देखें वीडियो..! जब ट्रैक्टर में बैठकर पहुंचे कलेक्टर किरण…फुलेश्वरी सिंह और चिंतामणि…

अम्बिकापुर  आज हम आपको कर्तव्यनिष्ठा का एक ऐसा दृश्य दिखाने जा रहे है जो कम ही देखा जाता है.. फटाफट के कैमरे में कैद इस तश्वीर को देख आपको लगेगा जैसे आप कोई लघु फिल्म देख रहे है.. लेकिन ये कोई बनावटी फिल्म नहीं बल्की हकीकत है.. कर्तव्य निष्ठ सरगुजा कलेक्टर किरण कौशल स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ ऐसे दुर्गम गाँव पहुँची जहाँ पहुचने के लिए उन्हें दस किलोमीटर ट्रैक्टर में और तीन किलोमीटर पैदल चलना पडा…

वीडियो देखें ट्रैक्टर में कलेक्टर…

दरअसल अंबिकापुर कलेक्टर किरण कौशल और उनके साथ जिला पंचायत अध्यक्षा फुलेश्वरी सिंह, विधायक चिंतामणि महराज सहित प्राशासनिक अमला हाथी प्रभावित क्षेत्र लखनपुर विकाशखंड के घटोन गाँव के दौरे पर निकले और यह सफ़र किसी एडवेंचर ट्रिप से कम नहीं था.. क्योकी इस यात्रा में कलेक्टर के साथ निकला हर शख्स का वाहन गाँव तक पहुचने के लिए उपयुक्त नहीं था… लिहाजा दस किलोमीटर की यात्रा ट्रैक्टर में की गई.. और जब ट्रैक्टर भी जवाब दे गया तब तीन किलोमीटर की पद यात्रा कर सभी घटोन गाँव पहुचे..

इस दौरान प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का दल प्रभावितों से मिला एवं हाथियों द्वारा किए गए नुकसान की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने सुरक्षा को दृष्टिगत रखकर हाथी प्रभावित ग्रामीणों को पटकुरा ग्राम पंचायत के विद्यालय भवन एवं आंगनबाड़ी केन्द्र में बनाए गए कैम्प में रहने की समझाईष दी। कलेक्टर ने प्रभावितों को शीघ्र मुआवजा प्रदान करने के निर्देष दिए। मौके पर उपस्थित वनमण्डलाधिकारी प्रियंका पाण्डेय ने बताया कि प्रभावित 48 परीवारो को शीघ्र मुआवजा प्रदान कर दिया जाएगा।

माना जाता है की कलेक्टर जिले का राजा होता है और सरगुजा में उस पद पर किरण कौशल आसीन है… और उनके क्षेत्र की जनता संकट में है हाथियों ने उनका जीना दूभर कर दिया है ऐसे में उनका वहां जाना याद जरूरी था.. अमूमन अन्य अधिकारी ऐसी जगहों पर जाने से कतराते है और दूरस्थ क्षेत्रो की हालत जस की तस बनी रहती है, लेकिन सरगुजा कलेकटर किरण ने इस क्षेत्र के लोगो की तकलीफ को खुद बेहद नज़दीक से महसूस किया है, क्योकी वो खुद इस सफ़र का हिस्सा रही है..

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हालाकी इस वीडियो में कलेक्टर और जन प्रतिनिधियों की संवेदनशीलता के साथ साथ एक बात और सामने आ रही है की क्या किरण से पहले इस जिले में कलेक्टर नहीं थे.. या उस क्षेत्र के जिम्मेदार अधिकारियो को यह नजारा नहीं दिखा.. डिजिटल इण्डिया और बुलेट ट्रेन के सपने देखने वाली सरकार के नुमाइंदो को इस पहुँच विहीन गाँव की दुर्दशा नही दिखी.. बहरहाल ये तश्वीर देश और प्रदेश की राजधानी में बैठे हमारे मुखियाओ को जरूर देखनी चाहिए.. क्योकी स्वच्छ भारत मिशन, डिजिटल इंडिया, नदी बचाओ जैसी योजनाओं में करोडो के बजट खर्च करने के बावजूद देश की असल तश्वीर कुछ और ही है..ऐसे गाँव है जहाँ से विकाश कोसो दूर है..

खैर इस तरह का यह कोई पहला मामला नहीं हैं.. ऐसे मामले आते रहते है.. कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी अपना करते रहते है लेकिन सवाल ये है की कितने दिन क्योकी अधिकारी आते जाते रहते है और नए अधिकारी के आने बाद स्थति भी नई होती है.. फिलहाल सरगुजा कलेक्टर की कार्य प्रणाली लाजवाब है.. और इनके इस वीडियो को देखने के बाद कम से कम सरगुजा वासी ऐसी कलेक्टर को सेल्यूट करेंगे ही…