रायपुर
कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि विभाग के अधिकारियों ने बदली भरे मौसम को देखते हुए रबी फसलों की सतत निगरानी करने की सलाह किसानों को दी है। उन्होंने कहा कि ऐसे मौसम में कीट प्रकोप की संभावना ज्यादा रहती है। प्रारम्भिक स्तर पर कीट प्रकोपों की जानकारी मिलने पर इनके नियंत्रण के लिए तत्काल उपाय करना जरूरी है। इससे किसानों को हानि कम होती है।
कृषि वैज्ञानिकों द्वारा आज यहां जारी मौसम आधारित कृषि सलाह में बताया है कि आसमान में बादल छाये रहने के कारण ग्रीष्मकालीन फसलों जैसे धान, मूंगफली, मूंग और साग-सब्जियों में कीट प्रकोप की संभावना अधिक है। उन्होंने कहा है कि जिन खेतों में रबी धान फसल कंसे निकलने की अवस्था में आ गयी है, वहां नत्रजन का छिड़काव करना जरूरी है। ग्रीष्मकालीन फसलों को काटने के बाद अधिक समय तक खेतों में न रखे और जल्द से जल्द मिंजाई कर लेना चाहिए। सिंचाई सुविधा वाले किसानों को ग्रीष्मकालीन तिल की बोआई करने की सलाह दी गई है। शीतकालीन गन्ने की फसल घुटने तक ऊंचाई तक पहुंच गयी है, तो निदाई-गुड़ाई करने के बाद पौधों में मिट्टी चढ़ाकर सिंचाई कर लेनी चाहिए। रबी फसलों की कटाई के बाद खेतों की गहरी जुताई कर मिट्टी को सौर विकिरण उपचार के लिए छोड़ देना चाहिए। जो खेत खाली हैं और मिट्टी में नमी है, उनकी भी जुताई करना जरूरी है।