मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने दिए आपदा प्रबंधन की अग्रिम तैयारी के निर्देश
रायपुर 10 अक्टूबर 2014
- समुद्री चक्रवात ‘हुदहुद’ से निपटने छत्तीसगढ़ में शासन-प्रशासन सतर्क
- मुख्य सचिव ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए ली संभागीय कमिश्नरों और कलेक्टरों की आपात बैठक
- राजधानी सहित सभी जिलों में बाढ़ नियंत्रण कक्ष और सरकारी अस्पताल चौबीसों घंटे खुले रहेंगे
बंगाल की खाड़ी में उठे समुद्री चक्रवात ‘हुदहुद’ के प्रभाव से छत्तीसगढ़ में भी प्रबल बारिश और तेज हवाओं के चलने की आशंका को देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अधिकारियों को आपदा प्रबंधन की सभी तैयारियां युद्ध स्तर पर सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। समुद्री चक्रवात ‘हुदहुद’ का छत्तीसगढ़ में 12 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक असर रहने की आशंका है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा है कि राजधानी रायपुर सहित सभी जिलों में बाढ़ नियंत्रण कक्षों और सरकारी अस्पतालों को ‘हुदहुद’ के संभावित असर के दौरान चौबीसों घण्टे खुला रखा जाए और उनमें अधिकारियों तथा कर्मचारियों की आपात ड्यूटी लगायी जाए। रायपुर स्थित राज्य स्तरीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष का टेलीफोन नंबर 0771-2510593 और फैक्स नंबर 0771-2510823 है। सभी जिला मुख्यालयों में भी बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाये गये हैं जो कि 24 घंटे कार्यरत रहेंगे।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्य सचिव श्री विवेक ढांड ने आज यहां मंत्रालय (महानदी भवन) में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ प्रदेश के सभी संभागीय कमिश्नरों और जिला कलेक्टरों की आपात बैठक ली। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए आयोजित इस बैठक में आपदा प्रबंधन के अग्रिम उपायों की विस्तृत समीक्षा की। श्री ढांड ने बैठक में बताया कि ‘हुदहुद’ के संभावित खतरों को देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने जनता से अपील की है कि वे इस दौरान बाहर नहीं घूमना चाहिए और नदी तथा जलाशयों के किनारे नहीं जाना चाहिए। उन्होंने सभी लोगों से संभावित प्राकृतिक आपदा के दौरान धैर्य बनाये रखने और प्रभावित व्यक्तियों की हरसंभव मदद करने की भी अपील की है। बैठक में बताया गया कि होमगार्ड ने राज्य आपदा प्रबंधन बल (एस.डी.आर.एफ.-स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स) को भी किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार कर लिया है। स्वास्थ्य, जल संसाधन, राजस्व और आपदा प्रबंधन, लोक निर्माण, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, कृषि, पशुधन विकास, बिजली, पंचायत और ग्रामीण विकास, नगरीय प्रशासन और विकास विभाग सहित सभी संबंधित विभागों और सरकारी एजेंसियों को मुख्य सचिव ने इस दौरान सतर्क रहने के निर्देश दिए। ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों को भी अपने-अपने स्तर पर सावधानी मूलक उपाय करने के लिए कहा गया है। राहत शिविरों के लिए स्थान चिन्हांकित कर लेने के निर्देश बैठक में दिए गए। मुख्य सचिव ने कहा कि सम्भावित बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए मोटर-बोट, लाईफ जेकेट, तैराक, रस्सी, टॉर्च आदि की अग्रिम व्यवस्था कर ली जाए।
हुदहुद के असर के दौरान बस्तर संभाग के सभी जिलों सहित पूरे राज्य में तेज हवाओं के साथ भारी बारिश की संभावना मौसम विभाग ने व्यक्त की है। मुख्य सचिव ने सभी कलेक्टरों, पुलिस अधीक्षकों, अनुविभागीय अधिकारियों, शासकीय चिकित्सकों, तहसीलदारों, नायब तहसीलदारों, पटवारियों और ग्राम पंचायत के सचिवों को मुख्यालय में मौजूद रहने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने 12 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक सभी अस्पतालों को खुला रखने और वहां एम्बुलेंस, जरूरी दवाईयों, इंजेक्शनों एवं आपेरशन थियेटर में सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित रखने कहा है। उन्होंने इस दौरान विद्युत और संचार व्यवस्था की बाधाएं तत्काल दुरूस्त करने के लिए चौबीसों घंटे अमला तैयार रखने के निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने पुलिस, होमगॉर्ड, फायर ब्रिगेड और आपदा राहत दलों को किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह मुस्तैद रहने को कहा है। राज्य स्तर से आपदा प्रबंधन सुरक्षा बलों को किसी भी आकस्मिक सूचना पर रवाना करने के लिए तैयार रखने हेतु पुलिस महानिदेशक, नगर सेना तथा नागरिक सुरक्षा को निर्देश दिए गए हैं।
राहत और बचाव कार्य के प्रभावी इंजताम के लिए गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री एन.के. असवाल, पुलिस महानिदेशक श्री ए.एन. उपाध्याय, होमगॉर्ड के महानिदेशक श्री गिरिधारी नायक, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री आर.पी. मंडल, स्वास्थ्य एवं खाद्य विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला, राजस्व विभाग के प्रभारी सचिव डॉ. बी.एल. अग्रवाल, छत्तीसगढ़-ओड़िशा सब-एरिया के ब्रिगेडियर आशुतोष सिरोडिया एवं मौसम विज्ञान केन्द्र के निदेशक डॉ. एम.एल. साहू उपस्थित थे।
मुख्य सचिव श्री ढांड ने प्रदेश के जलाशयों में वर्तमान में भरपूर पानी को देखते हुए भारी बारिश की संभावना के मद्देनजर आवश्यकता के अनुसार इन बांधों से पानी छोड़ने की तैयारी रखने कहा, ताकि इस दौरान होने वाली बारिश से बांधों और जलाशयों से बाढ़ की स्थिति न बनें। पानी छोड़ने की स्थिति में इसकी सूचना संबंधित जिलों के निचले स्तर के इलाकों में जनता को दी जाए।बैठक में बताया गया कि सभी जलाशयों के जल भराव की वर्तमान स्थिति की समीक्षा कर जल आवक को देखते हुए जल संसाधन विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। विद्युत विभाग के अधिकारियों का दल गठित कर सभी जिलों में तैनात रखने की व्यवस्था की गई है तथा आंधी-तूफान से विद्युत लाईनों की क्षति पहुंचने की स्थिति में तत्काल मरम्मत करने अथवा विद्युत आपूर्ति की वैकल्पिक व्यवस्था करने का भी प्रावधान किया गया है। आंधी तूफान तथा बाढ़ से सम्भावित क्षति का आंकलन तथा प्रभावितों को तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए गए हैं।