रायपुर/ बिलासपुर / नई दिल्ली [ब्यूरो]।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के एक गांव में सरकारी नसबंदी शिविर के बाद एक-एक कर 12 महिलाओं की मौत होने के बाद हड़कंप मच गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से फोन पर बात कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई और पीड़ितों के श्रेष्ठ इलाज के निर्देश दिए। मौतों पर संयुक्त राष्ट्र ने भी चिंता जताई है। मुख्यमंत्री रमन सिंह मंगलवार को राज्य के स्वाथ्य मंत्री अमर अग्रवाल के साथ बिलासपुर पहुंचे। राज्य सरकार ने शिविर में नसबंदी करने वाले चारों डॉक्टरों को निलंबित कर दिया है।
बिलासपुर जिले के तखतपुर विकासखंड के ग्राम पेंडारी में मातम पसरा पड़ा है। दिलदहला देने वाली इस घटना के दूसरे दिन मुख्यमंत्री डॉ.सिंह ने लापरवाही बरतने और इन मौतों के लिए जिम्मेदार चार चिकित्सकों को निलंबित कर दिया है। इसमें परिवार नियोजन कार्यक्रम के प्रदेश संयोजक डॉ. केसी उरांव, सीएमओ डॉ. आरके भांगे, तखतपुर बीएमओ डॉ. प्रमोद तिवारी व ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक डॉ. आरके गुप्ता शामिल हैं। डॉ. गुप्ता के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने का आदेश भी जारी कर दिया गया है। नसबंदी शिविर शनिवार को आयोजित किया गया था। इसके बाद 50 से ज्यादा महिलाओं को पेट दर्द और उल्टियों की समस्या हुई थी। उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था। इनमें से गंभीर रूप बीमार 12 महिलाओं की मौतें हो गई है। 19 महिलाओं की स्थिति अब भी गंभीर बताई गई है। लगातार जारी मौतों से मंगलवार को बिलासपुर में हड़कंप की स्थिति रही।
इस्तीफा दें रमनसिंह : कांग्रेस
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल व नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव भी मंगलवार को बिलासपुर पहुंचे। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ.सिंह व स्वास्थ्य मंत्री अग्रवाल के इस्तीफे की मांग की।
डॉक्टरों की लापरवाही
मुख्यमंत्री रमनसिंह ने अस्पताल पहुंचकर पीड़ितों का हालचाल जानने के बाद स्वास्थ्य मंत्री अग्रवाल की मौजूदगी में विशेषज्ञ चिकित्सकों से इस पूरे मामले की जानकारी ली। इसके बाद पत्रकारों से चर्चा में डॉ. सिंह ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान चिकित्सकों की लापरवाही सामने आई है।
चार-चार लाख रुपए का मुआवजा
सीएम ने बताया कि इस तरह के मामलों में मृतकों के परिजनों को बतौर मुआवजा दो लाख रुपए देने का प्रावधान है। चूंकि मामला बेहद गंभीर है, इसे ध्यान में रखते हुए मृतक के परिजनों को चार लाख और पीड़ितों को 50 हजार रुपए देने का राज्य शासन ने निर्णय लिया है। पीड़ितों के इलाज का पूरा खर्च राज्य शासन वहन करेगा।
जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी
नसबंदी ऑपरेशन के बाद मौत क्यों हुई? ब्लड प्रेशर लो हुआ या फिर ये डिप्रेशन में आ गए? एक्सपायर्ड दवाओं का उपयोग तो नहीं किया गया? इन सब बिंदुओं पर जांच के लिए राज्य सरकार ने तीन सदस्यीय जांच समिति बनाई गई है। समिति को एक महीने के भीतर रिपोर्ट देने कहा गया है।
मानवीय आपदा : संयुक्त राष्ट्र
नई दिल्ली [आवेश तिवारी]। छत्तीसगढ़ में नसबंदी के दौरान हुई आठ महिलाओं की मौत को संयुक्त राष्ट्र ने मानवीय आपदा बताया है। इस बीच केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल से चर्चा कर जानकारी ली। फिलहाल केन्द्र ने जांच का कोई आदेश नहीं दिया है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि की उप निदेशक केट गिलमोर ने कहा कि ऐसी घटनाएं नसबंदी के दौरान चिकित्सकीय मानकों का सही ढंग से पालन न करने की वजह से घट सकती हैं।
स्वास्थ्य महानिदेश अनभिज्ञ
अजीबोगरीब यह था कि इतने गंभीर मामले की जानकारी भारत सरकार के महानिदेशक [स्वास्थ्य सेवा] डॉ. जगदीश प्रसाद को मंगलवार अपरान्ह तक नहीं थी। उन्होंने कहा कि हम राज्य सरकार से जानकारी मांग रहे हैं।
सोनिया ने जताया दु:ख
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस पूरे मामले पर गहरा दु:ख जाहिर करते हुए मृत महिलाओं के परिजनों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं।
2009 से 2012 के
बीच 568 मौतें देश में नसबंदी के दौरान होने वाली मौतों का मामला कोई नया नहीं है। राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा गया था कि वर्ष 2009 से वर्ष 2012 के बीच देश में नसबंदी के दौरान हुई कुल 568 मौतें ऐसी थी, जिनमें मुआवजा दिया गया था।
खुले मैदान में कर दी थी नसबंदी
वर्ष 2012 में भी इसी तरह की घटना प्रकाश में आई थी ,जब तीन व्यक्तियों ने खुले मैदान में बिना एनेस्थेसिया दिए दो घंटे में 53 महिलाओं का नसबंदी आपरेशन कर दिया था।