कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिये माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक याचिका पर पारित आदेश एवं मार्गदर्शी सिद्धांत के अनुपालन में प्रत्येक कार्यालय में आंतरिक शिकायत समित का गठन किया जावेगा। प्रत्येक कार्यालय में समिति गठित करने के संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग जिले के सभी विभाग प्रमुखो को पत्र भेजा है, तथा इस संबंध में उचित कार्यवाही कर पालन प्रतिवेदन प्रेषित करने कहा है ।
कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम हेतु केन्द्र शासन द्वारा नया अधिनियम पारित किया है, जो प्रभावशील होना है। कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, प्रतिषेध एवं निवारण) अधिनियम 2013 के भाग 1 धारा 2 में परिभाषाएं दी गई हैं। जिसमें पीड़ित महिला, नियोक्ता, कार्यस्थल एवं यौन उत्पीड़न को परिभाषित किया गया है। जिसके अनुसार शिकायत समितियों को पुर्नगठन किया जाना है, समिति में स्वैच्छिक संगठन के एक सदस्य को अनिवार्य रूप से नामांकित किया जाना है। इस समिति का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। यह समिति सभी शासकीय, अर्द्धशासकीय, अशासकीय, वाणिज्यिक कार्यालय व उद्योगो व सभी चिन्हांकित कार्यस्थलो में गठित किया जाना अनिवार्य होगा। सभी विभाग अपने नियंत्रण में आने वाले कार्यालयों संस्थाओं, वाणिज्यिक निकायों एवं उद्योगो को सूचित करते हुए आंतरिक शिकायत समिति का गठन करना सुनिश्चित करेंगे। जहां महिला कर्मचारी कार्यरत न हो अथवा 1 या 2 की संख्या में महिला कर्मचारी हों, वहां समिति गठन के संबंध में प्रशासकीय विभाग या नियोक्ता समुचित निर्णय करते हुए आंतरिक शिकायत समिति की उपयुक्त व्यवस्था करेंगे। अधिनिमय में आंतरिक शिकायत समिति को सुनवाई व आदेश हेतु अधिकार प्रत्योजित किये गये हैं। अधिनियम में समिति द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया का विवरण अधिनियम में उल्लेखित है। अधिनियम की धारा 26 के अनुसार आंतरिक शिकायत समिति गठित न किये जाने पर नियोक्ता को 50 हजार रूपये के जुर्माने का प्रावधान है।