मितानिनों ने नुक्कड़ के जरिये शराब को बताया खराब
गाँव की सड़क पर रैली निकालकर किया शराबखोरी का विरोध
जशपुर (मुकेश कुमार नायक) महिला हिंसा रोको अभियान के तहत मितानिनों में फरसाबहार ब्लॉक के सिंगीबहार में महिलाओं के साथ शराब से समाज को हो रहे नुकसान के बारे में सन्देश दिया।
मितानिनों ने बस्ती में नुक्कड़ नाटक किया।जिसमें यह दिखाया गया कि किस प्रकार घर का मुखिया शराब पीकर घर की शान्ति भंग करता है। शराब पीकर किस तरह वह अपराध के दलदल में फँसता चला जाता है।घर के साथ ही शराब समाज के लिए घातक है। इसीलिए इसे सामजिक बुराई कहा जाता है लेकिन सती प्रथा, दहेज प्रथा,टोनही प्रथा जैसे सामजिक बुराई से कहीं ज्यादा समाज की जड़ों को खोखला कर रहा है।नुक्कड़ नाटक देख रहे ग्रामीणों में खासकर महिलाओं ने घर में शराब नहीं बनाने का संकल्प लिया और कहा कि जब हमारे पति ही शराब पीकर मरने को तैयार हैं तो हम सरकार को क्यों दोष दें।आप सुधरे जग सुधरे की सूक्ति पर चर्चा करते हुए मितानिनों ने बताया कि सरकार तो तब शराब बेचने लगी जब उसे लगा कि इसमें फायदा है।लोग तो उससे पहले से ही शराब पीने लगे थे।सरकार ने शराब को नहीं बनाया है। हमारे पूर्वजों ने बनाया लेकिन दवा के लिए।जब दवा ज्यादा होती है तब उसे दारु माना जाता है। अब छत्तीसगढ़ की सरकार भी शराब के खिलाफ है।
हम आपको बता दें कि जशपुर जिला आदिवासी जिला है और यहां निवासरत अधिकांश जनजातियां महुए की शराब को जीवन के कई पायदानों में पीती हैं।मसलन जन्म,विवाह,मृत्यु के समय तो खासकर।इसके बाद पिछले 3 साल से जिले में समाजसेवी,जनप्रतिनिधि और प्रशासन के लोग शराब की खराबी को लेकर जनजागरूकता अभियान चला रहे थे।चूँकि मुहल्ले के हर घर से मितानिनें सीधे तौर पर जुडी रहती हैं।उनके सुख-दुख में शामिल मितानिनों के जरिये सरकार की यह कोशिश कितनी सफल होती है यह तो आने वाला वक़्त बताएगा।बावजूद इसके यह कोशिश शराब के खिलाफ एक मजबूत कदम है।