कोरिया से रवि कुमार सावरे की रिपोर्ट
एस.ई.सी.एल प्रबंधन एंव नगरीय प्रषासन के पहल नहीं करने के चलते ठेकेदार मनमानी पर उतारु
एस.ई.सी.एल एंव नगर निगम में वर्षो से काम कर रहे हजारों ठेका श्रमिकों की भविष्य निधि राषि में ठेकेदारों द्वारा लगातार खेल किया जा रहा है, लेकिन लगातार षिकायत के बाद व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं आया हैं। ठेका श्रमिकों का कहना है कि उन्हें भविष्य निधि का कोड नंबर भी नहीं दिया जा रहा है। इस तरह ठेका श्रमिको की पीएफ राषि काटी तो जाती है, लेकिन किसके खाते में जा रहीं है ये पता नही चल पा रहा है।
जनकारी के मुताबिक एस.ई.सी.एल एंव जिले के नगर निगम व नगर पलिका में तकरीबन तीन सौ ठेकेदार पंजीकृत है, जिनके पास 5 हजार से अधिक ठेका श्रमिक काम करते है, ये आंकडे विस्तार योजना को छोकर है।एस.ई.सी.एल में काम करने वाले ये हजारों ठेका श्रमिको एक ही ठेकेदार के पास वषों तक काम नहीं करते है। एक ही प्रवृति के काम का ठेका हर एक वर्ष में होता है, इस दौरान ठेकेदार बदल जाते है, लेकिन श्रमिक वहीं रहते है। इस तरह श्रमिको को वक्त के साथ साथ विभिन्न ठेकेदारों के पास काम करना पड़ता है। एस.ई.सी.एल चिरमिरी में ठेकेदारों के पास काम करने वाले हजारों श्रमिको का कहना है। कि उनको पीफ कोड समेत इसकी राषि वेनत से कटने के बाद जमा हो रही है कि नहीं इसकी जानकारी नियतिम मिलनी चाहिए, लेकिन ठेकेदार बदलने के बाद मालूम होता है कि पैसा जमा हुआ ही नहीं है। काम खत्म होने के बाद ठेकेदार फिर चर्चा भी नही करता। इसकी वजह से श्रमिकों को आर्थिक नुकसान सहना पड़ता है। ज्ञात हो कि जिले में अगस्त 2013 मे लोक अदालत लगाई गई थी। इस दौरान हजारोें ठेका श्रमिकों ने लिखित षिकायत की थी कि ठेकेदार उनको पीएफ कोड नहीं दे रहे है। इस मामले में मौजूद अधिकारियों ने ठेका श्रमिको को आष्वासन दिया था। इसके बाद इस संबंध में भविष्य निधि कार्यालय से एक पत्र एस.ई.सी.एल जी.एम के नाम पहुंचा था, लेकिन इसके बाद व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ ।
एक आदेष से सुधार सकती है व्यवस्था!
एस.ई.सी.एल प्रथम नियोक्ता होने के नाते इस मामले मे अहम भूमिका निभा सकता है। एस.ई.सी.एल को सिर्फ एक आदेष जारी करना होगा कि प्रतिमाह बिल के साथ-साथ ठेकेदार श्रमिकों की सूचि व उनके पीएफ कोड जारी करे श्रमिको को हर माह वेतन पर्ची अनिवार्य तौर पर दी जाए।