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जन्म-मृत्यु पंजीयन अधिनियम 1969 एवं छत्तीसगढ़ शासन के नियम 2001 के अनुसार सभी जन्म-मृत्यु का पंजीयन अनिवार्य है। जन्म-मृत्यु पंजीयन की प्रक्रिया के विभिन्न चरणों की जानकारी देने के उद्देष्य से आज कमिष्नर कार्यालय अम्बिकापुर मेें कलेक्टर्स कान्फ्रेन्स में संयुक्त सचिव, निदेषक एवं संयुक्त रजिस्ट्रार जन्म-मृत्यु पंजीकरण श्रीमती श्रीमती रेणु जी पिल्ले ने कलेक्टरों को आवष्यक मार्गदर्षन दिए। बैठक में सरगुजा संभाग के कमिष्नर श्री टी.सी. महावर एवं सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर-रामानुजगंज, जषपुर एवं कोरिया जिले के कलेक्टर, उपायुक्त एवं जिला पंचायतों के सीईओ उपस्थित थे।
श्रीमती पिल्ले ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से जन्म-मृत्यु पंजीयन के आंकड़ों की समीक्षा करते हुए शत-प्रतिषत पंजीयन पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जन्म पंजीकरण में सकारात्मक सुधार देखने को मिला है परंतु मृत्यु के पंजीयन में सुधार करने की आवष्यकता है। उन्होंने आकड़ों के माध्यम से बताया कि वर्ष 2013 में कोरिया में 72 प्रतिषत, सूरजपुर में 66 प्रतिषत, सरगुजा में 78 प्रतिषत, बलरामपुर में 93 प्रतिषत एवं जषपुर में लगभग 71 प्रतिषत जन्म पंजीकरण दर्ज किए गए हैं। उन्होंने बताया कि संभाग के जिलों में जन्म पंजीकरण में प्रगति आई है। उन्होंने जिला कलेक्टरों से शेष प्रकरणों का अभियान चलाकर पंजीयन करने कहा। कान्फ्रेन्स में निदेषक एवं संयुक्त रजिस्ट्रार ने कहा कि जन्म-मृत्यु का पंजीयन नितांत आवष्यक है। जन्म या मृत्यु होने पर परिवार के सदस्यों को अपने अनिवार्य दायित्व के रूप में पंजीयन कराना चाहिए।
संगागायुक्त श्री महावर ने कहा कि शत-प्रतिषत पंजीयन के लिए ग्राम पंचायत, राजस्व, स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास विभाग समन्वय कर आंकड़ों का एकत्रीकरण करने व ग्राम पंचायत स्तर पर सचिव और कोटवार समन्वय कर आकड़ों का मिलान कर पंजीयन करने का सुझाव दिया। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग द्वारा लक्ष्य दंपति की सर्वे सूची और आंगनबाड़ी केन्द्र के गर्भवती माताओं तथा टीकाकरण की सूची का मिलान करने का सुझाव दिया। कमिष्नर ने कहा कि आंकड़ों के सत्यापन के लिए कोटवार द्वारा संधारित पंजी फौती पैदाईष- रजिस्टर का अवष्य मिलान करें। कमिष्नर ने पंजीयन के लिए मैदानी अमलों को विषेष रूप से सजग एवं सक्रिय रहने के निर्देष दिए ताकि शत-प्रतिषत पंजीयन हो सके।
कार्यषाला में बताया गया कि जन्म-मृत्यु पंजीयन के लिए फाॅर्म निर्धारित कर दिए गए है। जन्म एवं मृत्यु की सूचना देने वाले को निर्धारित फाॅर्म में दी गई प्रविष्टियों को भरकर जमा करना होता है। जन्म एवं मृत्यु होने पर यथास्थिति घर या गृहस्थी का मुखिया अथवा उनकी अनुपस्थिति में घर में मौजूद घर के मुखिया का निकटतम रिष्तेदार रजिस्ट्रार से जन्म एवं मृत्यु के उद्धरण के संबंध में 30 दिन के भीतर रिपोर्ट प्राप्त कर सकेगा।
श्रीमती पिल्ले ने बताया कि किसी व्यक्ति द्वारा इस बात पर जोर दिया जाता है कि जन्म एवं मृत्यु का रजिस्टर में की गई प्रविष्टि गलत है तो रजिस्ट्रार उस व्यक्ति द्वारा त्रुटि का स्वरूप दर्षाने वाले घोषणा के प्रस्तुत करने पर मामले के तथ्योें की जानकारी रखने वाले दो विष्वसनीय व्यक्तियों द्वारा मामले के सही साक्ष्य बताए जाने पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। जन्म रजिस्टर, मृत्यु रजिस्टर एवं मृत-जन्म रजिस्टर स्थायी महत्व के अभिलेख हैं, इन्हें नष्ट नहीं किया जाता है।