मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में प्राधिकरणों की बैठक

रायपुर 

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज यहां मंत्रालय (महानदी भवन) में बस्तर एवं दक्षिण क्षेत्र तथा सरगुजा एवं उत्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरणों की बैठक में दोनो प्राधिकरणों के जिलों से संबंधित विकास कार्यो की समीक्षा की। अलग-अलग आयोजित बैठकों में दोनों प्राधिकरणों के कार्य क्षेत्र में अमर शहीद वीर नारायणसिंह स्वावलम्बन योजना के तहत चालू वित्तीय वर्ष 2014-15 में 600 आदिवासी युवाओं को रोजगार के लिए दुकान उपलब्ध कराने नौ करोड़ रूपए की धनराशि तत्काल मंजूर की गयी। प्रत्येक प्राधिकरण में इसके लिए 300 दुकानों का लक्ष्य निर्धारित किया गया। मुख्यमंत्री ने सरगुजा विकास प्राधिकरण की बैठक में जनप्रतिनिधियों से चर्चा के बाद प्राधिकरण के जिलों में जंगली हाथियों द्वारा मकानों और फसलों को नुकसान पहंुचाने पर प्रभावित परिवारों को वन विभाग की कैम्पा निधि से मुआवजा दिलाने की घोषणा की और अधिकारियों को इसके लिए कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए।
बैठक में सदस्यों को बताया गया कि दोनों प्राधिकरणों के लिए चालू वित्तीय वर्ष 2014-15 में कुल 70 करोड़ रूपए का मुख्य बजट प्राप्त हुआ है। प्रत्येक प्राधिकरण को 35 करोड़ रूपए मिले हैं। मुख्यमंत्री ने बैठक में सदस्यों से आगामी निर्माण कार्यो के प्रस्ताव जल्द प्रस्तुत करने का आग्रह किया। डॉ. सिंह ने कहा कि सदस्यगण 25-25 लाख रूपए के प्रस्ताव दे सकते हैं। उन्हें तुरन्त मंजूरी दी जाएगी। विगत बैठकों में स्वीकृत और निर्माणाधीन कार्यो की समीक्षा भी आज की बैठक में की गयी। मुख्यमंत्री ने सभी कलेक्टरों को निर्माणाधीन कार्य आगामी दिसम्बर तक पूर्ण करवाने के निर्देश दिए। डॉ. रमन सिंह ने सदस्यों को बताया कि किसानों के असाध्य सिंचाई पम्पों के विद्युतीकरण के लिए प्राधिकरण द्वारा 50 हजार से लेकर एक लाख रूपए तक राशि विद्युत कम्पनी को दी जाएगी। यह राशि विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा ऐसे पम्पों के लिए किसानों को दिए जा रहे अधिकतम 75 हजार रूपए के अनुदान के अतिरिक्त होगी। अधिकारियों ने सदस्यों को बताया कि दोनों प्राधिकरणों की विगत बैठक में लिए गए फैसलों के अनुसार अब तक चार हजार 067 किसानों को असाध्य पम्पों के विद्युतीकरण के लिए 84 करोड़ 70 लाख रूपए मंजूर किए जा चुके हैं। आज की बैठक में दोनों प्राधिकरणों के तहत कुल 785 किसानों के असाध्य पम्पों को बिजली का कनेक्शन दिलाने पांच करोड़ 53 लाख रूपए तत्काल मंजूर किए गए।

बस्तर प्राधिकरण की आज की बैठक में मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एमएमडीसी) को नगरनार इस्पात संयंत्र परियोजना के प्रभावित परिवारों की मदद के लिए राज्य सरकार की आदर्श पुनर्वास नीति का गंभीरता से पालन करने के निर्देश दिए। डॉ. रमन सिंह ने इस बारे में उठाए गए मुद्दे पर अपनी पूर्ण सहमति व्यक्त की और एन.एम.डी.सी. प्रबंधन के विरूद्ध जनप्रतिनिधियों से मिली इस शिकायत पर नाराजगी भी जतायी कि नगरनार संयंत्र में प्रबंधन द्वारा लगभग 300 सुरक्षा गार्डो की भर्ती भी राज्य के बाहरी आवेदकों में से की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा नहीं चलेगा। हमारी आदर्श पुनर्वास नीति में यह स्पष्ट प्रावधान है कि परियोजना प्रभावित प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को संबंधित परियोजना में उसकी योग्यता के अनुसार अनिवार्य रूप से नौकरी दी जाए। उन्होंने बैठक में उपस्थित एन.एम.डी.सी. प्रबंधन के अधिकारियों से कहा कि वे परियोजना प्रभावित परिवारों के स्थानीय बेरोजगारों को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। उनमें संयंत्र से संबंधित फीटर, इलेक्ट्रिशियन आदि तकनीकी पदों के लिए अगर योग्यता नहीं है तो संयंत्र प्रबंधन की ओर से उनको आई.टी.आई. में कौशल उन्नयन का प्रशिक्षण दिलाकर संयंत्र में नौकरी दी जाए। डॉ. रमन सिंह ने नगरनार इस्पात संयंत्र के परियोजना प्रभावित परिवारों के लिए मुआवजा वितरण भी तत्परता से करने के निर्देश दिए और कहा कि मुआवजा वितरण तथा रोजगार दिलाने की प्रक्रिया की सतत निगरानी बस्तर राजस्व संभाग के आयुक्त द्वारा की जाए।

