रायपुर
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने प्रदेश की भाजपा सरकार को खुली चुनौती दी है कि सरगुजा केंद्रीय जेल में अभय सिंह से उनकी मुलाकात की न्यायिक जांच क्यों सीबीआई जांच करवा ले? उन्होंने पूछा है कि एक सरकार ने जिस व्यक्ति का उपयोग नक्सलियों से निपटने के लिए किया और अच्छे काम के प्रमाण पत्र दिए उससे मिलने पर सरकार और भाजपा दोनों को पसीना क्यों आ रहा है?
श्री बघेल ने यहां जारी एक बयान में कहा है कि जहां तक जांच का सवाल है तो कांग्रेस पिछले चार वर्षों से मांग कर रही है कि झीरम कांड के षडयंत्र की जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा है कि झीरम कांड के षडयंत्र की जांच न तो एनआईए ने की, न यह आयोग के जांच के दायरे में है और न सरकार इसे सीबीआई को सौंपने के लिए जोर लगा रही है। श्री बघेल ने कहा, “जाहिर है कि सरकार झीरम के मामले में कुछ छिपा रही है और जिसे छिपाया जा रहा है उसमें ऐसा जरुर कुछ है
जिसमें मुख्यमंत्री सीधे फंसने वाले हैं
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि झीरम में कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं की एक साथ हत्या कर दी गई। वह एक ऐसी क्षति थी जिसकी भरपाई कभी नहीं हो पाएगी। उन्होंने कहा है कि यह सूचना विचलित करती है कि झीरम कांड से पहले सरकार ने किसी व्यक्ति के जरिए नक्सलियों को करोड़ों रूपए भिजवाए थे। सवाल यह है कि क्यों सरकार ने पैसे भिजवाए? श्री बघेल ने कहा है कि सरकार इसलिए बेचैन है कि उसके पास झीरम कांड की सीडी की खबरें हैं। तभी तो पुलिस के एक मुखबिर से मिलने एसपी खुद जेल जाते है। क्या है इस सीडी में और सरकार उस सीडी की इतनी बेचैनी से क्यों तलाश कर रही है.?
श्री बघेल ने कहा है कि अब तक झीरम आयोग में जितनी सुनवाई हुई है उससे यह तो स्पष्ट होने लगा है कि कांग्रेस नेताओं को जानबूझकर सुरक्षा नहीं दी गई। तो किस षडयंत्र के तहत ऐसा किया गया यह जानना बहुत आवश्यक है.
उन्होंने कहा है कि जेल में बंद किसी आरोपी से मिलने के तयशुदा नियम हैं और अभय सिंह से मिलने पर उसका पूरा पालन हुआ है। तब फिर भाजपा के प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने, गृहमंत्री रामसेवक पैकरा और मुख्यमंत्री रमन सिंह सबके सब एक सुर में जांच की बात क्यों कह रहे हैं? कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है और डर मन में समाया हुआ है। एक आरोपी से मुलाकात कैसे हुई यह गृहमंत्री और मुख्यमंत्री एक फोन पर पता कर सकते हैं। श्री बघेल ने कहा, “लगता है कि 13 बरस सत्ता पर काबिज रहने के बाद भी सरकार को कामकाज का सलीका नहीं आया।” उन्होंने कहा है कि वे सरकार को खुली चुनौती देते हैं कि वे अभय सिंह से उनकी मुलाकात की जांच करवा लें और जांच न्यायिक जांच तक न रुके बल्कि यह जांच सीधे सीबीआई को सौंप दी जाए। सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री रमन सिंह इस चुनौती को स्वीकार करेंगे? अगर चुनौती स्वीकार नहीं है तो वे खुद चुप रहें, अपने गृहमंत्री को भी समझाइश दें और अपनी पार्टी के प्रवक्ताओं को भी. वे जितना इस मामले को छेड़ेंगे, उतनी ही उनकी कलई खुलेगी।