अम्बिकापुर
राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी और अदानी ,, सरगुजा जिले में कोयला उत्खन्न के साथ ही ,, भू-विस्थापित का लगातार शोषण कर रही है। ऐसा हम नही कह रहे है ,, बल्कि जिले के उदयपुर मे अदानी कोल उत्खन्न कंपनी के कारनामे खुद बयां कर रहे है। मौजूद मामला पुनर्वास के लिए बनाए जा रहे उन माकानो का है,, जो बनाए तो इंसानो के लिए जा रहे है,, लेकिन उसमें जानवरो भी अपना जीवन यापन ठीक से नही कर सकते है।
सरगुजा जिले के परसा ,केते गांव मे कोयला का उत्खन्न कर रही अदानी कोल कंपनी गांवो के गर्भ से लगातार कोयला का उत्खन्न कर रही है। लेकिन पुनर्वास योजना के तहत यंहा के विस्थापित ग्रामीणो के लिए ,, कंपनी जो घर बना रही है। वो ग्रामीणो के उन घरो से 10 गुना छोटे है,, जिसको तोडकर अदानी कोयले का उत्खन्न कर रही है। जिसको लेकर विस्थापित परिवार के लोगो ने प्रशासन से गुजारिश की है,,उन्हे कमसे कम ऐसे घर बनाकर दिए जाए,, जिसमे एक परिवार का तो गुजारा हो सके।
दरअसल अदानी कंपनी ने कोयला उत्खन्न के लिए अब तक 50 से अधिक परिवारो को बेघर किया है। लेकिन हैरानी की बात है कि पहले ग्रामीणो के कई बार आंदोलन के चार साल बाद कंपनी ने पुनर्वास योजना के तहत 25 माकान बनाना शुरु किया। तो दूसरी तरफ 20 बाई 20 के जो माकान विस्थापित परिवारो के लिए बनाए जा रहे है,, उसमे एक परिवार को रहने मे मुश्किलो का सामना करना पडेगा। बहरहाल ग्रामीणो के कच्चे ही सही बडे माकानो को तोडकर क्षमता से ज्यादा कोयले का उत्खन्न करने वाली अदानी कंपनी के नुमाईंदे ,, माकान बनाने की प्रकिया को नियमो के तहत बता कर अपना पलडा छाड रहे है।
नाम बडे और दर्शन छोटे की तर्ज पर सरगुजा जिले मे अपने पांव पसार रही अदानी कोल कंपनी ,,, खुद के कर्मचारियो से लिए आलीशान बंगले बना रही है,, तो जिन ग्रामीणो की जमीनो से कंपनी अरबो खरबो का कोयला निकाल रही है,, उनके रहने के लिए मुर्गा के दर्बे बराबर माकान । बात समझ नही आ रही है।