अस्पताल की छत से टपकते पानी से नवजतात गहन चिकित्सा ईकाई मे बना तालाब
अम्बिकापुर
सरगुजा जिले मे हुई झमाझम बारिश ने किसानो को भले राहत दिया हो,, लेकिन जिला अस्पताल की छत मरीजो के लिए मुसीबत बन कर बरस रही है। आलम ये है कि सुपरस्पेशलिटी जिला अस्पताल के नए भवन की पक्की छत का ऐसा कोई कोना नही बचा है, जंहा से पानी ना टपक रहा हो। इस बीच मुसीबत उन नवजात बच्चो की है,, जो जन्म लेते ही अस्पताल के उस गहन चिकित्सा कक्ष मे पंहुच गए है। जंहा कमरा तालाब बना हुआ है।
- आसमान की जगह छतो से होती झमाझम बारिश
- खेतो और नालो की तरह कमरे के अंदर भरा बरसात का पानी ,,,
- और किसी वास एरिया की तरह पानी को वाईपर से खिंच कर ठिकाने लगाते महिला ……. नजारा किसी साधारण कमरे का नही है। क्योकि हम बात कर रहे है अम्बिकापुर के सुपरस्पेशलीटी जिला अस्पताल के उस कमरे कि जिसे शिशु गहन चिकित्सा ईकाई कहते है,, और यंहा उन नवजात बच्चो को रखा जाता है जो जन्म के बाद से ही बाहरी आबोहवा मे सरवाईव नही कर पाते है या अस्वस्थ हो जाते है,, लेकिन इन परिस्थितियो मे भी अगर इन्हे खुले छत की तरह बरसने वाले कमरे मे रख दिया जाए तो इन बच्चो को जन्म देने वाले माता पिता अपने बच्चो के जीवन रक्षा करने वाले अस्पताल मे कैसे सुरक्षित महशूश कर सकते है।
वैसे तो अम्बिकापुर के इस अस्पताल के इस शिशु गहन चिकित्सा ईकाई के अंदर जूता,चप्पल और खाने पीने का सामान ले जाना प्रतिबंधित है,, लेकिन ऐसे प्रतिबंध के बीच भी छत से बरसात का पानी बिना अनुमति बडी ही आसानी से प्रवेश कर रहा है। लेकिन पानी टपकते इस अस्पताल को सुपरस्पेस्लिटी अस्पताल का दर्जा दिलाने मे अहम भूमिका रखने वाले सिविल सर्जन साहब,,ठेकेदार पर कारवाही करने के बजाय उसकी करतूतो पर ही पानी फेर रहे है। और छत से टपकने वाले पानी को छज्जा से आने वाला पानी बता रहे है।
क्या कहते है बच्चो के परिजन…
टपकती छत वाले गहन चिकित्सा ईकाई मे अपनी बच्चे के बेहतर स्वास्थ की कामना रखने वाले नंदलाल की माने तो छत टपकने से फर्स मे पूरा पानी भर जा रहा है, बार बार पानी निकालने के तुरंत बाद फिर से पानी भर जाता है, हमारे एक दिन के बच्चे के उपर अगर पानी टपक गया तो उसके स्वास्थ पर बुरा असर पडेगा। वही अपने एक दिन के पोते को इस ईकाई मे रखने वाली महिला नीलम यादव के मुताबिक हमने डाक्टरो को इस समस्या के बारे मे बताया लेकिन वो कहते है बरसात रुकेगी तब ही पानी टपकना बंद होगा।
ए.के.जायसवाल, सिविल सर्जन, जिला चिकित्सालय , अम्बिकापुर
नवजात बच्चो की जीवन रक्षा के लिए बने गहन चिकित्सा ईकाई का ये मामला काफी गंभीर है,,, लेकिन इसके लिए जिसे गंभीर होना चाहिए,, वो खुद को वातानूकूलित कक्ष मे बैठकर अपने आप मे मगन है। बहरहाल जिले मे ऐसे मसलो की परवाह करने के लिए कलेक्टर भी है…. पर ना जाने इस संवेदनशील मुद्दे पर कब और किसकी नजरे ईनायत होगी।