अम्बिकापुर
देश दीपक “सचिन”
अम्बिकापुर का जिला अस्पताल जिसे अब मेडिकल कालेज की मान्याता प्राप्त जो चुकी है लेकिन यहाँ काम कर रहे चिकित्सको में संवेदनाये मर चुकी है। अस्पताल प्रबंधन ने ऐसे लोगो को नेत्र विभाग की जिम्मेदारी दी है जो महाभारत के धृतराष्ट्र बनकर यहाँ बैठे है। यहाँ दिव्यांगो को भी मेडिलकल प्रमाण पात्र के लिए तारीख पे तारीख दी जाती है..एक दिव्यांग अपने छोटे से भतीजे की आँख खराब होने के कारण उसकी शिक्षा के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट लेने अस्पताल के चक्कर लगा रहा है लेकिन अस्पताल के नेत्र विभाग के चिकित्सक बच्चे का मेडिकल सर्टिफिकेट देने के बजाय उसे बार बार अस्पताल के चक्कर लगवा रहे है।
अमूमन इस अस्पताल में ऐसा ही होता है लेकिन आज अम्बिकापुर मेडिकल कालेज का घिनौना मजाक तब सामने आया जब अपने बच्चे के मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए अस्पताल के चक्कर लगा लगा के थक चुके दिव्यांग बच्चे के दिव्यांग चाचा ने अपनी आप बीती शहर के निशक्त जन सेवा समिति से बताई और समिति ने फटाफट को सूचना देकर अस्पताल बुलाया और अस्पताल प्रबंधन की करतूत उजागर करने का निवेदन किया।
शहर से लगभग दस किलोमीटर दूर स्थित दरिमा क्षेत्र के मोतीपुर गाँव से अपने बेटे को दिव्यांगो की स्कूल में शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने पहुचे। दिव्यांग चाचा ने आप बीती बताई की उनके बेटे की एक आँख बिलकुल ख़राब है और दूसरी आँख में भी जलन होती है और उसके मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए कई बार अस्पताल के चक्कर लगा चुके है लेकिन इस अस्पताल में मेडिकल सर्टिफिकेट देने की जगह हर बार टालमटोल किया जाता है..और एक पैर के सहारे अपनी लाचारी और बेबसी के साथ अपने भतीजे की शिक्षा के लिए दिव्यांग चाचा अस्पताल के काउंटरो के चक्कर लगा रहा है।
वही अस्पताल के नेत्र विभाग में ध्रतराष्ट्र की भूमिका निभा रही एक मात्र चिकित्सक मीडिया के सवालों के जवाब देने की जगह.. बच्चे के प्रति संवेदना व्यक्त करने की जगह ठिठोली कर बचती हुई नजर आ रही है वो मीडिया को कह रही है की इसका कुछ मत करो ये सब मेरे सीनियर बताएँगे।
बहरहाल बड़प्पन की डींग हांकने वाले इस मेडिकल कालेज अस्पताल में दिव्यांग अपने प्रमाण पत्र के लिए चक्कर लगा रहे है..लेकिन संवेदनहीन अस्पताल स्टाफ अपने तानाशाह रवैये के कारण लोगो की मजबूरी को ना समझ इंसानियत को शर्मसार किया जा रहा है।