री ए.के. सिंह ने कहा कि लघु वनोपज खरीदी के लिए फड़ मंुशी बनाने में आदिवासियों को प्राथमिकता दी जाए।
मुख्य सचिव श्री सुनिल कुमार ने कलेक्टरों और वन मण्डलाधिकारियों को निर्देश दिए कि वे वन ग्रामों को राजस्व ग्राम का दर्जा देने के लिए कार्य योजना तैयार कर 24 दिसम्बर तक भिजवाएं। उन्होंने कहा कि वन ग्रामों को राजस्व ग्राम का दर्जा देने की कार्रवाई पूरी होने तक इस कार्य में जुड़े किसी भी अधिकारी और कर्मचारी को कोई अवकाश स्वीकृत नहीं किया जाएगा। मुख्य सचिव ने वन ग्रामों की सीमा का सीमांकन का कार्य 15 जनवरी तक आवश्यक रूप से पूर्ण करें। उन्होंने कहा कि वन विभाग के अधिकारी वन ग्रामों में जाकर शासन की इस योजना के संबंध में ग्रामीणों को जानकारी दें और इसमें समाजसेवी संस्थाओं का भी सहयोग लिया जाए। मुख्य सचिव ने कहा कि वन ग्रामों को राजस्व ग्राम में बदलने के लिए सभी कलेक्टरों को बन्दोबस्त अधिकारी की शक्तियां दी जा रही है। प्रधान मुख्य वन संरक्षण श्री धीरेन्द्र शर्मा ने बताया कि वन ग्रामों में कराए जा रहे परिसम्पतियों का निर्माण कार्य वन विभाग के अधिकारी ही कराएंगे और कार्य पूर्ण होने के बाद उनका हस्तांतरण किया जाएगा और उसकी जानकारी ग्रामसभाओं में भी दी जाएगी। इस अवसर पर राजस्व विभाग के सचिव श्री के. आर. पिस्दा, आदिम जाति विकास विभाग के आयुक्त श्री एम.एस. परस्ते अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री मुदित कुमार सिंह और अन्य संबंधित विभागो के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।