बलरामपुर (कृष्णमोहन कुमार) देश मे एक ओर जहां गाँवो में लोग बालिका शिक्षा पर संसाधनों के अभाव में अधिक जोर नही दे पाते है,तो वही दूसरी ओर बलरामपुर जिले के महराजगंज में एक माँ गांव वालों के लिए मिशाल बन चुकी है, आदिवासी परिवार की गरीब और दिव्यांग बेटी को पढ़ाने की कमान खुद ही उसकी माँ ने सम्हाल रखी है, 12 वर्षीया फुलेश्वरी अपनी माँ के साथ रोज व्हीलचेयर पर सवार होकर स्कूल पहुचती है,और बड़ी होकर फुलेश्वरी शिक्षिका बनना चाहती है।
बलरामपुर जिले के ग्राम महराजगंज निवासी तानिस खैरवार एक गरीब आदिवासी महिला है,और उसके पति लल्लू खैरवार खेती किसानी का कार्य कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर जीविकोपार्जन करते है,लेकिन उन्हें असाक्षर होने का मलाल इस कदर हावी हुआ कि,वे अपने दिव्यांग बेटी को पढ़ाने हर सम्भव कोशिशें कर रही है,यही नही तनिस हर रोज अपनी बेटी फुलेश्वरी को व्हीलचेयर में बैठा कर स्कूल ले जाती है,और वह यह काम बीते 6 सालों से कर रही है।
दिव्यांग के पढ़ने के हौसले को सलाम
वही फुलेश्वरी जन्म से ही दिव्यांग है, उसके दोनों पैर और दाहिना हाथ जन्म से ही शून्य है,जिसके चलते उसे हमेशा अपनी माँ पर निर्भर रहना पड़ता है, फुलेश्वरी अपने 3 बहनों में सबसे छोटी है, फुलेश्वरी पढ़ाई में तेज है,और उसके पढ़ाई के प्रति हौसला अफजाई के लिए फुलेश्वरी की माँ हर पल उसके साथ होती है, इन दिनों फुलेश्वरी महराजगंज के हाई स्कूल में 6 वी क्लास की छात्रा है,यही नही फुलेश्वरी पढ़ लिखकर अशिक्षित लोगो को शिक्षित बनाने का बीड़ा उठाने शिक्षिका बनने की बात कहती है।
फुलेश्वरी जन्म से ही दिव्यांग है,और उसने गांव के ही सरकारी प्राथमिक शाला में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की है,फुलेश्वरी को घर से स्कूल आने जाने में असुविधा ना इसका ख्याल उसकी माँ तो रखती ही है,इसके अलावा उसे ग्राम पंचायत ने एक व्हीलचेयर भी दिया है।
फुलेश्वरी को अपने माँ के साथ व्हीलचेयर पर आते देख शिक्षक भी फुलेश्वरी की हौसलाफजाई के लिए पहुचते है,यही नही शिक्षक फुलेश्वरी और उसकी माँ की तारीफ करते नही थकते ,इसके अलावा खुद हाईस्कूल के प्रिंसिपल फुलेश्वरी की पढ़ाई की मॉनिटरिंग करते है,और उसे हर मदद का आस्वाशन देते है।
तानिश ग्रामीणों के बीच मिशाल
तनिस एक ऐसी माँ है जो अपनी बेटी के शिक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहती है,और यही वजह है कि आज तानिश बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने गाँव के लोगो को सन्देश दे रही है,यही नही वो ग्रामीणों के बीच एक मिशाल बनी हुई है।