अम्बिकापुर 31 अगस्त 2014
- मेडिकल काॅलेज भवन के लिए स्थल अवलोकन
- प्रमख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डाॅ. आलोक शुक्ला ने चिकित्सकों की बैठक में दिए निर्देष
प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डाॅ. आलोक शुक्ला ने आज यहां जिला मुख्यालय अम्बिकापुर में मेडिकल काॅलेज प्रारंभ किए जाने हेतु संभावित स्थल पुराने एवं नए सैनिक स्कूल भवन, पुरातत्व भवन का निरीक्षण कर मेडिकल काॅलेज प्रारंभ किए जाने की संभावनाओं की तलाष की। इस मौके पर उनके साथ सिम्स बिलासपुर के डीन डाॅ. मोहन्ती, कन्सलटेंट मुकेष एसोसिएट, कलेक्टर श्रीमती ऋतु सैन, संयुक्त संचालक डाॅ. सुरेन्द्र पामबोई सहित चिकित्सा विभाग से जुड़े अधिकारीगण उपस्थित थे। लगभग एक लाख इक्वयरफीट जगह पर निर्माणाधीन सैनिक स्कूल भवन की तारीफ करते हुए उन्होंने 50 सीटर मेडिकल काॅलेज के लिए भवन को उपयुक्त बताया। यद्यपि
इस पर अंतिम निर्णय शासन स्तर पर जिला जाएगा। चिकित्सा विभाग एवं लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के दल के साथ उन्होंने पुराने सैनिक स्कूल भवन तथा जिला मुख्यालय स्थित पुरातत्व भवन का भी अवलोकन किया। सभी संभावित स्थलों का अवलोकन कर अंतिम चयन राज्य स्तर पर लिए गए, निर्णयानुसार किया जाएगा। इसके उपरांत उन्होंने जिला चिकित्सालय का भी निरीक्षण किया और जिला चिकित्सालय स्थित विभिन्न वार्डो सर्जिकल वार्ड, आर्थोपेडिक वार्ड, फिमेल वार्ड, गाइनेकाॅलाजि वार्ड, माइनर ओटी एवं सामान्य ओटी का भी अवलोकन किया। प्रमुख सचिव डाॅ.शुक्ला ने आर्थोपेडिक वार्ड में भर्ती मरीजों से बातचीत की। उन्होंने वार्डो में भर्ती मरीजों के संबंध में बुखार से पीड़ित मरीजों की जानकारी ली। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. अग्रवाल ने गतवर्ष एवं इस वर्ष में दर्ज किए गए ओपीडी के प्रकरणों की जानकारी दी और कहा कि जिला अस्पताल में बेड आकुपेंषी 84 प्रतिषत है।
चिकित्सा अधिकारियों की बैठक में प्राथमिकता तय करने के निर्देष दिए
अवलोकन के उपरांत प्रमुख सचिव डाॅ शुक्ला ने जिला कार्यालय के सभाकक्ष में चिकित्सा अधिकारियों की बैठक लेकर उन्हें अपनी प्राथमिकता तय किए जाने के निर्देष दिए और कहा कि संभाग में मलेरिया, डायरिया, पीलिया और मीजल्स के प्रकरणों के संबंध में प्राथमिकताएं तय करें। उन्होंने जिले में मलेरिया से पीड़ित प्रकरणों की जानकारी ली। अवगत कराया गया कि जिले में 70 प्रतिषत फीवर प्रकरण आते है। उन्होंने कहा कि इनमें से कितने प्रकरणों में मलेरिया के मरीज होते है? इसका जवाब चिकित्सक ने नहीं दे पाए। प्रमुख सचिव डाॅ. शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ में मलेरिया से ज्यादा मौतें हो रही हैं। कोई भी डाॅक्टर डीनाईल मोड में न रहे। जितने भी हास्पिटल में मरीज आते हैं
जिन्हें बुखार है, डायरिया है, निमोनिया है उसका आरडी टेस्ट कराएं मलेरिया पोजीटिव्ह प्रकरण का पब्लिक हेल्थ इनवेस्टीगेसन कराएं। 30-40 किलोमीटर चलकर यदि कोई मरीज जिला अस्पताल आता है तो उसे गंभीरता से लें और उस गांव में रैपिड सर्वे कराएं उन्होंने रैपिड सर्वे के संबंध में स्पाॅट मैप के जरिए प्लानिंग किए जाने की विस्तार से जानकारी दी।
इसी प्रकार उन्होंने कहा कि डायरिया के केस में यदि कोई मरीज हास्पिटल आता है। तो कम से कम इसके निवास स्थान का पब्लिक हेल्थ इेन्वीटस्टीगेषन कराया जाए। डाॅ. शुक्ला ने फेमिली प्लानिंग पर विषेष जोर देते हुए कहा कि बिना फेमिली प्लानिंग के विकास का कोई मायने नहीं है। छ.ग. में फेमिली प्लानिंग के 60 प्रतिषत एचीवमेंट है। चिकित्सक यह न समझे कि फेमिली प्लानिंग हमारा काम नहीं है। प्रत्येक डाॅक्टर का यह सर्वोच्च प्राथमिकता वाला कार्य है। इस मौके पर आयुक्त स्वास्थ्य डाॅ. प्रताप सिंह, सिम्स बिलासपुर के डीन डाॅ. मोहन्ती, मुकेष एसोसिएयट तमिलनाडु के श्री मुकेष, संयुक्त संचालक डाॅ. पामबोई, मुख्य चिकित्सक एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. डी.डी. अग्रवाल, सिविल सर्जन डाॅ. जायसवाल सहित अन्य चिकित्सकगण उपस्थित थे।