जांजगीर-चांपा
जम्मु कश्मीर में भारी बारिश के कारण आये बाढ़ में जांजगीर चांपा जिले के 60 से अधिक मजदूर फंसे हैं । मजूदरो को वंहा अपना जीवन बचाने के लिए काफी मशक्क्त करनी पड़ रही है। इस प्राकृतिक आपदा के बीच जांजगीर मे मजदूरों के परिजन चिंताग्रस्त हैं। चितिंत परिवारों ने मीडिया के माध्यम से अपने मजदूर परिजनों को बचाने सरकार से गुहार लगाई है।
एक तो रोजी मजदुरी की समस्या और उपर से प्रकृति का प्रकोप कुछ इसी हालात से जुझ रहें है, जांजगीर चांपा जिले के 60 से अधिक मजदुर जो कि जम्मु कश्मीर में आये भिषण बाढ़ में फंसे हैं। उन तक मदद नही पहुंच रही है, जिले के खोखरा और धुरकोट गांव में मजदुरों के परिजन चिंतिंत है, और किसी तरह के राहत की खबरों के लिए टकटकी लगाये हैं। खोखरा ग्राम के गोदावरी बाई के पुत्र ,बहु, पोता और पोती, चारों दो साल से जम्मु में मजदुरी कर रहें हैं। तीनों ने पहले बाड़ में फंसे होने की समस्या बताते हुए फोन में बात हुई थी । इसके बाद दो दिन से संपर्क नहीं हो पा रहा है।
गांव की ईतवारी बाई गांव में अकले रहती है । उसके परिवार के सभी आठ सदस्य बांढ़ में फंसे हुए हैं । परिजन जम्मु से रुपये भेजते थे, जिससे उसका गुजारा होता था । पर ईतवारी बाई को जब से उसके मजदूर परिजनों के बाढ़ में फंसे होने की सूचना मिली है । वह चाहती है कि रोजी मजदूरी अब भले ही ना मिले पर उसके अपने लोग सकुसल वापस आ जाये । अन्य परिजनों ने मीडिया के माध्यम से सरकार मदद की गुहार लगाई है।
आलम ये है कि जम्मू काश्मीर मे फंसे मजदूरों के कुछ घरो में सन्नाटा पसरा है। तो कुछ के घर मे ताला बंद हैं। एक अजीब से सन्नाटे ने सबकी चिंता बड़ा दी है । क्या अब उनके अपने फिर से उनसे मिल पायेंगे। क्या रोजी मजदूरी इतना घातक हो जाये कि जीवन मुश्किल में पड़ जाये । हमारी कामना है कि मजदूरों के परिजन सकुशल हों । और घर वापस आ जाए।