अम्बिकापुर
दीपावली पर्व नजदीक आते ही शहर व आस पास के क्षेत्र मे छोटे बडे जुए के फंड सजना शुरू हो गया है। जुए के इन फंडों मे नालदार और सूदखोर जुवारियों को भारी भरकम ब्याज में राशि देकर कमाई करने में लगे हुए है। अंचल में अनेंक जुए के अड्डे काफी समय से भी संचालित हो रहे है। इसी तारतम्य में पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर डीएसपी की अगुवाई में बीती रात कोतवाली, गांधीनगर व मणिपुर पुलिस टीम ने नगर से लगे ग्राम लब्जी स्थित जयशंकर साहू के राईस मिल के सामने जुआ खेल रहे संजय, जवाहर, विरेन्द्र साहू, सुनिल साहू, गोपाल मुण्डा, राहुल उर्फ श्रीकांत, गिरधारी लाल ताम्रकार, संजीत ताम्रकार, शिवकुमार, नरेन्द्र राजवाड़े, रामकुमार गोयल, रामनाथ जायसवाल, संतोष पासवान को जुआ खेलते देख धर दबोचा। पुलिस ने फड़ से 52 पत्ती सहित कुल 4 लाख 64 हजार 932 रूपये जब्त किया। पुलिस ने सभी के विरूद्ध 13 जुआ एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
गौरतलब है कि इन दिनों गांव व शहर में जुआरियों ने कई नई अड्डे बना लिए है जिसमें नाबालिग से लेकर उम्र दराज के लोग भी शामिल होते है । जुआ खिलाने वाले नालदार जुआरियों को निमंत्रण देकर बुलाते है व उनके रहने की व्यवस्था भी करते है। जिसका उनको शुल्क भी मिलता है । और यदि कोई फंड़ में प्रवेश करता है उसका शुल्क अलग और कोई लगातार छः बार जीत जाता है तो जीती गई राशि का बीस फीसदी नालदार को देता है।
कुछ भी गिरवी रखने को तैयार
जुआरियों को वित्तीय सहायता देने वाले सूदखोर भी सक्रिय रहते है जो जुआरियों को बीस फीसदी सप्ताहिक ब्याज पर रकम उपलब्ध करते है। जुआरी को जुए की लत इतनी ज्यादा हो जाती है कि वह कुछ भी गिरवी रख देता है। ये सूदखोर हारे हुए जुआरी को रकम वापसी के लिए लगातार प्रताडि़त करते रहते है जिससे कई जुआरी त्रस्त होकर घर छोड़कर भाग भी जाते है और कई तो आत्महत्या भी कर लेते है । शहर व आस पास के क्षेत्रों में जुआरियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। शहर मेे कई जुए के अड्डे नेता व रसूखदारों की शहर पर चल रहे है। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि पुलिस को भी इसकी जानकारी होती है।
परिजन भुगतते हैं
नवरात्रि पर्व की समाप्ति के बाद से ही गांव व शहर में जुआरी सक्रिय हो गए है। और जुआ खेलने के लिए कई किलोमीटर तक का सफर तय कर रहे है। वैसे बीच -बीच मे पुलिस द्वारा कार्यवाई की जाती है कई जगह तो साल भर जुआ चलता रहता है। वहां पुलिस सिर्फ खाना पूर्ति ही करती है। जुआ के कारण चोरी लूट जैसे अपराध को बढ़ावा मिला है। ऐसे जुआरी भी जिनको इतनी लत लग जाती है कि घर के जरूरी समान भी बेच कर गिरवी रखकर वे जुआ खेलते है। जिसका खामियाजा घर वाले को भुगताना पड़ता है।
नाबालिग भी लत के शिकार
जुआरियों को कानून का भय इसलिए नहीं होता क्योकि भयभीत दंड़ संहिता मे इसके लिए कोई कड़ी सजा नहीं है। पकडे गए तो सामान्य जुआ एक्ट 13 ए ही लगाया जाता है। जिससे मामूली जुर्माना वसूला जाता है। कई जगह जुआ के विवाद में बड़ी घटना घट जाती है। पुलिस द्वारा जुआरियों को मुचकने में भी आसानी से छोड़ दिया जाता है। बताया जाता है कि इस कृत्य में नाबालिग भी सक्रिय है जो दिन भर काम करने के बाद रात में जुआ खेलते है।