अम्बिकापुर के इंदरपुर गांव मे टीकाकरण के बाद एक दुधमुही बच्ची की मौत हो गई है। परिजनो का आरोप है कि बच्ची की मौत टीकाकरण मे गलत दवाईओयो के प्रयोग से मौत हुई है। जबकि स्वास्थ विभाग के अधिकारी इसे जांच का विषय बता कर मामले से बचने का प्रयास कर रहे है। इधर मामले पर विधानसभा नेता प्रतिपक्ष ने स्वास्थ महकमे को जिम्मेदारा ठहराया है।
साढे चार महीने की बच्ची का शव को अपनी गोद मे लेकर मातम मनाती इस महिला को पता ही नही था कि एक जीवन रक्षक टीका ही उसकी मासूम पोती की मौत का जिम्मेदार बन जाएगा। दरसअल मामला अम्बिकापुर जिला मुख्यालय से 6 किलोमीटर दूर स्थित चीताबहार ग्राम पंचायत के इन्दरपुर गांव का है। जंहा के आंगनबाडी मे कल स्वास्थ कार्यकर्ताओ द्वारा रुटीन टीकाकरण कार्यक्रम के माध्यम से गांव की 4 बच्चो का टीकाकरण किया गया। जिसमे चाढे चार महीने की आंचल को बीपीटी का टीका लगाया गया था। लेकिन कल मंगलवार की शाम दोपहर तीन बजे के बाद लगे टीका के बाद बच्ची का शरीर नीला पडने लगा। और कल तक हंसती खेलती आंचल रात को सोते सोते ही भगवान को प्यारी हो गई।
टीकाकरण के बाद मौत की नींद सो चुकी मासूम आंचल के पिता दिनेश यादव दरिमा थाना मे आरक्षक है। और वो और हंसली खेलती आंचल को देखने वाले ये आरोप लगा रहे है कि आंचल की मौत टीकाकरण मे गलत दवाईयो के प्रयोग से हुई है । साथ ही पहले भी ऐसी ही घटना के शिकार हो चुके परिजन संजू यादव के मुताबिक गांव मे टीकाकरण करने वाले आने वाले स्वास्थ कार्यकर्ता कभी भी टीकाकरण को कार्ड मे इंट्री नही करते थे। इधर इस मसले पर पूछे गए सवाल पर जिला टीकाकरण अधिकारी डाँ भजदावलि अपनी गलती को स्वीकार कर रहे है, लेकिन फिर भी जांच और रिपोर्ट की दलील दे रहे है।
इधर बिलासपुर मे नसबंदी शिविर मे दर्जन भर महिलाओ की मौत के मामले मे राज्य सरकार को घेरने वाले विधानसभा नेता प्रतिपक्ष ने इस मसले मे केवल टीकाकरण करने वाले डाक्टर और स्वास्थ कर्मचारी को जिम्मेदारा नही ठहराया है उनके मुताबिक विभाग मे घटिया दवाओ के वितरण से राज्य भर मे इस तरह की घटनाएं हो रही है। साथ ही उन्होने कहा कि बिलासपुर और फिर अम्बिकापुर मे हुए ऐसे मामलो मे या तो मुख्यमंत्री को जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा देना चाहिए या फिर अपने स्वास्थ मंत्री को पद से हटा देना चाहिए।
वैसे ये तो तय है कि इस तरह की लापरवाही के लिए केवल वो ही अधिकारी कर्मचारी जिम्मेदार नही है जिसने टीकाकरण या नसबंदी की है। इसके लिए तो सबसे पहले जिम्मेदारी उन मंत्री , अधिकारी और ठेकेदार को लेना चाहिए जिन्होने इस दवाई की सप्लाई की है। बहरहाल अम्बिकापुर के इन्दरपुर की मासूम के मौत मामले मे प्रशासन और शासन किस तरह के कदम उठा रहा है ये फिलहाल साफ नही पाया है।