सडक ,बिजली, पानी, इंसान की तीन बुनियादी अवश्यकताएं होती है, लेकिन सरगुजा जिले मे ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियो की मिलीभगत से इंसान के बुनयादी हक पर भी डांका डाला जा रहा है। मौजूदा मामला सडक निर्माण मे भ्रष्टाचार से जुडा ऐसा मामला है , जिसमे ठेकदार का बेईमान चेहरा सडक की उखडती परतो मे साफ दिखने लगा है और जिला मुख्यालय अम्बिकापुर से लगी लाखो की सडक महीनो मे अपना अस्तित्व खोने पर मजबूर हो गई है…
- सडक का नाम खलिबा से बलसेडी ,
- सडक की कुल लंबाई 5.80 किलो मीटर ,
- सडक कार्य शुरु करने की तिथी 3 मार्च 2008 ,
- कार्य पूरा करने की अवधि 12 माह लागत एक करोड 22 लाख
- ठेकेदार – किशन एण्ड कंपनी कोरबा
ये पैमाना प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक योजना के तहत बने खलिबा बलसेढी मार्ग का है ,जिसके तहत ठेकेदार ने इस सडक का टेंडर प्राप्त किया था, लेकिन पहले तो 12 महीने मे बनने वाली ये सडक लेटलतीफी की वजह से 4 वर्षो बाद 2012 मे पूर्ण हुई, और जब सडक बनकर तैयार हुई तो उसके डेढ वर्ष बाद ही सडक की हालत इतनी जर्जर हो गई कि सडक का डामरीकरण लापतागंज का निवासी हो गया और डब्लूबीएम की गिट्टी इस सडक के राहगीरो के रोज के मुलाकाती बन गई है।
वैसे तो निर्माण के एक वर्ष बाद इस जर्जर हालत की शिकायत आरटीआई कार्यकर्ता ने प्राप्त दस्तावेजो के आधार पर कलेक्टर को कर तो दी है, लेकिन 6 किलोमीटर दूर स्थित
अम्बिकापुर मुख्यालय से सीधा संपर्क जोडने वाली बलसेडी की इस सडक के बनने के बाद दिवाली मानने वाले ग्रामीण आज इस सडक की दुर्दशा पर मातम मानने पर मजबूर है। ग्रामीण बलजीत और भारत की माने तो इस सडक मे वैसे तो 20 एम एम से डामरीकरण किया जाना था, लेकिन ऐसा नही किया गया, लिहाजा आज इस सडक पर चलना भी मुश्किल हो रहा है।
शिकायतकर्ता आरटीआई कार्यकर्ता दिनेश सोनी ने पीएमजीएसवाई मद से बनाई गई घटिया सडक की शिकायत कलेक्टर सरगुजा के साथ ही संभाग आयुक्त से भी की है, तो शिकायत की गंभीरता को देखते हुए संभागायुक्त ने मामले की जांच के लिए सरगुजा कलेक्टर को निर्देश भी दे दिए है। इस संबध मे जानकारी देते हुए सरगुजा संभाग उपायुक्त ए.पी.साण्डिल्य ने बताया कि ऐसे मे मामलो मे ठेकेदार से राशि वसूली और दोषी अधिकारियो के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है।
जिला और संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर से महज 6 किलो मीटर की दूरी से बनना शुरु हुई सडक मे केवल घटिया सामग्री का ही उपयोग नही किया गया है, बल्कि ठेकेदार ने इसकी लंबाई कम कर भी भ्रष्टाचार किया है।
बहरहाल प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक योजना के तहत बनी इस सडक की अगर जांच वास्तव मे गंभीरता से हुई , तो आंच उन सडको और ठेकेदारो पर भी पडेगी, जिनके रसूक पर राजनैतिक छत की छाया है।