बैठक में कलेक्टर बस्तर ने बताया कि इस परियोजना के लिए प्रथम चरण में चार गांवों- कस्तूरी, आमागुड़ा, नगरनार और मंगनपुर में लगभग 289 हेक्टेयर तथा दूसरे चरण में आठ गांवों- कस्तूरी, मंगनपुर, आमागुड़ा, नगरनार, उपनपाल, माड़पाल, चोकावाड़ा और बीजापुर में लगभग 319 हेक्टेयर निजी भूमि अर्जित की गयी है। परियोजना के लिए दो चरणों में भू-अर्जन में प्रभावित परिवारों की संख्या एक हजार 355 है। इनमें से एक हजार 317 परिवारों को 70 करोड़ 18 लाख रूपए का मुआवजा दिया जा चुका है और इतने ही परिवारों को रोजगार भी दिया गया। वर्ष 2010 में भू-अर्जन से प्रभावित एक हजार 052 परिवारों में से 838 खातेदार आदर्श पुनर्वास नीति 2007 के प्रावधानों के तहत रोजगार के लिए पात्र पाए गए हैं। इन परिवारों को मुआवजा तथा रोजगार आदि दिलाने के लिए जिला प्रशासन और एनएमडीसी प्रबंधन के बीच इस वर्ष जनवरी में बैठक हुई थी, जिसमें प्रत्येक खातेदार को संयंत्र में रोजगार मिलने तक 14 अगस्त 2012 से मासिक सस्टेनेन्स भत्ता देने और 31 मार्च 2017 तक संयंत्र में रोजगार देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एनएमडीसी प्रबंधन प्रत्येक ऐसे प्रभावित परिवार के बेरोजगार युवाओं के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था कर उनमें संयंत्र से संबंधित पदों के लिए योग्यता भी विकसित करे। मुख्यमंत्री ने बस्तर प्राधिकरण की बैठक में जगलदपुर शहर के विकास के लिए एनएमडीसी द्वारा परिक्षेत्र विकास निधि से स्वीकृत ग्राम मारेंगा-आड़ावाल तक बायपास रोड निर्माण, जगदलपुर से भेजापदर बायपास रोड निर्माण आदि से संबंधित कार्यो की भी समीक्षा की। उन्होंने परियोजना प्रभावित गांवों बेहनार, नरेली, कोड़ेनार और मोलसनार में कुछ हैण्डपम्पों में थोड़ी मात्रा में आयरन की समस्या को देखते हुए अधिकारियों को इसके निराकरण के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। बैठक में बताया गया कि पिछली बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार नारायणपुर जिले के ओरछा विकासखण्ड में ग्रामीणों को राशन आपूर्ति के लिए दस गांवों को चिन्हित कर उचित मूल्य की दुकाने खोली जाए। इसके लिए समाजसेवी संस्था रामकृष्ण मिशन आश्रम से सहयोग लेने का भी निर्णय लिया गया।

बैठक में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत विभिन्न क्षेत्रों में गोदाम निर्माण की प्रगति की भी समीक्षा की गयी। बताया गया कि वर्ष 2009-10 में स्वीकृत राशि से मैनपुर, छुरिया, चौकी और जगदलपुर में गोदामों का निर्माण पूर्ण हो गया है। इसी तरह वर्ष 2010-11 स्वीकृत गोदामों में से कांकेर, चारामा, कोण्डागांव, केशलूर, बीजापुर और आवापल्ली में गोदाम बन गए हैं। डॉ. रमन सिंह ने सरगुजा एवं उत्तर क्षेत्र विकास प्राधिकरण की बैठक में रायगढ़ जिले के तमनार क्षेत्र में सलिहाभाठा से आमाघाट तक बायपास सड़क निर्माण, वृष्टि छाया प्रभावित गांवों में किसानों के असाध्य सिंचाई पम्पों के विद्युतीकरण सहित विभिन्न निर्माण कार्यो की समीक्षा की। बैठक में बताया गया कि सरगुजा, जशपुर, कोरिया, कोरबा, रायगढ़ और बिलासपुर जिले के 19 विकासखण्ड मुख्यालयों में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में मरीजों के परिवार के लोगों के ठहरने के लिए प्रतीक्षालय निर्माण की स्वीकृति वर्ष 2011 में दी गयी थी। इनमें से 18 भवन पूर्ण हो चुके हैं। प्राधिकरण क्षेत्र में भौगोलिक दृष्टि से दुर्गम इलाकों में स्थित पुलिस थानों और चौकियों में सौर ऊर्जा प्रणाली से वैकल्पिक विद्युत व्यवस्था के बारे में भी बैठक में समीक्षा की गयी। दोनों बैठकों में प्रदेश के गृह मंत्री श्री रामसेवक पैकरा, कृषि और जल संसाधन मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल, आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास मंत्री श्री केदार कश्यप, लोक निर्माण मंत्री श्री राजेश मूणत, महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री श्रीमती रमशिला साहू सहित प्राधिकरण क्षेत्र के विधायक और अन्य संबंधित सदस्य उपस्थित थे। मुख्य सचिव श्री विवेक ढांड, वित्त और योजना विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री डी.एस. मिश्रा, कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री अजय सिंह तथा सभी संबंधित विभागों के प्रमुख सचिव और सचिव और प्राधिकरण क्षेत्र के संभागीय आयुक्त और संबंधित जिलों के कलेक्टर भी बैठक में मौजूद थे।