डॉ. सिंह ने पत्र में लिखा है कि केन्द्र सरकार की समर्थन मूल्य योजना के तहत राज्य के किसानों के धान की खरीदी राज्य के एजेंसी द्वारा की जा रही है। सेन्ट्रल पूल में धान के योगदान में छत्तीसगढ़ देश का तीसरा प्रमुख राज्य है। वर्तमान खरीफ विपणन वर्ष 2013-14 में धान के लिए निर्धारित 1345 रूपए प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य से हमारे किसान निराश हैं क्योंकि खेती की बढ़ती लागत को पूरा करने के लिए यह दर काफी कम है। मुख्यमंत्री ने लिखा है कि महंगाई लगातार बढ़ रही है। विशेष रूप से खाद और मजदूरी की दरों में पिछले कुछ वर्षो में काफी वृद्धि हुई है। किसानों को महंगाई के दुष्प्रभाव से बचाने लिए छत्तीसगढ़ में हमने कुछ पहल की है, जिसमें उन्हें ब्याज में रियायत के रूप में आर्थिक सहायता, बिजली, और पानी के लिए अनुदान, धान पर बोनस को 270 रूपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 300 रूपए करने का निर्णय भी शामिल है। ये सभी उपाय छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा स्वयं के संसाधनों से किए गए हैं। राज्य सरकार ने किसानों के लिए अलग से कृषि बजट की परम्परा भी शुरू की है, ताकि उन्हें खेती से संबंधित योजनाओं के जरिए अधिक से अधिक आर्थिक लाभ दिया जा सके। मुख्यमंत्री ने आगे लिखा है कि राज्य सरकार अपने इन प्रयासों के जरिए धान की खेती को लाभदायक बनाने के लिए केवल कुछ हद तक मदद कर सकती है, लेकिन स्थायी रूप से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि जरूरी है, ताकि इसकी खेती लाभप्रद हो सके। डॉ. रमन सिंह ने इन सब बिन्दुओं के प्रकाश में प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि वर्तमान खरीफ विपणन 2013-14 के लिए धान का प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य 2100 रूपए निर्धारित किया जाए, ताकि सेन्ट्रल पूल के लिए दिए जाने वाले धान के लिए किसानों को राज्य शासन द्वारा घोषित 300 रूपए प्रति क्विंटल का बोनस मिलाकर धान पर 2400 रूपए प्रति क्विंटल की राशि मिल सके।
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